तालिबान महिलाओं पर लगातार अपने पाषाणयुगीन शरियाई कायदे थोपना जारी रखे हुए है। अफगानिस्तान में महिलाओं की पढ़ाई से तौबा, बाहर घूमने से तौबा, किसी से मिलने-मिलाने से तौबा, अकेले सफर से तौबा, सियासत और दफ्तरों से तौबा और खुलेआम सूरत दिखाने से तौबा कराने के बाद अब नया फरमान जारी हुआ है। इसमें कहा गया है कि कोई दुकान वाला बिना हिजाब पहने दुकान पर आई महिला को सौदा नहीं देगा, अगर देगा तो कड़ी सजा भुगतेगा।
अफगानिस्तान के बाख सूबे में दुकानदारों को ये फरमान पहुंचा दिया गया है। बताते हैं वहां किसी तालिबानी अधिकारी ने महिलाओं को बिना हिजाब बाहर आकर दुकानों से सामान लेते ज्यादा देखा है, इसलिए फरमान पहले वहीं सुनाया गया है। फरमान कहता है कि दुकानदार बिना हिजाब पहने आने वाली महिलाओं को सामान बेचने से बाज आ जाएं। नया आदेश कहता है कि अगर कोई दुकानदार हिजाब न पहनने वाली महिला को कोई सौदा देते पाया गया तो उसे कड़ी सजा देने का प्रावधान किया गया है। दिलचस्प बात है कि ये फरमान मजारे-शरीफ शहर में मौजूद मशहूर ‘ब्लू मस्जिद’ की तरफ से जारी हुआ है।
यह कोई छुपा तथ्य नहीं है कि अफगानिस्तान में तालिबान के दोबारा सत्ता में आने के बाद से महिलाओं को लगातार निशाने पर रखा जा रहा है। शरिया के कायदों को जबरन थोपते हुए, महिलाओं को हिजाब, बुर्के में ढके रहने को मजबूर किया जा रहा है। ज्यादा दिन नहीं बीते जब एक तालिबान मुल्ला ने कहा था कि जो मुस्लिम महिला हिजाब नहीं पहनती वह जानवर के बराबर है। लड़कियों के लिए तंग कपड़े और फैशन करने पर प्रतिबंध लगे हैं। इस फरमान के तो कंधार शहर में पोस्टर लगाए गए थे। तालिबान की कट्टर इस्लामी सरकार साफ कहती है कि सभी अफगानी महिलाओं को हिजाब में ढके रहना चाहिए।
जैसा पहले बताया गत मार्च महीने में तालिबान ने महिलाओं पर कठोरता बढ़ाते हुए फरमान सुनाया था कि पुरुष और महिलाएं एक ही दिन एंटरटेनमेंट पार्क में नहीं जाएंगे। अब वहां महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस तक देने पर पाबंदी लगा दी गई है, दुकानों के बाहर महिलाओं की तस्वीर वाले साइन बोर्ड दिखने पर दुकानदार की खैर नहीं।
आज अफगानिस्तान में 10 हजार से ज्यादा लड़कियां माध्यमिक विद्यालयों से बाहर की जा चुकी हैं। महिलाओं को कई सरकारी नौकरियों से बाहर कर दिया गया है। तालिबान प्रमुख हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने खुद एक फरमान जारी करके कहा था कि महिलाओं को तो घर पर ही रहना चाहिए। यदि उन्हें बाहर जाना भी पड़े तो सिर से पैर तक बुर्का ओढ़कर निकलें।
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