भारत में शिक्षारत कुल 35 करोड़ छात्रों की संख्या पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका की जनसंख्या से अधिक है। इसी प्रकार उच्च शिक्षा में अध्ययनरत छात्रों की 3.5 करोड़ संख्या पूरे कनाडा की जनसंख्या से अधिक है। इतनी बड़ी संख्या में अध्येताओं में रोजगार योग्य कौशल का विकास एक बड़ी चुनौती है। विद्यार्थियों को अपने निर्दिष्ट ध्येय क्षेत्र के अनुरूप कौशल को प्राप्त करने की आवश्यकता है।
शिक्षा का मूल उद्देश्य छात्रों को जीविकोपार्जन योग्य एक अच्छा मानव व उत्तम नागरिक बनाना होता है। आजीविका स्वरोजगार के रूप में हो अथवा नौकरी के रूप में, उसके लिए व्यक्ति में आवश्यक योग्यता व कौशल का होना आवश्यक है। यह योग्यता व कौशल विकसित करना शिक्षा का दायित्व है। लेकिन, वर्तमान में देश के नियोक्ता उच्च व तकनीकी शिक्षा प्राप्त आशार्थियों में अधिकांश को रोजगार या नियोजन योग्य नहीं पाते। शिक्षित युवक-युवतियों में अपना उद्यम स्थापित कर स्वरोजगाररत होने योग्य आत्मविश्वास, अन्त:प्रेरणा व वांछित कौशल के नहीं होने से देश में बेरोजगारी, आंशिक बेरोजगारी एवं विभिन्न आजीविका से अर्जित आय की अपर्याप्तता एक गम्भीर समस्या है। प्राचीन संस्कृत वाड्मय में तो कहा गया है कि ‘‘अर्थकरी च विद्या’’ अर्थात् विद्या वही है जो व्यक्ति को अर्थोपार्जन योग्य बनाए।
भारत में शिक्षारत कुल 35 करोड़ छात्रों की संख्या पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका की जनसंख्या से अधिक है। इसी प्रकार उच्च शिक्षा में अध्ययनरत छात्रों की 3.5 करोड़ संख्या पूरे कनाडा की जनसंख्या से अधिक है। इतनी बड़ी संख्या में अध्येताओं में रोजगार योग्य कौशल का विकास एक बड़ी चुनौती है। विद्यार्थियों को अपने निर्दिष्ट ध्येय क्षेत्र के अनुरूप कौशल को प्राप्त करने की आवश्यकता है। रोजगार हेतु अच्छी नौकरी की प्राप्ति अथवा अच्छी आत्म-आजीविका अर्थात् कोई स्टार्टअप अथवा अपना उद्योग, वाणिज्य व्यापार या सेवा उपक्रम की स्थापना व उसका सफलतापूर्वक संचालन एक चुनौती है। नौकरी पाने की दृष्टि से अच्छे अंकों से परीक्षा उत्तीर्ण करने के साथ ही आवश्यक कौशल होना भी परमावश्यक है। इसके लिए शिक्षण संस्थाओं को उनकी शिक्षण विधियों में उचित शिक्षण कौशल या पेडागॉजी का समावेश करना होगा, जिससे उनके छात्रों में निम्न रोजगारपरक कौशल विकसित हो सके।
एक वर्ष पढ़ाई करने के बाद यदि छात्र पढ़ाई छोड़ता है और फिर दोबारा अपनी पढ़ाई जारी करने का मन बनाता है तो वह अपनी पढ़ाई वहीं से प्रारंभ कर सकता है, जहां से उसने अपनी पढ़ाई को छोड़ा था।
छात्र को कॉलेज के पहले वर्ष की पढ़ाई पूरी होने पर सर्टिफिकेट, दूसरे वर्ष पर डिप्लोमा व तीसरे और चौथे वर्ष में डिग्री दी जाएगी।
संचार कौशल : अच्छा और प्रभावी संचार कौशल नौकरी पाने व स्वरोजगार में सफलता हेतु अनिवार्य है जो दोनों ही अवस्थाओं में एक सकारात्मक कार्य वातावरण पोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और ऐसा व्यक्ति सभी कर्मचारियों को एक साथ बांधने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसा व्यक्ति टीम के अन्य सदस्यों के साथ प्रभावी ढंग से समन्वय और संवाद स्थापित कर लेता है। यह प्रभावी संचार मनोबल को बढ़ता है और कर्मचारियों के बीच समझ स्थापित करता है।
उच्च कार्य नैतिकता व सत्यनिष्ठा : कर्मचारियों में उनके कर्तव्यों का पालन करने के लिए उच्च नैतिकता आवश्यक है। वे कार्य को सूक्ष्म प्रबंधन पूर्वक उचित समय सीमा में पूरा कर सकें, इसके लिए उच्च कार्य नैतिकता आवश्यक है।
समय प्रबंधन क्षमता : समय प्रबंधन का कौशल छात्रों को अपने पास उपलब्ध समय में कार्य पूरा करने की प्रेरणा देता है। छात्र कार्यों को सही प्राथमिकता दें। छात्रों में अच्छे स्व-प्रबंधन कौशल और आवश्यक समय प्रबंधन, संगठन क्षमता और आत्म प्रेरणा का विकास आवश्यक है।
पहल क्षमता : छात्रों में किसी भी नवीन कार्य या योजना का सूत्रपात करने या पहल करने की क्षमता का होना आवश्यक है। नौकरी व स्वरोजगार दोनों में पहल का गुण आवश्यक है।
लचीलापन : लचीलापन न केवल समस्याओं को हल करने में सहायता देता है, वरन व्यक्ति को विफलताओं से उबरने में भी मदद करता है। हर परिस्थिति से समायोजन हेतु लोचशीलता का होना आवश्यक है।
रचनात्मकता : छात्रों में रचनात्मकता हेतु शिक्षण में समस्या के समाधान आधारित अभिगम व परियोजना आधारित अभिगम का प्रयोग करना चाहिए।
नेतृत्व कौशल : नेतृत्व कौशल नौकरी व स्वरोजगार, दोनों के लिए सबसे अच्छे कौशल में से एक है जिसे कई नियोक्ता भर्ती के दौरान उम्मीदवारों में देखते हैं। नेता अपनी टीम के सदस्यों की सर्वोत्तम क्षमताओं को बाहर लाने में सक्षम होता है और उन्हें एक निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए योजना बनाकर मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करता है।
समस्या सुलझाने की क्षमता : प्रत्येक व्यवसाय में उद्यमी को व प्रत्येक नौकरी में कर्मचारी को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए यह आवश्यक है कि छात्र भावी चुनौतियों का सामना करने और व्यक्तिगत रूप से उनका निवारण करने में सक्षम हों। समस्या समाधान कौशल का तात्पर्य कार्यस्थल पर चुनौतीपूर्ण स्थितियों को कुशलतापूर्वक और उत्पादक रूप से प्रबंधित करने की क्षमता से है। यह नियोक्ताओं द्वारा सबसे अधिक मांग वाला कौशल है। यह उन कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो बड़े संगठनों और बड़ी जटिल परियोजनाओं पर काम करते हैं।
सोशल मीडिया साक्षरता : आज सोशल मीडिया सम्पूर्ण जनजीवन को बदल रहा है। इसलिए शिक्षा के माध्यम से सोशल मीडिया के उपयोग को ठीक से विकसित करना चाहिए।
उन्नत प्रौद्योगिकी का प्रबोधन : आज सभी क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का अभिनवन हो रहा है। शिक्षा छात्रों को उन्नत व आधुनिक प्रौद्योगिकी का ज्ञान कराने वाली होनी चाहिए। आज कृत्रिम बुद्धिमता नैनो तकनीक, जैव प्रौद्योगिकी जैसे अनगिनत नवीन क्षेत्र विकसित हो रहे हैं। शिक्षा में इन उदीयमान तकनीकों का समावेश होना चाहिए।
कोडिंग और प्रोग्रामिंग कौशल : आज कम्प्यूटर ज्ञान में कोडिंग सबसे महत्वपूर्ण है और वर्तमान के साथ ही भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक आवश्यक कौशल है। हर कोई एक कोडर या प्रोग्रामर नहीं बनने जा रहा है, लेकिन प्रोग्रामिंग एक समस्या को सुलझाने के दृष्टिकोण को तार्किक और रचनात्मक तरीके से हल करने में मदद करती है। कोड करने में समक्ष लोगों के लिए और कई प्रोग्रामिंग भाषाओं को समझने के लिए छात्रों को कई कोडिंग/प्रोग्रामिंग नौकरियों में एक अच्छा उम्मीदवार बना देगी। साथ ही यह अपना कोई आईटी उपक्रम संचालित करने में भी उपयोगी है।
परियोजना प्रबंधन कौशल : परियोजना प्रबंधन कौशल व्यक्ति को आयोजन क्षमताओं से युक्त करता है। उद्देश्य निर्धारित कर परियोजना के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विशिष्ट चरणों के साथ कार्यक्रम निरूपण आवश्यक है। एक अच्छा परियोजना प्रबंधक होने पर छात्र प्रत्येक परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने और उसकी प्रगति को मापने, बजट निर्माण, समय सीमा निर्धारण और संसाधन अनुमान के लिए अच्छा प्रबन्धक सिद्ध होगा।
डेटा विश्लेषिकी कौशल : आज हम डेटा से संचालित विश्व में प्रवेश कर रहे हैं। पर कोई भी डेटा तब तक अर्थहीन ही होता है जब तक कि उसका विश्लेषण व व्याख्या न की जाए। इस प्रकार जो डेटा को सफलतापूर्वक समझ सकते हैं और उनका उपयोग कर सकते हैं, वे आमतौर पर शीघ्र सफलता प्राप्त करने वाले होते हैं। निजी व्यवसाय भी आज डेटा पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं। ग्राहकों के डेटाबेस विश्लेषण विपणन के लिए, उत्पाद की गुणवत्ता के लिए आवश्यक है। डेटा विश्लेषण कौशल अधिकांश नियोक्ताओं द्वारा मूल्यवान अच्छे रोजगार कौशलों में से एक है। इसलिए पाठ्यक्रमों में डेटा विश्लेषण के विषयों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
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