शिक्षण संस्थानों में हिजाब मामले में गुरुवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि नियम के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों को ड्रेस निर्धारित करने का अधिकार है। हिजाब अलग है। मामले की अगली सुनवाई अब 19 सितंबर को होगी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा था कि अतार्किक दलीलों से मामले के अंत तक नहीं पहुंचा जा सकता। इनकी एक सीमा होती है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सिखों के कृपाण और पगड़ी की हिजाब से तुलना नहीं की जा सकती है।
वकील पाश ने कहा था कि हिजाब मुस्लिम लड़कियों की मजहबी प्रथा है। उन्होंने तर्क दिया था कि सिख छात्र भी पगड़ी पहनते हैं।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया था कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। छात्र स्कूल में यूनिफार्म पहनने से इंकार नहीं कर सकते हैं। कर्नाटक हाई कोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने पर रोक लगाने का फैसले को सही ठहराया। साथ ही हिजाब के खिलाफ दिए आदेश को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है। छात्र स्कूल ड्रेस पहनने से इनकार नहीं कर सकते। दरअसल, मुस्लिम लड़कियों के स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने की मांग को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाया।
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