केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह शनिवार सुबह जैसलमेर के तनोट माता मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने दर्शन कर पूजा-अर्चना की। इस दौरान केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, सीमा सुरक्षा बल के डीजी पंकज सिंह व अन्य नेता-अधिकारी भी उनके साथ रहे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपने दो दिवसीय दौरे में शनिवार को दूसरे दिन जैसलमेर से सीमा सुरक्षा बल के विशेष विमान से तनोट माता मंदिर पहुंचे। तनोट माता परिसर स्थित विजय स्तंभ पर बीएसएफ जवानों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। शाह ने विजय स्तम्भ पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
उसके बाद उन्होंने तनोट माता के दर्शन कर मन्दिर परिसर में ही पर्यटन विभाग के विकास केंद्र की आधारशिला रखी। उसके बाद सीमा सुरक्षा बल की व्यवस्थाओं का गृहमंत्री ने जायजा लेकर बीएसएफ के अधिकारियों से फील्ड में आने वाली समस्याओं के बारे में भी चर्चा की। बाद में शाह तनोट माता मंदिर से विशेष हवाई विमान द्वारा जैसलमेर पहुंचे। जहां से वे जैसलमेर एयरपोर्ट से जोधपुर के लिए रवाना हुए।
पर्यटन विभाग की 17 करोड़ की योजना से तनोट में होगा विकास
भारत-पाकिस्तान सरहद पर बने तनोट माता मंदिर के लिए नीति आयोग द्वारा 17.67 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इससे सैलानियों के लिए इस इलाके में पर्यटन के नए आयाम स्थापित किए जाएंगे। इस विकास केंद्र में सैलानियों के लिए बीएसएफ की ओर से डॉक्यूमेंट्री हथियार, फोटो गैलरी, मोर्टार, युद्ध में प्रयुक्त वाहन, दुश्मन देश के टैंक आदि की प्रदर्शनी लगाई जाएगी।
उल्लेखनीय है कि पर्यटन विभाग प्रदेश में बॉर्डर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए काफी समय से प्रयासरत है। इसके लिए पर्यटन विभाग की ओर से पर्यटन मंत्रालय और बीएसएफ के बीच कई बैठकें भी हुईं। पर्यटन मंत्रालय ने राजस्थान में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए तनोट कॉम्प्लेक्स को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए राजस्थान पर्यटन विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसके लिए 17.67 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इनसे अब सरहद पर सैलानियों को भारत-पाक युद्ध की वीर गाथा के बारे में भी जानकारी मिल पाएगी।
केंद्रीय गृहमंत्री शाह दूसरी बार तनोट मंदिर आए हैं। इससे पहले वे दिसंबर 2021 में यहां आए थे तथा रात्रि विश्राम सरहद पर ही किया था।
भारत-पाक सरहद पर बसा है थार की वैष्णो का दरबार
जैसलमेर से थार रेगिस्तान में 120 किमी दूर सीमा के पास तनोट माता का सिद्ध मंदिर स्थित है। इस देवी को थार की वैष्णो देवी और सैनिकों की देवी के उपनाम से भी जाना जाता है। जैसलमेर में भारत पाक सीमा पर बने तनोट माता के मंदिर से भारत-पाकिस्तान युद्ध की कई अजीबोगरीब यादें जुड़ी हुई हैं।
राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना को परास्त करने में तनोट माता की भूमिका बड़ी अहम मानी जाती है। यहां तक मान्यता है कि माता ने सैनिकों की मदद की और पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा। इस घटना की याद में तनोट माता मंदिर के संग्रहालय में आज भी पाकिस्तान की ओर से दागे गये जिंदा बम रखे हुए हैं।
दुश्मन ने 3000 बम दागे, 450 मंदिर परिसर में गिरे लेकिन फटे तक नहीं
शत्रु ने तीन अलग-अलग दिशाओं से तनोट पर भारी आक्रमण किया। दुश्मन के तोपखाने जबर्दस्त आग उगलते रहे। लेकिन तनोट की रक्षा के लिए मेजर जय सिंह की कमांड में ग्रेनेडियर की एक कंपनी और सीमा सुरक्षा बल की दो कंपनियां दुश्मन की पूरी ब्रिगेड का सामना कर रही थी। 1965 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना कि तरफ से गिराए गए करीब 3000 बम भी इस मंदिर पर खरोच तक नहीं ला सके। यहां तक कि मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे तक नहीं।
माता के बारे में कहा जाता है कि युद्ध के समय माता के प्रभाव ने पाकिस्तानी सेना को इस कदर उलझा दिया था कि रात के अंधेरे में पाक सेना अपने ही सैनिकों को भारतीय सैनिक समझ कर उन पर गोलाबारी करने लगे और परिणाम स्वरूप स्वयं पाक सेना की ओर से अपनी सेना का सफाया हो गया।
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