मुसलमान-बहुल इलाकों और गांवों में हिंदुओं का रहना दूभर होता जा रहा है। ताजा मामला हजारीबाग जिले के बड़कागांव थाने के अंतर्गत आने वाले गांव सिरमा का है। यहां लगभग 600 मुसलमान परिवार और तीन-चार हिंदू परिवार रहते हैं।
झारखंड का तालिबानीकरण होता जा रहा है। सब कुछ जानते हुए भी राज्य की सेकुलर सरकार कुछ नहीं कर रही। इस कारण मुसलमान-बहुल इलाकों और गांवों में हिंदुओं का रहना दूभर होता जा रहा है। ताजा मामला हजारीबाग जिले के बड़कागांव थाने के अंतर्गत आने वाले गांव सिरमा का है। यहां लगभग 600 मुसलमान परिवार और तीन-चार हिंदू परिवार रहते हैं।
10 अगस्त की रात गांव के कुछ जिहादी तत्व स्वर्गीय तुलसी साव के घर में घुस गए। इन लोगों ने उनकी बड़ी बेटी सुमन कुमारी और छोटी बेटी को घसीटते हुए घर से बाहर निकाला, गांव के एक कोने में ले जाकर जमकर पीटा और फिर उठक-बैठक लगवाई। इसी बीच किसी ने पूरे घटनाक्रम का एक वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। इसके बाद यह मामला गांव से बाहर पहुंचा।
सुमन कुमारी का दोष केवल इतना था कि उसने कुछ दिन पहले अपने वाट्सअप में एक वीडियो साझा किया। इस वीडियो में एक मकान पर फहरा रहे पाकिस्तानी झंडे को उतार कर भगवा झंडा फहराया जाता दिख रहा है। पीड़िता सुमन कुमारी की मां किरण देवी ने बताया, ‘‘उस रात करीब 8:30 बजे मुखिया इशरत जहां का बेटा मोहम्मद वसीम, सबीबुल्लाह, मोहम्मद नाजिम, मोहम्मद साकिब, मोहम्मद तौकीर, मोहम्मद आशिफ समेत दर्जनों की संख्या में मुसलमान युवक मेरे घर में जबरन घुसे। वे गालियां देते हुए मेरी दोनों बेटियों को खींचते हुए अपने साथ ले गए। दोनों की पिटाई की गई और छेड़छाड़ भी की गई। इसके बाद रात भर पूरा परिवार दहशत में रहा।’’
हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों को किरण और उनकी बेटियों के साथ हुई घटना की जानकारी हुई तो उनके कार्यकर्ता सड़कों पर उतर गए। कुछ कार्यकर्ताओं ने अनिश्चिकालीन अनशन भी शुरू किया। दबाव पड़ने पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। इसके बाद अनशन समाप्त कर दिया गया।
जिहादी तत्वों ने इस परिवार पर ऐसा दबाव बनाया कि वह शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस के पास न जाकर गांव के उन लोगों के पास गया, जो कहने को तो ‘इज्जतदार’ हैं, लेकिन जिहादी सोच से ऊपर नहीं उठ पाए हैं। ये हैं गांव के सदर मोहम्मद हलील, सचिव प्रोफेसर फजरुद्दीन और पंचायत समिति सदस्य शबनम परवीन के पति मोहम्मद इरफान। किरण देवी इन तीनों के पास न्याय की गुहार लगाने गर्इं। वहां उन्हें न्याय तो नहीं मिला, उलटे रात में जिन जिहादियों ने उनकी बेटियों को पीटा था, उन्होंने किरण के साथ भी मारपीट की। कुछ ने उनके साथ अश्लील हरकत भी की। यह सब उपरोक्त ‘इज्जतदार’ लोगों के सामने हुआ।
किरण का कहना है कि गांव में मुसलमानों की आबादी बहुत हो गई है और अब उन्हें सुरक्षा नहीं मिली तो उनके पास पलायन के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा। उन्हें डर है कि उनकी बेटियों के साथ कभी भी बड़ी घटना घट सकती है।
जब कुछ हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों को किरण और उनकी बेटियों के साथ हुई घटना की जानकारी हुई तो उनके कार्यकर्ता सड़कों पर उतर गए। कुछ कार्यकर्ताओं ने अनिश्चिकालीन अनशन भी शुरू किया। दबाव पड़ने पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। इसके बाद अनशन समाप्त कर दिया गया। हालांकि हजारीबाग के पुलिस अधीक्षक मनोज रतन चौथे मानते हैं कि पुलिस ने कार्रवाई करने में कोई देर नहीं की।
‘पाञ्चजन्य’ को एक संदेश भेजकर उन्होंने बताया कि एफआईआर दर्ज होते ही आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई की गई और मोहम्मद नदीम और मोहम्मद साकिब को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन पुलिस यह नहीं बता रही कि घटना के तीन दिन बाद एफआईआर दर्ज क्यों हुई? बता दें कि दबाव पड़ने पर 14 अगस्त को एफआईआर दर्ज की गई। खैर, इस रपट के लिखे जाने तक शेष आरोपियों ने भी आत्मसमर्पण कर दिया था।
जुम्मे को छुट्टी
झारखंड में जिहादी तत्वों के दबाव के कारण मुस्लिम-बहुल क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों में जुम्मे के दिन अवकाश होने लगा है। हालांकि राज्य के शिक्षा मंत्री का कहना है कि अब ऐसा नहीं होता, लेकिन हमारे सूत्रों ने बताया कि जामताड़ा में अभी भी ऐसा हो रहा है। स्थानीय विधायक इरफान अंसारी के संरक्षण में सरकारी विद्यालयों में जुम्मे को छुट्टी होती है।
विधायक की शर्मनाक हरकत
इस मामले में कांग्रेस की स्थानीय विधायक अंबा प्रसाद की भूमिका बहुत ही शर्मनाक रही। उन्होंने आरोपी मुसलमान युवकों को बचाने के लिए सारी हदें पार कर दीं। अंबा एक दिन गांव पहुंचीं। उन्होंने पीड़ित दोनों लड़कियों से कहा कि तुम लोग गांव में तभी रह सकते हो जब गांव के लोग तुम्हारे समर्थन में रहेंगे। इसलिए आरोपी युवकों को माफ करो। इसके बाद उन्होंने उन पर दबाव डालकर आरोपी लड़कों को राखी बंधवा दी।
अंबा ने यह सब इसलिए करवाया, ताकि पीड़ित परिवार आरोपियों के विरुद्ध दर्ज मामले को वापस ले ले। लेकिन पीड़ित परिवार ने ऐसा करने से मना कर दिया। पीड़िता सुमन कुमारी ने स्पष्ट कहा कि जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलेगी, तब तक वह चुप नहीं रहेगी। सुमन के इस रुख के बाद शेष आरोपियों ने आत्समर्पण कर दिया।
हालांकि आरोपियों ने पीड़ित परिवार को झुकाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने गांव में सांप्रदायिकता बढ़ाने का आरोप लगाकर दोनों बहनों और उनकी मां के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाया। पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर चुके अमन कुमार का कहना है कि जो पुलिस पहले पीड़ित परिवार का मामला तक दर्ज नहीं कर रही थी, उसने बाद में पीड़ित परिवार पर भी मुकदमा दर्ज कर लिया। ऐसा पीड़ित परिवार को परेशान करने के लिए किया गया। इसलिए पुलिस पीड़ित परिवार के विरुद्ध दर्ज मामले को वापस ले। भाजपा नेता और सांसद प्रतिनिधि पूनम साहू का कहना है कि झारखंड में तुष्टीकरण की राजनीति चरम पर है। इस कारण पुलिस भी निष्पक्ष होकर काम नहीं कर पा रही।
सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल महतो ने तो बहुत ही गंभीर बात बताई। उन्होंने कहा, ‘‘झारखंड में कोई हिंदू पीड़ित पुलिस के पास पहुंचता है, तो उसकी सुनवाई नहीं होती है। वहीं दूसरी ओर यदि कोई मुसलमान या ईसाई किसी हिंदू की शिकायत करता है, तो पुलिस तुरंत कार्रवाई करती है।’’
बांग्लादेशी और रोहिंग्या
साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा, दुमका जैसे अनेक जिलों में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए और रोहिंग्या मुसलमान बसाए जा रहे हैं। अब इन लोगों की आबादी इतनी बढ़ गई है कि संथाल परगना के अनेक कस्बे मुस्लिम-बहुल हो गए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि शायद पुलिस को सरकार की ओर से सख्त निर्देश है कि यदि पीड़ित हिंदू हो तो उसकी सुनो नहीं और जब पीड़ित कोई मुसलमान या ईसाई हो तो हर काम छोड़कर आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई करो। गोपाल की ये बातें बिल्कुल सही लगती हैं। एक हिंदू मां और उसकी दो बेटियों के साथ जिहादियों ने जो किया, वह बहुत ही चिंताजनक और शर्मनाक है। इसके बावजूद पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। कार्रवाई तब हुई जब हिंदू कार्यकर्ता सड़क पर उतरे, धरने पर बैठे। इसलिए पुलिस पर तो सवाल उठता ही है।
अंत में यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि झारखंड में जो हो रहा है, वह बहुत ही खतरनाक है। समय रहते जिहादी तत्वों पर लगाम नहीं कसी गई तो आने वाले समय में झारखंड भी कश्मीर घाटी की राह पकड़ सकता है। यहां पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) जैसे अनेक संगठनों से जुड़े तत्व बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों को संरक्षण देकर जनसंख्या में असंतुलन पैदा कर रहे हैं। इसे देखते हुए ही पिछले दिनों गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में कहा था, ‘‘झारखंड का इस्लामीकरण हो रहा है। सरकार कुछ करे।’’
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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