देवबंद। यूपी सरकार मुस्लिम बच्चों और महिलाओ के लिए काम करने के लिए कोई भी घोषणा करती है तो देवबंद के उलेमाओं को बेचैनी होने लगती है। ताजा मामला योगी सरकार द्वारा मदरसों के सर्वे को लेकर है। मदरसों के उलेमा अलग-अलग खेमों में बैठकर सरकार से सवाल करने लगे हैं।
दो दिन पहले देवबंद के मोहतिमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी का बयान आया कि वो 200 से ज्यादा मदरसों के संचालकों की बैठक 24 सितंबर को बुलाकर योगी सरकार की मदरसा सर्वे योजना का विरोध करेंगे। नोमानी के बयान के तुरंत बाद दिल्ली से जमीयत उलेमा ए हिंद मौलाना महमूद मदनी का बयान आ गया कि वो भी एक बैठक बुलाकर सर्वे का विरोध नहीं करेंगे। मौलाना मदनी ये भी कहते हैं कि हम एक कमेटी बनाकर सरकार से समय लेकर उनसे बात करेंगे।
लखनऊ में कई उलेमाओं ने सरकार के सर्वे का स्वागत किया है। जबकि ओवैसी की पार्टी हमेशा की तरह सरकार के हर फैसले के विरोध में दिखाई दी है। उधर, सरकार के अल्पसंख्यक राज्य मंत्री दानिश अंसारी का कहना है कि हमें सिर्फ ये जानना है कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसे कितने हैं और उन्हें फंडिंग कहां से मिल रही है। जिनकी मान्यता है उन्हें डरने की क्या जरूरत है।
उल्लेखनीय है यूपी सरकार को असम की तरह इनपुट मिला था कि यहां मदरसे बिना सरकारी मान्यता या अनुमति के चल रहे हैं और उनकी गतिविधियां संदिग्ध हैं। असम सरकार ने इन मदरसों को बुलडोजर से गिराने का काम शुरू किया है। असम सरकार पहले ही कह चुकी है कि वो मदरसा शब्द की खत्म करना चाहती है। मुख्यमंत्री हेमंत कह चुके हैं कि मुस्लिम बच्चों के लिए विज्ञान, गणित, अंग्रेजी जैसे विषय जरूरी हैं। यूपी सरकार भी मदरसों में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का काम शुरू कर चुकी है, जिसको लेकर उलेमाओं में बेचैनी है।
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