अखिल भारतीय रैंकिंग में भी दिल्ली 10वीं के नतीजों में शीर्ष-10 से भी नीचे आ गई। आम आदमी पार्टी शिक्षा व्यवस्था को बेहतर तो नहीं कर पाई परंतु आबकारी नीति के जरिए दिल्ली के युवाओं को नशे में डुबाने की कोशिश भरपूर की। अब जब दिल्ली सरकार की शराब की बोतल फूटी है तो उससे बही हर बूंद जितनी गड़बड़ियां और घोटाले सामने आ रहे हैं।
आम आदमी पार्टी शिक्षा क्षेत्र में अपने किए कथित कार्यों के बड़े-बड़े दावे करती थी पर शराब पर चुप रहती थी। बेहतर शिक्षा की पोल तो तब खुल गई जब जुलाई, 2022 में सीबीएसई के 10वीं और 12वीं के नतीजे आए। दिल्ली के निजी विद्यालयों का पास प्रतिशत सरकारी विद्यालयों से बेहतर रहा। अखिल भारतीय रैंकिंग में भी दिल्ली 10वीं के नतीजों में शीर्ष-10 से भी नीचे आ गई। आम आदमी पार्टी शिक्षा व्यवस्था को बेहतर तो नहीं कर पाई परंतु आबकारी नीति के जरिए दिल्ली के युवाओं को नशे में डुबाने की कोशिश भरपूर की। अब जब दिल्ली सरकार की शराब की बोतल फूटी है तो उससे बही हर बूंद जितनी गड़बड़ियां और घोटाले सामने आ रहे हैं।
19 अगस्त को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के घर पर सीबीआई का छापा चल रहा था। तब सिसौदिया ने अपने ट्वीट में सफेद झूठ लिखा कि छापा शिक्षा मंत्री के घर पड़ा है। इस छापे का शिक्षा से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था। यह छापा दिल्ली के आबकारी मंत्री के घर पड़ा था। प्रसंगवश दिल्ली पूरे देश में इकलौता ऐसा राज्य है जहां शिक्षा और शराब के ठेकों का मंत्रालय एक ही व्यक्ति के पास है। इसलिए दिल्ली के इन दो मंत्रालयों के इकलौते मंत्री को सुबह छह बजे स्कूल जाना पड़ता है और शाम को छह बजे ठेका।
दर्ज हुई एफआईआर
मनीष सिसौदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने 17 अगस्त को ही एफआईआर दर्ज कर ली थी। इस एफआईआर में उस एक करोड़ रुपये की बात भी लिखी है, जिसे सिसौदिया ने गलत ठहराया। सिसौदिया पर लगे इस एक करोड़ रुपये में हिस्सेदारी के आरोप का पूरा मामला कुछ यूं है कि आरोपी समीर महेंद्रू मेसर्स इंडोस्प्रिट्स के एमडी हैं। उन्होंने 1 करोड़ रुपये मेसर्स राधा इंडस्ट्रीज के राजेंद्र प्लेस स्थित यूको बैंक के खाते में ट्रांसफर किए। बताया जाता है कि राधा इंडस्ट्रीज मनीष सिसौदिया के बेहद करीबी दिनेश अरोड़ा की है। इससे शक जाता है कि दिनेश के जरिए लाभ मनीष सिसौदिया तक पहुंचा।
बात सिर्फ एक करोड़ की नहीं थी। इसलिए एफआईआर होने के दो दिनों के बाद 19 अगस्त को सिसौदिया के आवास समेत 07 राज्यों में, 21 जगहों पर सुबह आठ बजे से रात के आठ बजे तक, बारह घंटे तक सीबीआई की छापेमारी चली। लौटते समय सीबीआई के अधिकारी सिसौदिया और उनके परिवार के सदस्यों के फोन और लैपटॉप अपने साथ ले गए। छापेमारी के बाद सिसौदिया के अलावा 7 आरोपियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया। नोटिस जारी होने के बाद अब ये लोग देश छोड़कर नहीं जा सकते।
सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि शराब कारोबारी समीर महेंद्रू आबकारी नीति बनाने और उसे लागू करने में हुई कथित अनियमितताओं में शामिल थे। समीर महेंद्रू को सिसौदिया का करीबी कहा जा रहा है। अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे का नाम भी एफआईआर में शामिल है। ये तीनों सिसौदिया के करीबी हैं। आरोप है कि इन्होंने सरकारी अधिकारियों की मदद लेकर शराब लाइसेंसधारियों से पैसा इकट्ठा किया और उस पैसों को दूसरी जगह भिजवा दिया। इस मामले में सहयोग करने वाले सरकारी अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है। तीन पूर्व सरकारी अफसर एजी कृष्णा (पूर्व आबकारी आयुक्त), आनंद तिवारी (पूर्व आबकारी उपायुक्त) और पंकज भटनागर (पूर्व सहायक आबकारी आयुक्त) पर सीबीआई ने आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार से जुड़ी धाराओं में केस दर्ज किया है। मनीष सिसौदिया, तीन पूर्व सरकारी अफसर, 9 कारोबारी और दो कंपनियों को मिलाकर कुल 15 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा एफआईआर में 16वें नंबर पर सरकारी और गैर सरकारी अज्ञात लोगों के नाम दर्ज हैं। इसका अर्थ है कि जांच एजेंसी भविष्य में कुछ और लोगों के नाम भी एफआईआर में जोड़ सकती है।
सीबीआई को जानकारी मिली कि एल-1 लाइसेंसधारक, खुदरा विक्रेताओं को क्रेडिट नोट जारी कर रहे हैं, जिसका मकसद सरकारी अधिकारियों को फायदा पहुंचाने के लिए फंड घुमाना था। इसके बदले में ये खातों में फर्जी एंट्री कर अपना रिकॉर्ड ठीक दिखा रहे थे। मतलब दिल्ली में पैसों का बड़ा हेर-फेर चल रहा था।
एफआईआर में ये भी लिखा गया है कि आरोपी अरुण रामचंद्र पिल्लई गलत तरीके से पैसा इकट्ठा कर विजय नायर नाम के एक शख्स के जरिए आबकारी अधिकारियों को पहुंचाया करता था।
भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी के अनुसार नई शराब नीति के तहत नियमों का उल्लंघन कर शराब ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया गया। नियम के अनुसार उत्पादक, वितरक और खुदरा विक्रेता एक नहीं होने चाहिए। आपस में किसी तरह से संबद्ध नहीं होने चाहिए। प्रत्यक्ष या अपरोक्ष रूप से कोई संबंध नहीं होना चाहिए। जबकि महादेव कंपनी, बड़ी पंजाब कंपनी उत्पादन, थोक वितरक और खुदरा बिक्री तीनों में है।
सीबीआई के बाद सिसौदिया के मामले में जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी सामने आ गया है। ईडी ने धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं में मामला दर्ज किया है। इस तरह सिसौदिया पर आई मुसीबत थमती हुई दिखाई नहीं दे रही।
कैसे हुआ खुलासा
दिल्ली के मुख्य सचिव ने एक रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें आबकारी नीति में गड़बड़ी होने का आरोप लगाया गया था। यह रिपोर्ट दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पास आई। उनके कार्यालय से यह रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी गई जिसमें सीबीआई जांच की सिफारिश भी की गई थी।
इस रिपोर्ट में जीएनसीटीडी (गवर्नमेंट आफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी आफ दिल्ली) अधिनियम 1991, ट्रांजेक्शन आफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली आबकारी अधिनियम 2009 और दिल्ली आबकारी रूल्स 2010 के नियमों के उल्लंघन की बात लिखी गई थी। इसी आधार पर ही सीबीआई ने एफआईआर दर्ज किया। सिसौदिया समेत सरकारी अफसरों पर आरोप है कि सक्षम अथॉरिटी से मंजूरी लिए बगैर ही उन्होंने आबकारी नीति बना ली जिसका उद्देश्य टेंडर के बाद कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाना था।
आबकारी नीति के तहत समीर मारवाह की महादेव लिकर्स को एल-1 लाइसेंस दिया गया था। आरोप है कि शराब के बड़े कारोबारी पॉन्टी चड्ढा की कंपनी के बोर्ड में शामिल मारवाह आरोपी सरकारी अधिकारियों के नजदीकी संपर्क में था और वह उन्हें नियमित तौर पर रिश्वत दे रहा था। पंजाब चुनाव से ठीक पहले दिल्ली की आबकारी नीति में परिवर्तन और पंजाब के चुनाव में पार्टी द्वारा दोनों हाथों से लुटाया गया पैसा—इससे यह संदेह पैदा होता है कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब का अपना चुनाव दिल्ली के पैसे से लड़ा है। शराब से हुई आमदनी का एक बड़ा हिस्सा हवाला के जरिए पंजाब पहुंचा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जांच एजेन्सियों की नजर स्टैन्डअप कॉमेडियन, सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर और मनोरंजन उद्योग से जुड़े लोगों सहित 50 अन्य व्यक्तियों की विदेश यात्राओं पर है। विवादों में रहने वाले पंजाब के एक स्टैन्डअप कॉमेडियन का भी नाम इस मामले में सामने आ रहा है। इस सूची में हैदराबाद से जुड़े विभिन्न व्यक्ति और कंपनियां भी शामिल हैं, जिन्हें दिल्ली में शराब की बिक्री के लिए लाइसेंस जारी किया गया था। जांच में एक प्रमुख नाम विजय नायर का सामने आया है। नायर का नाम भाजपा ने भी अपनी प्रेस कॉफ्रेंस में बार-बार लिया है। उन कंपनियों की एक शृंखला है जिनसे वह जुड़े हैं। जांच से जुड़े अधिकारियों के अनुसार इस मामले में हवाला वाले पहलू पर ध्यान दिया जा रहा है, जिसमें शेयर और क्रिप्टोकरंसी में वित्तीय लेन-देन शामिल है। आनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म से जुड़े लोग भी जांच के दायरे में हैं।
पार्टी के प्रवक्ता सिसौदिया की नई शराब नीति की कमियों और इसमें हुए घोटालों पर बात नहीं करना चाहते। जब टीवी चैनलों पर एंकर ने शराब घोटाले पर प्रश्न पूछा तो आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज महिला एंकर का अपमान करने से नहीं चूके। आबकारी नीति पर चल रही कई महत्वपूर्ण बहसों में आम आदमी पार्टी ने भागीदारी ही नहीं की।
बात बढ़ने लगी तो आम आदमी पार्टी इससे ध्यान भटकाने के लिए बिल्कुल इतर मामलों पर बड़े खुलासों के दावे करने की अपनी पुरानी रणनीति पर आ गई। मनीष सिसौदिया ने मीडिया के सामने आकर आरोप लगाया कि उन्हें भाजपा के एक नेता ने पार्टी तोड़कर भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है। बदले में उनके ऊपर चल रहे सारे मुकदमे वापस लेने की बात थी। उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की बात थी। परंतु सिसौदिया ने फोन करने वाले कथित भाजपा नेता का न नाम सार्वजनिक किया और न ही कॉल रिकॉर्डिंग जारी की। राजनीतिक समझ रखने वाले जानते हैं कि आम आदमी पार्टी को तोड़ना मनीष के वश की बात नहीं है। ऐसे में भाजपा उन पर दांव क्यों लगाएगी? सिसौदिया अब तक केजरीवाल के इशारे पर काम करने वाले उप मुख्यमंत्री ही हैं।
आप का शराब घोटाला
अप्रैल, 2021
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कोरोना की आड़ में शराब वितरकों का 144.36 करोड़ रुपये का लाइसेंस शुल्क माफ करने का आदेश बिना कैबिनेट की मंजूरी के दिया
मई, 2021
अरविंद केजरीवाल नीत कैबिनेट ने आबकारी नीति में बदलाव करने के लिए मनीष सिसौदिया को अधिकृत करने का फैसला किया
मई, 2021
उपराज्यपाल अनिल बैजल के उंगली उठाने पर कैबिनेट ने अपने पूर्व निर्णय को वापस ले लिया। परंतु शराब माफिया को लाभ देने वाला सिसौदिया का पूर्व निर्णय जारी रहा
8 जुलाई, 2022
दिल्ली के मुख्य सचिव ने नए उपराज्यपाल विनय सक्सेना से सिसौदिया के गैर-कानूनी निर्णयों के बारे में शिकायत की जिनसे सरकार को भारी नुकसान हो रहा था। शराब की बिक्री क्रमश: 60 प्रतिशत और 87 प्रतिशत तक बढ़ गई थी परंतु दिल्ली के राजस्व में लगभग 80 प्रतिशत की गिरावट आई थी
14 जुलाई, 2022
मुख्यमंत्री केजरीवाल और सिसौदिया ने उपराज्यपाल को अग्रिम सूचना दिए बगैर गैर-कानूनी तरीके से कैबिनेट की एक आकस्मिक बैठक बुलाई। कैबिनेट ने सिसौदिया के पूर्व गैरकानूनी आदेशों को वैध बनाने की कोशिश की
22 जुलाई, 2022
उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने दिल्ली शराब घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश दिए
30 जुलाई, 2022
केजरीवाल ने पकड़े जाने के भय से आबकारी नीति वापस लेने की घोषणा की
तथ्य और आंकड़ों में सिसौदिया-घोटाला
- मुख्य सचिव की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई के नाम पर शराब ठेकेदारों को 144.36 करोड़ रुपये का लाइसेंस शुल्क माफ किया गया। जबकि टेंडर के दस्तावेजों में ऐसे किसी आधार पर छूट या मुआवजा देने का कहीं कोई प्रावधान नहीं था।
ल्ल सिसौदिया द्वारा टेंडर दिए जाने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया जिससे दिल्ली सरकार के खजाने को नुकसान पहुंचा है। - आबकारी विभाग के प्रभारी होने के नाते सिसौदिया ने ऐसे फैसले लिए, जिससे पैसों का हेर-फेर हुआ है। सिसौदिया ने आबकारी नीति के नियमों के अनदेखी की।
- सिसौदिया के निर्देश पर आबकारी विभाग ने एयरपोर्ट जोन के एल-1 बिडर, यानी विक्रेता को 30 करोड़ रुपये रिफंड करने का निर्णय लिया। चूंकि एल-1 बिडर एयरपोर्ट अथॉरिटीज से जरूरी एनओसी नहीं ले पाया था। ऐसे में उसके द्वारा जमा कराई गई जमानत सरकारी खाते में जानी चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वह पैसा बिडर को वापस लौट गया।
- आबकारी विभाग ने मंजूरी लिए बिना 8 नवंबर 2021 को आदेश जारी करके विदेशी शराब की कीमत तय करने का नियम बदल दिया और बियर के प्रत्येक केस पर लगने वाले 50 रुपये के आयात शुल्क को हटाकर लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ।
ल्ल टेंडर के प्रावधानों को आसान करके, जिन्होंने शराब का ठेका लिया हुआ था, उनको वित्तीय फायदा पहुंचाया गया जबकि लाइसेंस शुल्क और हर्जाना न चुकाने पर कार्रवाई होनी चाहिए थी। - दिल्ली के आबकारी नियम, 2010 के नियम 26 और 27 के अनुसार शराब बिक्री का कोई विज्ञापन और प्रचार-प्रसार नहीं किया जाना चाहिए। दिल्ली में सोशल मीडिया, बैनरों और होर्डिंग्स के जरिए शराब की बिक्री को बढ़ावा दिया गया और नियमों का उल्लंघन करने वाले लाइसेंस धारकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
- लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी किए बिना लाइसेंसधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए उनका आॅपरेशनल पीरियड पहले 1 अप्रैल 2022 से बढ़ाकर 31 मई 2022 किया गया। फिर इसे 1 जून 2022 से बढ़ाकर 31 जुलाई 2022 कर दिया गया। इसके लिए न कैबिनेट से मंजूरी ली गई और न एलजी को इसकी जानकारी दी गई।
- एक सवाल यह भी उठ रहा है कि शराब की बिक्री में बढ़ोतरी होने के बावजूद राजस्व में बढ़ोतरी के बजाय दिल्ली को 37.51 प्रतिशत कम राजस्व हासिल हुआ।
- नई नीति लागू होने से पहले तक दिल्ली में शराब की 60 दुकानें सरकारी और 40 प्राइवेट थीं। नई नीति लागू होने के बाद 100 दुकानें निजी हाथों को सौंप दी गई। सरकार का तर्क था कि इससे राजस्व के 3,500 करोड़ रुपये बढ़ने की उम्मीद है। ऐसा हुआ नहीं। वित्तीय अनियमितता की बात और सामने आ रही है।
- अब 31 अगस्त को ये नीति खत्म हो जाएगी और फिर से नई नीति लागू होगी. अब 1 सितंबर से फिर से पुरानी आबकारी नीति लागू हो जाएगी. इसके बाद शराब की दुकानें सरकारी एजेंसियां ही चलाएंगी।
सिसौदियाजी कब देंगे जवाब
- कर्नाटक मॉडल के अनुसार थोक का काम सरकार को ही करने की सिफारिश थी, इसका उल्लंघन किया गया। नॉन कंफर्मिंग एरिया में शराब की दुकानें नहीं खोलने, समूह बनाने की मनाही थी मगर इसका भी उल्लंघन किया गया।
- एल-1 यानी थोक बिक्री का कमीशन दिल्ली सरकार ने 02 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत क्यों किया?
ल्ल गांव, कॉलोनी, जहां कोई व्यावसायिक उपक्रम नहीं चल रहा, जहां डीडीए या एमसीडी की मार्केट नहीं है, वहां शराब की दुकान नहीं खोली जाएगी। जोन का आक्शन करते समय ऐसी जगहों के लिए पैसे लिये गए जहां शराब की दुकान नहीं खुलनी चाहिए थी। - एक आदमी के नाम पर एक दुकान आवंटित करनी थी। 50-100 दुकानें एकसाथ किसी एक व्यक्ति को नहीं बेचनी थीं। इस शर्त की खूब अनदेखी हुई।
- उत्पादक, वितरक और विक्रेता तीनों अलग-अलग ही होंगे। महादेव और बडी पंजाब ऐसी दो कंपनियां हैं जिन्हें तीनों ही अधिकार दिल्ली में प्राप्त हुए।
- वर्ष 2019-20 में दिल्ली में 10,000 करोड़ रुपये की शराब बिकी, 2020-20 में 7860 करोड़ रुपये की शराब बिकी। नई शराब नीति आने के बाद 07 महीने में ही दिल्ली में 10,000 करोड़ रुपये की शराब बिक गई।
- दिल्ली सरकार ने आबकारी ड्यूटी 01 प्रतिशत कर दी। 2019-20 में सरकार को आबकारी ड्यूटी से 4200 करोड़ रुपये और 2020-21 में 3300 करोड़ रुपये मिले मगर नई शराब नीति में आबकारी ड्यूटी से सिर्फ 158 करोड़ रुपए हासिल हुए।
शराब के कारण अपराध बढ़े
दिल्ली में शराब पीने के बाद अपराध की कई घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं जिससे दिल्ली का माहौल दिन प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है।
20 सितंबर, 2021 को ईस्ट लोनी रोड, एलआईजी फ्लैट्स में आशीष के घर उसके तीन अन्य दोस्तों के साथ शराब पार्टी चल रही थी। पार्टी के दौरान किसी पुरानी बात पर नशे में गाली-गलौज होने लगा। आशीष भारी पड़ा तो उसके दोस्तों अशोक नगर निवासी ऋषभ, कार्तिक एवं रितिक आनंद उसे बहाने से बाहर ले गए और और पीट-पीट कर उसे मार डाला।
न्यू अशोक नगर थाना अंतर्गत घड़ौली गांव निवासी अनिल अगस्त, 2021 में अपने दोस्त कोंडली निवासी रतन सिंह के साथ शराब पी रहा था। शराब पीने के दौरान दोनों के बीच झगड़ा हो गया। रतन ने गुस्से में आकर अनिल को ईंट मार दी। अनिल अचेत होकर गिर पड़ा तो आरोपी फरार हो गया। पुलिस ने जख्मी अनिल (40) को एलबीएस अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
13 दिसबर, 2021 को कोटला मुबारकपुर थाना क्षेत्र में उन्नाव निवासी दीपू अपने आॅटो चालक दोस्त के साथ शराब पीते हुए सट्टा खेल रहा था। इस दौरान दोनों में झगड़ा हो गया और मारपीट होने लगी। इस दौरान जानलेवा प्रहार से दीपू अचेत होकर सड़क पर गिर पड़ा। बाद में पुलिस उसे ट्रॉमा सेंटर ले गई जहां उसकी मृत्यु हो गई।
13 जनवरी, 2022 को नरेला इलाके में ए ब्लॉक निवासी रमेश शाहिद कबाड़ी के साथ रात को शराब पी रहा था। इसी बीच रुपयों के लेन-देन को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ। शाहिद ने रमेश के सिर पर डंडा मार दिया जिससे रमेश की मृत्यु हो गई।
21 फरवरी, 2021 को नंद नगरी थाना क्षेत्र के सुंदर नगरी इलाके में शराब पीने के दौरान झगड़े में तीन युवकों हाशिम, रिजवान व दानिश ने आशू खान पर ब्लेड से हमला कर दिया और फरार हो गए। घायल आशू खान को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
जहां दुकान खुल नहीं सकती, वहां भी दिए लाइसेंस
आबकारी नीति लागू होने के महज 4 महीने में यानी 31 मार्च, 2022 तक 4 जोन के कारोबारी पूरा जोन सरेंडर करके चले गए। 31 मई, 2022 तक 5 जोन कारोबारियों ने घाटे के चलते अपने जोन सरेंडर कर दिए। 15 जुलाई से 31 जुलाई, 2022 तक 10 और जोन कारोबारियों ने जोन छोड़ दिया।
घपला दर घपला
जेल में मंत्री
केजरीवाल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन जेल में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोलकाता की एक कंपनी से जुड़े हवाला लेन-देन मामले की जांच में पाया कि 2015-16 के दौरान लोक सेवक रहते जैन ने मुखौटा कंपनियों से 4.81 करोड़ रुपये प्राप्त किए। जांच के दौरान जैन इसका हिसाब नहीं दे पाए। ईडी ने अदालत को बताया कि पूछताछ में जैन ने कहा कि उन्हें कोरोना हुआ था, जिसकी वजह से उनकी याददाश्त चली गई है।
बिजली घोटाला :
मुफ्त बिजली देने के नाम पर भी केजरीवाल सरकार ने घपला किया। 2019 में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने केजरीवाल सरकार पर 10,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था। उनके मुताबिक, यह घपला बिजली वितरण कंपनियों को सब्सिडी भुगतान के नाम पर किया गया। इसमें मुफ्त बिजली पाने वाले उपभोक्ताओं का आंकड़ा बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया। केजरीवाल ने वादा किया था कि 200 यूनिट तक की सब्सिडी उपभोक्ताओं के खाते में आएगी, लेकिन भुगतान चुपचाप बिजली कंपनियों को कर दिया गया।
25 लाख का एक कमरा
आआपा पूरे देश में दिल्ली के शिक्षा मॉडल का ढिंढोरा पीटती है। लेकिन एक आरटीआई से खुलासा हुआ कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 312 कमरे 77,54,21,000 रुपये में और 12,748 कमरे 2892.65 करोड़ रुपये में बनाए गए। यानी एक कमरा बनाने में औसतन 24,85,323 रुपये की लागत आई। सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर एक कमरे पर इतनी लागत कैसे आई? यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि शिक्षा विभाग मनीष सिसौदिया के पास है।
सीएनजी घोटाला: केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में 10,000 कारों में सीएनजी किट लगावाए। भाजपा नेता कपिल मिश्रा का आरोप है कि 10 माह के भीतर ये किट फर्जी कंपनियों के जरिये लगवाए गए। उन्होंने सबूतों के साथ इसकी शिकायत की है। कपिल मिश्रा केजरीवाल सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
पीडब्ल्यूडी घोटाला: पीडब्ल्यूडी घोटाले में तो केजरीवाल के साढ़ू सुरेंद्र बंसल के बेटे विनय बंसल को एसीबी ने गिरफ्तार भी किया था। विनय पर जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी कंपनियों के नाम से ठेके लेने और फर्जी बिल बनाकर सरकारी खजाने को चूना लगाने का आरोप है। एसीबी ने 9 मई, 2021 को एफआईआर दर्ज की थी।
दवा घोटाला: 1 जून, 2017 को एसीबी ने दवा प्रोक्योरमेंट एजेंसी के ताहिरपुर, जनकपुरी और रघुवीर नगर स्थित गोदामों पर छापा मारा। एसीबी को भारी मात्रा में एक्सपायरी दवाओं की खरीद के बिल भी मिले। यह दवा घोटाला करीब 300 करोड़ रुपये का है। वैसे भी, मोहल्ला क्लीनिक स्वयं में एक घोटाला है। मोहल्ला क्लिनिक के लिए बाजार भाव से अधिक दर पर मकान किराये पर लिए गए। ये मकान आआपा कार्यकर्ताओं के थे।
जल बोर्ड घोटाला:
दिल्ली जल बोर्ड में इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फ्लो मीटर घोटाले में सीबीआई ने दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व मुख्य अभियंता समेत नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनबीसीसी) के अधिकारियों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है। आरोप है कि इन लोगों ने 38 करोड़ रुपये का ठेका एक ऐसी कंपनी को दे दिया था जो उसके लिए पात्र ही नहीं थी। सीबीआई को छापे के दौरान डेढ़ करोड़ रुपये की नकदी और एक करोड़ रुपये से ज्यादा के आभूषण आदि बरामद हुए हैं।
अस्पताल घोटाला:
2021 में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 1,256 करोड़ की लागत से लोक निर्माण विभाग को जीटीबी अस्पताल, सरिता विहार, रघुबीर नगर, शालीमार बाग, किराड़ी, सुल्तानपुरी और चाचा नेहरू अस्पताल गीता कॉलोनी में अस्थाई अस्पताल का निर्माण करना था। उसी समय भाजपा नेताओं ने अस्पतालों के निर्माण में घोटाले की शिकायत की थी। नए उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है।
केजरीवाल के ‘दागी रत्न’
सत्येंद्र जैन: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को 9 जून, 2022 को गिरफ्तार किया था। ईडी जैन की 4.81 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुका है। जैन के परिवार के लोग कुछ ऐसी फर्म से जुड़े थे जो पीएमएलए (प्रिवेन्सन आफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट 2002) के अंतर्गत जांच के दायरे में हैं। मामला फरवरी 2015 से मई 2017 तक के बीच उनके और उनकी पत्नी की ज्ञात स्रोत से दोगुनी आय से जुड़ा है। जैन पर अधिकारों के दुरुपयोग के भी कई आरोप लग चुके हैं। सत्येंद्र जैन ने दिल्ली का स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए अपनी बेटी सौम्या जैन को मोहल्ला क्लिनिक के लिए सलाहकार नियुक्त कर लिया। सीबीआई ने इस मामले की जांच भी की थी।
विजय सिंघला : दिल्ली की तरह पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री की गिरफ्तारी हो चुकी है। उन पर स्वास्थ्य विभाग से जुड़े टेंडर में एक प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप है। प्रदेश के मुख्यमंत्री मान ने इस मामले में दावा किया कि सिंगला ने कमीशन वाली बात मान ली है। मंत्री बर्खास्त हो चुके हैं।
ल्ल आसिम अहमद: साल 2018 में दिल्ली सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री आसिम अहमद खान पर एक बिल्डर से 6 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा था। अरविन्द ने आसिम को पार्टी से निकाल दिया।
जितेंद्र तोमर: 2015 में दिल्ली सरकार में कानून मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर को गिरफ्तार किया गया था। उनके पास वकालत की फर्जी डिग्री थी। वे भागलपुर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी थे और विश्वविद्यालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि जो पंजीकरण नंबर उनकी डिग्री पर है, उस नंबर पर कोई और पंजीकृत है।
संदीप कुमार : आम आदमी पार्टी में मंत्री रहे संदीप कुमार का नाम 2016 में राशन कार्ड बनवाने के नाम पर एक महिला से बलात्कार के मामले में सामने आया था। इस मामले में वे जेल गए थे। 2016 में वायरल सीडी में संदीप दो महिलाओं के साथ आपत्तिजनक हालात में दिखे। सीडी में दिख रही महिला का कहना था कि वह संदीप के पास वह राशन कार्ड बनवाने गई थी। वहां संदीप ने कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर उसे पिला दिया। जिसके बाद उसे बेहोशी आ गई, जिसका फायदा उठाकर संदीप ने उसका बलात्कार किया। संदीप को सरकार और पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया।
सोमनाथ भारती : आम आदमी पार्टी के उदय के वर्ष 2013 में ही सोमनाथ भारती की पत्नी लिपिका मित्रा ने उनके खिलाफ द्वारका नॉर्थ थाने में घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी। सोमनाथ की हरकतों से मजबूर होकर लिपिका बच्चों के साथ द्वारका में अलग रहने लगी। सोमनाथ दिल्ली की मालवीय नगर सीट से विधायक चुने गए और चुनाव जीतने के बाद उन्हें कानून, पर्यटन, प्रशासनिक सुधार जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई। उन पर एम्स में कर्मचारियों से मारपीट के भी आरोप लगे। 2014 में भारती को इस्तीफा देना पड़ा था।
अमानतुल्लाह खान : 2016 में अमानतुल्लाह खान के साले की पत्नी ने उस पर पिछले चार साल से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था। पिछले दिनों अमानतुल्लाह पर मदनपुर इलाके में एमसीडी द्वारा अतिक्रमण हटाए जाते वक्त सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगा। इस पर उन्हें गिरफ्तार करके तिहाड़ जेल भेज दिया गया था।
प्रकाश जारवाल : आम आदमी पार्टी के देवली से विधायक प्रकाश जारवाल पर 2017 में एक 53 साल की महिला से बदसलूकी का मामला है। प्रकाश जारवाल का नाम 2018 में दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट के मामले में खूब उछला था। इस मामले में जारवाल की गिरफ्तारी हुई।
ताहिर हुसैन : उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों के मास्टर माइंड के रूप में कुख्यात पार्षद ताहिर हुसैन सिसौदिया और केजरीवाल का करीबी था। न्यायालय ने भी माना कि उसने दिल्ली दंगों में सक्रियता से हिस्सा लिया था। वह गैर कानूनी तरह से एकत्र लोगों को दूसरे सम्प्रदाय के खिलाफ हिंसा के लिए उकसा रहा था।
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