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होम भारत

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बैंकों की दिलचस्पी

भारतीय बैंकरों का मानना है कि अगले दो साल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग बहुत बढ़ जाएगा। कई बैंकों ने एआई आधारित चैटबॉक्स और बैंकिंग रोबोट के माध्यम से काम करना शुरू कर दिया है

बालेन्दु शर्मा दाधीच by बालेन्दु शर्मा दाधीच
Sep 3, 2022, 03:06 pm IST
in भारत, विज्ञान और तकनीक
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भारतीय बैंकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स की ताकत का अहसास है और उनमें से अनेक बैंक कुछ हद तक इनका प्रयोग भी कर रहै हैं। एक्सेंचर बैंकिंग टेक्नोलॉजी विजन 2018 नामक रिपोर्ट में 83 प्रतिशत भारतीय बैंकरों ने विश्वास जताया

अच्छी बात है कि भारतीय बैंकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स की ताकत का अहसास है और उनमें से अनेक बैंक कुछ हद तक इनका प्रयोग भी कर रहै हैं। एक्सेंचर बैंकिंग टेक्नोलॉजी विजन 2018 नामक रिपोर्ट में 83 प्रतिशत भारतीय बैंकरों ने विश्वास जताया था कि अगले दो साल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही होगी। यह दुनिया के बैंकरों के प्रतिशत से ज्यादा था जहां 79 प्रतिशत ने यही बात कही थी।

फिक्की ने इस साल के शुरू में प्राइसवाटरहाउस कूपर्स के साथ मिलकर एक अध्ययन करवाया था जिसका नाम था- अनकवरिंग द ग्राउंड ट्रुथ : एआई इन इंडियन फाइनेंशियल सर्विसेज। इसमें 55 प्रतिशत वित्तीय संस्थानों ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त देने की ताकत रखती है। चूंकि अहसास है तो जाहिर है कि बैंकिंग सेक्टर में धीरे-धीरे ऐसी तकनीकों का इस्तेमाल रफ्तार पकड़ेगा। फिलहाल जालसाजी रोकने, ग्राहकों के बुनियादी सवालों के जवाब देने, पहचान प्रमाणित करने जैसे कामों के लिए इसका प्रयोग हो रहा है। कुछ फिनटेक कंपनियां संभावित ग्राहकों की खोज के लिए भी डेटा का विश्लेषण करने लगी हैं। चैटबॉट, यानी ग्राहकों से संवाद करने में सक्षम आनलाइन सॉफ़्टवेयर टूल काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। दूसरे बैंक भी इनसे सीख या प्रेरणा, जो भी वे उचित समझें, ले सकते हैं।

मिसाल के तौर पर भारतीय स्टेट बैंक ने मई 2018 में एसबीआई इंटेलिजेंट एजेंट नाम का चैटबॉट शुरू किया था जो किसी बैंक प्रतिनिधि की ही तरह ग्राहकों के रोजमर्रा के सवालों के जवाब दे सकता है। यह हर सेकेंड में दस हजार लोगों के सवालों के जवाब देने में सक्षम है।

बैंक आफ बड़ौदा ने एक उच्च तकनीक आधारित डिजिटल ब्रांच ही खोल दी है जिसमें बड़ौदा ब्रेनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोबोट और वाइफाइ डिजिटल लैब की मदद ली जाती है।

इंडसइंड बैंक ने अमेजॉन की तरफ से लाए गए आभासी सहायक अलेक्सा के जरिए अपने ग्राहकों को वित्तीय और गैर-वित्तीय लेनदेन की सुविधा देना शुरू किया है। इसके लिए एक अलेक्सा स्किल विकसित किया गया है जिसका नाम है ‘इंडस असिस्ट।’ आप जानते ही होंगे कि अलेक्सा इंटरनेट कनेक्टिविटी से युक्त एक हार्डवेयर उपकरण है जिसके साथ हम बात कर सकते हैं और बोलकर ही उसे निर्देश दे सकते हैं।

यस बैंक ने बैंकिंग चैटबॉट और कर्ज उत्पाद का विकास किया है जिसे ‘यस एमपावर’ नाम दिया गया है। यह अपने ग्राहकों को चौबीसों घंटे ऐसे सवालों के जवाब देने में सक्षम है जो उनके खातों से या बैंकिंग के कामकाज से जुड़े हों। ग्राहकों को बैंक खुलने तक इंतजार करने या पंक्ति में खड़े होने की जरूरत नहीं है।

 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारतीय बैंकों की दिलचस्पी है और वे शुरुआती तौर पर बॉट्स आदि का विकास करके धीमे कदम बढ़ा रहे हैं। इस बीच तकनीकी मुद्दों पर बेहतर जागरूकता लाने और लोगों को नवाचार के लिए प्रेरित करने का सिलसिला भी शुरू हुआ है। इस संदर्भ में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा कराया गया एक हैकाथॉन खास तौर पर उल्लेखनीय है जिसका नाम है- कोड फॉर बैंक। इस तरह के हैकाथॉन बैंकिंग कर्मचारियों को न सिर्फ आधुनिक तकनीकों के करीब लाते हैं, बल्कि उनके नए-नए विचारों का लाभ उठाने का मौका भी देते हैं।

कैनरा बैंक ने भी ग्राहकों के साथ संवाद के लिए ‘मित्र’ नाम का ह्यूमनॉइड रोबोट विकसित किया है। ह्यूमनॉइ़ड रोबोट का मतलब है इंसान जैसा दिखने वाला मशीनी मानव जो कंप्यूटर प्रणालियों के जरिए संचालित होता है।

एचडीएफसी बैंक लिमिटेड ने भी मार्च 2017 में ‘इवा’ नामक एआई आधारित चैटबॉट शुरू किया था। यह हजारों स्रोतों से जवाब इकट्ठे करके ग्राहकों के सवालों का उत्तर देने में सक्षम है। इसी बैंक ने नवंबर 2020 में स्मार्टहब मर्चेंट सोल्यूशंस 3.0 नाम की इंटीग्रेटेड बैंकिंग और भुगतान समाधान परियोजना शुरू की थी जिसके तहत रिटेल ग्राहक और कारोबारी लोग तुरंत चालू खाता खोल सकते हैं और आनलाइन भुगतान लेना शुरू कर सकते हैं।

आईसीआईसीआई बैंक ने चेहरे तथा ध्वनि की पहचान, नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, मशीन लर्निंग और बॉट्स जैसी कई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित प्रणालियां विकसित की हैं जिनका इस्तेमाल दो सौ से ज्यादा प्रक्रियाओं में किया जा रहा है। इन प्रक्रियाओं में सूचनाएं इकट्ठी करना, रुझानों की पहचान करना, डेटा एंट्री और प्रमाणीकरण करना, स्वचालित ढंग से फॉरमैटिंग करना और अलग-अलग माध्यमों से जाने वाले संदेश तैयार करना शामिल है। सिटी यूनियन बैंक ने लक्ष्मी नामक बैंकिंग रोबोट विकसित किया है जो 125 से ज्यादा मुद्दों पर ग्राहकों के साथ संवाद कर सकता है। यह सामान्य सवालों के साथ-साथ कोर बैंकिंग प्रणाली से संपर्क करके भी उत्तर देता है।

इन उदाहरणों से जाहिर है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारतीय बैंकों की दिलचस्पी है और वे शुरुआती तौर पर बॉट्स आदि का विकास करके धीमे कदम बढ़ा रहे हैं। इस बीच तकनीकी मुद्दों पर बेहतर जागरूकता लाने और लोगों को नवाचार के लिए प्रेरित करने का सिलसिला भी शुरू हुआ है। इस संदर्भ में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा कराया गया एक हैकाथॉन खास तौर पर उल्लेखनीय है जिसका नाम है- कोड फॉर बैंक। इस तरह के हैकाथॉन बैंकिंग कर्मचारियों को न सिर्फ आधुनिक तकनीकों के करीब लाते हैं, बल्कि उनके नए-नए विचारों का लाभ उठाने का मौका भी देते हैं।

(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में ‘निदेशक-स्थानीय भाषाएं
और सुगम्यता’ के पद पर कार्यरत हैं)

Topics: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसडेटा एनालिटिक्सह्यूमनॉइड रोबोटभारतीय बैंक
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