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हां, हम सावरकर की औलाद हैं, लेकिन आपकी नीतियां तो जिन्ना से मिलती हैं केजरीवाल जी

केजरीवाल खुद ईमानदारी का डमरू बजाते हैं, कंधे पर भ्रष्टाचारी सवार हैं

by मृदुल त्यागी
Jul 23, 2022, 10:28 pm IST
in भारत
अरविंद केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सामान्य ज्ञान और सामान्य शिष्टाचार में शून्य हैं। एक ऐसा शख्स, जिसकी कथनी और करनी में आसमान और पाताल का अंतर है। खुद ईमानदारी का डमरू बजाते हैं, कंधे पर भ्रष्टाचारी सवार हैं। कट्टरपंथी दंगाइयों को सड़कों पर उतारकर खुद को हनुमान भक्त बताते हैं। वह यदि खुद को भगत सिंह की संतान कहे, तो भगत सिंह का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता। लेकिन झूठे से झूठे व्यक्ति के मुंह से भी कई बार सत्य निकल जाता है। अपने पूरे राजनीतिक जीवन में केजरीवाल के मुंह से पहली बार सत्य निकला है। वह यदि राष्ट्रवादियों को सावरकर की औलाद कह रहे हैं, तो यह कमेंट नहीं, कांप्लीमेंट है।

राष्ट्र विरोधी ताकत की आंखों के तारे केजरीवाल क्या जानें कि हिंदू भूमि भारत की आजादी के लिए वीर सावरकर का क्या योगदान है। हिट एंड रन की राजनीति करने वाले केजरीवाल वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने जेल जाने के डर से माफी मांगी है। वह सावरकर को क्या समझेंगे, क्योंकि वह तो सत्ता के लिए राष्ट्र विभाजक खालिस्तानी सोच की गोद में बैठे हैं। आम आदमी पार्टी के पास न तो कोई विचारधारा है और न ही कोई राष्ट्रीय, सांस्कृतिक या सामाजिक आग्रह। जब कोई राजनीतिक दल वैचारिक रूप से दिवालिया होता है, तो वह व्यक्तिपूजक हो जाता है। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह। आज आम आदमी पार्टी केजरीवाल की प्रोपाइटरशिप फर्म की तरह चल रही है।

मुखौटों के पीछे छिपते हैं

वैचारिक रूप से या सामाजिक रूप से आम आदमी पार्टी के पास न तो समाज व राष्ट्र को देने के लिए कुछ है और न ही कोई कल्याणकारी रोडमैप है। जब राजनीतिक दल किसी दुर्घटना या महत्वाकांक्षा की परिणिति होते हैं, तो मुखौटों के पीछे छिपते हैं। रेवड़ियां बांटते हैं। सिक्के उछालते हैं, जिनके लिए राजनीति छल होती है, पैंतरेबाजी होती है, सेवा का माध्यम नहीं, स्वार्थ सिद्धि का जरिया होती है, तो वे आम आदमी पार्टी बन जाते हैं। स्वांतः सुखाय जीने वाला व्यक्ति अरविंद केजरीवाल की तरह है। अपने हर साथी, हर मार्ग दर्शक, हर हमराह का हाथ मौका मिलते ही छिटक देता है। पीठ में छुरा घोप देता है।

केजरीवाल का आजादी के दीवाने से क्या सरोकार

आज हम केजरीवाल जी आपको स्वातंत्रयवीर सावरकर जी के बारे में नहीं बताएंगे। इसलिए नहीं बताएंगे कि ज्ञान पात्र को दिया जाता है। सरकारी मकान और लालबत्ती तक न लेने की कसम खाकर जनता के करोड़ों रुपये का स्वीमिंग पूल बनवाकर ऐश करने वाले व्यक्ति का वैसे भी काला पानी में 10 साल गुजारने वाले आजादी के दीवाने से क्या सरोकार। मदनलाल ढींगरा जैसे देशभक्त सावरकर से प्रेरणा लेते थे, केजरीवाल खालिस्तानियों के साथ बैठकर कैसे उनसे कोई प्रेरणा पा सकते हैं।

विभाजन की राजनीति

केजरीवाल विभाजन की राजनीति करते हैं। जिन्नावाद ही उनका एकमात्र प्रेरणा स्रोत है। उनके पुराने साथी कुमार विश्वास उनकी इच्छाओं (साजिशों) का जिस तरह से खुलासा करते हैं, उसमें जिन्ना की महत्वाकांक्षाओं की बू आती है। केजरीवाल के साथ इस समय दिक्कत ये है कि उनकी कलई उतर रही है, काठ की हांडी फुंकने लगी है। भ्रष्टाचार के ऐसे-ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि पीढ़ियों से घोटाले कर रहे कांग्रेसी शरमा जाएं। रिमोट से जिस तरह से वह पंजाब को चलाने की कोशिश कर रहे हैं, उसको लेकर परिवारवादी दल बेचैन हैं कि केजरीवाल सोनिया गांधी से भी आगे निकल चुके हैं। आम आदमी पार्टी ऐसी पार्टी है, जिसकी दो राज्यों में सरकार है और दोनों ही राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री जेल में हैं. बाकी भ्रष्टाचारवादी दल कोई प्रोजेक्ट, कोई इमारत होती है, उसके निर्माण में कमीशनखोरी करते हैं। दिल्ली की सरकार ने तो पूरा का पूरा अस्पताल ही निगल लिया। मतलब, अस्पताल कागजों में है, लेकिन मौके पर मैदान है। अब ऐसा व्यक्ति जब भगत सिंह की दुहाई देता है, उनकी तस्वीर के पीछे छिपने की कोशिश करता है, तो इस अमर बलिदानी की आत्मा को कितना दुख होता होगा।

शीशा दिखाना जरूरी

अंतिम चंद पंक्तियों में केजरीवाल को भगत सिंह के विचारों का शीशा दिखाना बहुत जरूरी है। जरूरी इसलिए कि आइने झूठ नहीं बोलते और अकेले में ही सही, केजरीवाल इस आइने में अपनी असली सूरत जरूर देखें। भगत सिंह ने अपनी मां विद्यावती से कहा था- मैं देश के लिए एक ऐसा दिया जलाकर जा रहा हूं, जिसमें न तेल होगा और न ही घी। इसमें मेरा रक्त और विचार मिले हुए हैं। अंग्रेज मुझे मार सकते हैं, लेकिन मेरी सोच और मेरे विचारों को नहीं। जब भी अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई शख्स लड़ता हुआ नजर आए, तो वह तुम्हारा भगत सिंह होगा। क्या आपको लगता है कि केजरीवाल अन्याय से लड़ रहे हैं या अन्याय कर रहे हैं। दिल्ली की जनता को पीने के पानी के लिए तरसा देने का अन्याय। कुप्रबंधन से कोरोना के दौरान दिल्ली को सबसे ज्यादा मृत्युदर वाला राज्य बना देने का अन्याय। दिल्ली में राजधानी को पानी-पानी कर देने का अन्याय। शिक्षा मॉडल के नाम पर सबसे ज्यादा स्कूल वंचित छात्रों की दर वाला राज्य बना देने का अन्याय। दिल्ली को दंगे की आग में झोक देने का अन्याय। बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को बसाकर राशन कार्ड बनवाने का अन्याय। एक और सवाल, क्या अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार से लड़ रहे हैं। नहीं, उनके नायब मनीष सिसौदिया का नाम शराब घोटाले में है। उनके मंत्री सत्येंद्र जैन जेल में है। यौन शोषण से लेकर फर्जी डिग्री तक के मामलों में उनके नेता जेल यात्रा कर चुके हैं। इसलिए आप जब भी अरविंद केजरीवाल के मुंह से भगत सिंह का नाम सुनें, तो उसे जिन्ना समझिएगा…

Topics: Savarkarpolicies Jinnahअरविंद केजरीवालarvind kejriwalसावरकर की औलादनीतियां जिन्ना से मिलती हैं
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