अमेरिका में भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी पर जिहादी हमले को लेकर आखिरकार ईरान के विदेश मंत्रालय का बयान आया है। ईरान ने इस मामले उसका कैसा भी सरोकार होने से इंकार किया है। कल तेहरान में ईरान के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा है कि, सलमान रुश्दी पर किए गए हमले में उनका कोई हाथ नहीं है। उसने आगे कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका में रुश्दी पर हुए हमले को लेकर उनके देश या उसके समर्थकों पर उंगली उठाई जानी चाहिए।
दरअसल, रुश्दी पर न्यूयार्क में एक कार्यक्रम के दौरान मंच पर चाकू से किए गए हमले के फौरन बाद ईरान पर उंगलियां उठी थीं। ईरान लगातार सवालों के घेरे में बना हुआ है। इसी को देखते हुए, ईरान सरकार के विदेश विभाग के एक उच्च अधिकारी ने सलमान रुश्दी पर हुए हमले की घटना से पल्ला झाडते हुए उक्त बयान दिया है। बयान में इस मामले में तेहरान का हाथ होने की बात नकारी गई है। हमले के बाद ईरान की तरफ से यह बयान पहली बार सार्वजनिक रूप से दिया गया है।
हालांकि यह बात भी उतनी ही सच है कि ईरान के कई कट्टरपंथी माने जाने वाले अखबारों ने गत शनिवार को सलमान रुश्दी के हमलावर की तारीफों के पुल बांधे गए थे।
वैसे, इस मामले में ईरान पर शक किए जाने की वजह भी है। 1988 में प्रकाशित हुए सलमान रुश्दी के उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेज’ को लेकर 1989 में ईरान के सबसे बडे मजहबी नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने इस उपन्यास को इस्लाम की तौहीन करार देते हुए सलमान रुश्दी की मौत का फतवा जारी किया था। खुमैनी ने रुश्दी की हत्या करने वाले को 30 लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम देने की घोषणा की थी। यही वजह है कि रुश्दी पर हमले को लेकर संदेह सबसे पहले ईरान पर ही हुआ है।
लेकिन दुनिया की उठी उंगलियों के जवाब में ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने बयान में कहा है कि, हमें नहीं लगता कि अमेरिका में सलमान रुश्दी पर हुए हमले को लेकर उनके देश या उनके समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। न्यूयॉर्क में जब एक कार्यक्रम के दौरान न्यूजर्सी के 24 साल के उन्मादी युवक ने चाकू से हमला करके रुश्दी को गंभीर रूप से घायल किया था तब उसके बाद अमेरिकी अधिकारियों ने इसे ‘बिना किसी उकसावे के एक षड़यंत्र के तहत लक्ष्य करके किया गया हमला बताया था। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिेकन ने भी दावा किया था कि ईरान के सरकारी संस्थानों ने ही भारतीय मूल के लेखक रुश्दी के विरुद्ध काफी समय तक हिंसा भड़काई है, सरकारी मीडिया ने भी हाल ही में उन पर हुए हमले की निंदा नहीं की है।
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