तमिनलाडु में स्टालिन की सेकुलर द्रमुक सरकार का राज है। पेरियार की बनाई द्रमुक वह पार्टी है जो हिंदू आस्थाओं पर चोट करने के लिए जानी जाती है। ऐसी सरकार के राज में अगर कोई हिन्दू बहुल गांव वक्फ बोर्ड के कब्जे में चला जाए तो हैरानी कैसी?
इस राज्य में त्रिची के पास स्थित तिरुचेंथुरई गांव में यही हुआ है। और भी न जाने कितने हिन्दू बहुल गांवों पर ऐसी गाज गिरी हो या गिरने वाली हो। गांव की पूरी जमीन वक्फ की संपत्ति हो चुकी है इसका खुलासा तब हुआ जब यहां के एक निवासी ने अपनी जमीन बेचने की कार्रवाई आगे बढ़ाई। इस निवासी, राजगोपाल की करीब एक एकड़ जमीन है जिसे वह किसी राजराजेश्वरी को बेच रहे थे। लेकिन ऐसा हो न पाया। जमीन बेचने के कागजात लेकर जब राजगोपाल रजिस्ट्रार के दफ्तर गए तो उन्हें कहा गया कि जिस जमीन को वे अपना मानकर बेचने का इंतजाम कर रहे हैं, दरअसल वह तो वक्फ के मालिकाना हक में जा चुकी है।
यह हैरतअंगेज मामला बताता है कि तमिलनाडु में किस तरह वक्फ बोर्ड लोगों की संपत्ति पर कब्जा करने की साजिश रच रहा है। प्राप्त समाचारों के अनुसार, हिंदू बहुल तिरुचेंथुरई गांव में सिर्फ राजगोपाल की ही नहीं बल्कि सारी जमीन वक्फ के हाथ में जा चुकी है। तमिलनाडु वक्फ बोर्ड इस गांव को वक्फ की संपत्ति बताता है।
बहरहाल, रजिस्ट्रार के दफ्तर पहुंचे राजगोपाल यह सुनकर सन्न रह गए कि जमीन उनकी नहीं रही और फिर भी अगर वह इसे किसी के नाम करना चाहते हैं तो पहले वक्फ बोर्ड से एनओसी लेकर आनी होगी। राजगोपाल ने बताया कि वहां के रजिस्ट्रार मुरली ने उनसे कहा कि जिस जमीन को वे बेचने की सोच रहे हैं, उस जमीन का असली मालिक तो वक्फ बोर्ड है। वक्फ बोर्ड के निर्देश है कि यह जमीन बेची नहीं जा सकती। फिर भी अगर उन्हें ऐसा करना है तो चेन्नै जाकर वक्फ बोर्ड के दफ्तर से एनओसी यानी अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर आना होगा।
हैरान-परेशान राजगोपाल ने सवाल किया कि उन्होंने 1992 में यह जमीन खरीदी थी, अब उसे बेचता हूं तो उससे पहले वक्फ बोर्ड से इजाजत क्यों लेनी होगी? लेकिन रजिस्ट्रार के पास इसका कोई जवाब नहीं था। राजगोपाल के बार-बार सवाल करने पर, रजिस्ट्रार ने तमिलनाडु वक्फ बोर्ड से आया 250 पृश्ठ की एक चिट्ठी उन्हें दिखा दी। रजिस्ट्रार ने साफ बताया कि तिरुचेंथुरई गांव में किसी भी तरह की जमीन को बेचने से पहले प्रदेश के वक्फ बोर्ड से एनओसी लाना होता है। वक्फ बोर्ड ने संबंधित विभाग को बाकायदा लिखित जानकारी दी गई है कि यह पूरा गांव उसकी संपत्ति है।
दुखी होकर राजगोपाल ने गांव वालों को पूरी बात बताई तो सब यह सुनकर चौंक गए। उन्हें समझ नहीं आया कि बुजुर्गों के जमाने से वे जिस जमीन में रहते आए हैं वह वक्फ बोर्ड की कैसे हो गई! गांव वालों का कहना है कि यहां की जमीन वक्फ बोर्ड को कैसे दी जा सकती है जबकि उनके पास यहां घरों और खेतों के पूरे कागजात हैं!
असमंजस में पड़े गांव के लोग पूरा मामला जिलाधिकारी के सामने ले गए। जिलाधिकारी का कहना है कि इस मामले की जांच करने के बाद ही कह पाएंगे कि इसमें क्या कार्रवाई की जा सकती है। इस पूरे प्रकरण पर भाजपा के वरिष्ठ नेता एच. राजा ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार ऐसा कैसे कह सकते हैं कि पूरे गांव की जमीन वक्फ बोर्ड की हो गई! त्रिची के भाजपा नेता अल्लूर प्रकाश आक्रोश में कहते हैं तिरुचेंदुरई गांव हिंदू बहुल है, किसानों का इलाका है। आखिर वक्फ बोर्ड का तिरुचेंथुरई से कैसा भी सरोकार कैसे हो सकता है?
प्रकाश का कहना है कि गांव में 15 सौ साल पुराना मानेदियावल्ली समीता चंद्रशेखर स्वामी मंदिर है। मंदिर के पास ही उसकी 369 एकड़ की जमीन है। वे पूछते हैं तो क्या मंदिर की इस जमीन का मालिकाना हक भी वक्फ बोर्ड के पास चला गया है? ऐसा किस आधार पर हो सकता है? वक्फ बोर्ड कैसे किसी की जमीन को अपनी बता सकता है?
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