पिछले साल में अगस्त माह में अफगानिस्तान पर कट्टर इस्लामी तालिबान का कब्जा हुआ था। उसके साथ ही आधुनिक दौर में जीने की राह पर बढ़ रहे अफगानियों को सत्ता में नए काबिज हुए तालिबान ने एक बार फिर शरियत के नाम पर धीरे-धीरे पाषाण युग में लौटाने के कदम बढ़ाने शुरू किए। आधुनिक लिबास, पढ़ाई-लिखाई आदि सहित कला-साहित्य और सिनेमा आदि मनोरंजन के साधनों पर शिकंजा कस दिया।
लेकिन हाल में वहां से छनकर आई एक खबर लोगों के आश्चर्य की वजह बन रही है। खबर यह है कि जल्दी ही अफगानिस्तान में एक साल से बंद सिनेमाघरों को खोला जाएगा। उनमें फिल्में और वृत्त चित्र दिखाए जाएंगे।
जहां इस खबर को लेकर बहुत से अफगानी खुश हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर ऐसे भी अनेक लोग हैं जो इस खबर पर संदेह कर रहे हैं और इसे बस एक दुष्प्रचार मान रहे हैं। एक वर्ग ऐसा भी है जो फिल्मों में महिलाओं को, महिला कलाकारों को अनदेखा करने की तालिबानी नीति का विरोध कर रहा है।

आज अफगानी फिल्मों में महिला किरदार निभाने वाली कलाकार के नाम पर सिर्फ एक नाम है। बाकी सब नदारद हैं। कुछ डर से इस क्षेत्र को छोड़कर चली गईं, कुछ काम न मिलने की आशंका से दूसरे व्यवसायों में लग गईं।
लेकिन फिलहाल तो, देश के सिनेमाघर कुर्सियां झाड़-पोंछकर, झाड़ू-पोंछा लगवाकर हॉल को तैयार करने में लगे हैं। उन्हें तो उम्मीद है कि दर्शक लौटेंगे, फिल्मों का प्रदर्शन शुरू होगा।
अफगानिस्तान की प्रसिद्ध समाचार एजेंसी खामा प्रेस का समाचार है कि सिनेमाघरों में प्रदर्शन के लिए इस वक्त 37 फिल्में और डॉक्यूमेंट्री फिल्में पर्दे पर आने की कतार में हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि इन फिल्मों में सिर्फ एक फिल्म में एक महिला कलाकार, आतिफा मोहम्मदी ही नजर आने वाली हैं, वही अकेली अभिनेत्री हैं।
हालांकि फिल्मों के अभिनेता सिनेमाघरों के फिर से खुलने की खबर से खुश नजर आ रहे हैं। उनका कहना है अफगान फिल्म उद्योग के पास पैसा नहीं है, अगर इसमें पैसा मिल जाए तो इसमें भी जान आ जाए। फिल्मों के निर्माण के लिए धन का इंतजाम करना होगा।
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