बांग्लादेश में आर्थिक संकट गहरा गया है। लगातार बढ़ती महंगाई और जरूरी चीजों के अभाव के खिलाफ गुस्साए लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं। बांग्लादेश के लेफ्ट डेमोक्रेटिक एलायंस के आह्वान पर हुई आम हड़ताल के दौरान देश भर में विरोध प्रदर्शन किए गए।
श्रीलंका में आर्थिक व राजनीतिक संकट के बाद अब बांग्लादेश में भी आर्थिक संकट मुसीबत बनता नजर आ रहा है। लगातार ईंधन महंगा होने के कारण सरकार ने भी ईंधन बचत के लिए कोशिशें शुरू कर दी हैं। बांग्लादेश में अभी तक शुक्रवार को विद्यालयों में अवकाश रहता था। अब वहां सप्ताह में दो दिन विद्यालय बंद रहेंगे। सरकार ने शुक्रवार के शनिवार को भी विद्यालयों में छुट्टी करने का फैसला किया है। इसके अलावा सरकारी कार्यालयों और बैंकों आदि में कामकाज के घंटे घटा दिए गए हैं। पर्यवेक्षकों के मुताबिक देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार आ रही गिरावट के कारण बांग्लादेश सरकार को इन उपायों की घोषणा करनी पड़ी है।
बताया गया कि पिछले माह देश के कच्चे तेल आयात का खर्च 50 प्रतिशत बढ़ा है। अब सरकार रूस से कच्चा तेल हासिल करने की संभावना तलाश रही है। देश में महंगाई की दर भी काफी ऊंची हो गई है। अनाज की महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार ने रूस, वियतनाम और भारत से अनाज आयात करने का समझौता किया है। इस समझौते के अंतर्गत 83 लाख टन गेहूं और चावल का आयात किया जाएगा। कहा जा रहा है कि इस फैसले देश में अनाज की महंगाई पर काबू पाने में तो मदद मिलेगी, किन्तु विदेशी मुद्रा का संकट और गहराने की आशंका है।
बांग्लादेश सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 4.5 बिलियन डॉलर का कर्ज भी मांगा है। इन स्थितियों के चलते देश भर में गुस्सा नजर आ रहा है। लोग सड़कों पर उतर कर आंदोलन कर रहे हैं। लेफ्ट डेमोक्रेटिक एलायंस के आह्वान पर हुई आम हड़ताल के दौरान भी देश भर में विरोध प्रदर्शन किए गए। लोगों ने सड़कों पर जुलूस निकालकर महंगाई न रोक पाने के लिए सरकार की आलोचना की।
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