देहरादून। हिमालय की गोद में उत्तराखंड फैला है। पर्वतीय राज्य जन शून्य होता है तो इसे राष्ट्रीय विपदा के रूप में देखा जाना चाहिए, यह कोई सामान्य घटना नहीं बल्कि सीमांत राज्य होने के कारण राष्ट्रीय चिंता का विषय है। उत्तरांचल उत्थान परिषद द्वारा हिमालय दिवस पर देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता किशोर उपाध्याय ने ये विचार रखे।
उपाध्याय ने कहा कि समस्त उत्तराखंड वासियों को ग्रामोन्मुखी चिंतन करना होगा और उत्तरांचल उत्थान परिषद द्वारा संचालित ग्रामोत्सव, मेरा गांव मेरा तीर्थ, चलो गांव की ओर, हरेला आदि अभियान में सहयोग कर उन्हें व्यापक हित में अपनाना होगा। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि महिला आयोग उत्तराखंड की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि हिमालयी देवभूमि के परिवारों से संस्कार पक्ष बड़ी तेजी से बदल रहा है। सांस्कृतिक प्रदूषण को भी हमें रोकना होगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष बृजभूषण गैरोला विधायक डोईवाला ने उत्तरांचल उत्थान परिषद के द्वारा दुर्गम ग्रामों में संचालित सेवा कार्यों की प्रशंसा की एवं उत्तराखंड के समग्र विकास हेतु डॉक्टर नित्यानंद के चिंतन पर व्यापक शोध और अनुसंधान करने की सलाह दी। विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉक्टर सुशील कोटनाला, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के निदेशक ओपी मालगुडी ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में अध्यक्ष जयमल सिंह नेगी, मदन सिंह नेगी, आनंद सिंह रावत, धर्मानन्द उनियाल, सुरेंद्र नौटियाल, यशोदा नंद कोठियाल, नरेश चंद्र कुलाश्री, सतीश डंगवाल, उषा रावत, विनीता देवली उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री राम प्रकाश पैन्यूली ने किया।
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