द्रौपदी मुर्मु देश की राष्ट्रपति चुनी जा चुकी हैं परन्तु उनके चुनाव ने पंजाब में राजनीतिक भूचाल ला दिया है। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पंजाब में क्रॉस वोटिंग हुई। राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठजोड़ की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मु को समर्थन के लिहाज से 5 विधायकों के वोट मिलने थे। मगर, उन्हें 8 वोट मिले हैं। यह क्रॉस वोटिंग कांग्रेस या आम आदमी पार्टी के विधायकों ने की है। जिसको लेकर दोनों पार्टियों में हडक़ंप मचा हुआ है। अंदरूनी स्तर पर अब इसकी पड़ताल शुरू हो गई है कि पार्टीलाइन से बाहर जाकर किसने वोटिंग की। कांग्रेस और आआपा ने यशवंत सिन्हा को सपोर्ट किया था।
पंजाब विधानसभा में 117 विधायक हैं। इनमें से 92 आम आदमी पार्टी, 18 कांग्रेस, 3 अकाली दल, 2 भाजपा, एक बसपा और एक आजाद है। इस लिहाज से भाजपा समर्थित उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मु को 6 वोटें मिलनी थी क्योंकि भाजपा और अकाली-बसपा गठबंधन को मिलाकर 6 विधायक बनते हैं। हालांकि 3 विधायक अकाली दल के मनप्रीत अयाली, कांग्रेस के राजकुमार चब्बेवाल और लाडी शेरोवालिया ने वोट नहीं दिया। इसके बाद मुर्मु को 5 ही वोटें मिलनी थी। अब कुल 114 विधायकों ने वोटिंग की। जिसमें से 5 अवैध हो गई। इसके बाद बची 109 में से यशवंत सिन्हा को 101 और द्रौपदी मुर्मु को 8 वोटें मिल गई।
द्रौपदी मुर्मु को 5 वोटें तो अकाली दल, भाजपा और बसपा की मानी जा सकती है। बाकी 3 वोटें किसने दी, इसको लेकर अब आप और कांग्रेस में बैचेनी है। इसमें अगर एक वोट आजाद राणा इंदरप्रताप की भी मान लें तो भी 2 वोटें और बचती है। हालांकि राणा के पिता राणा गुरजीत कांग्रेस से विधायक हैं।
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