शिव भक्तिों का अद्भुत नजारा गंगा नगरी में देखने को मिल रहा है। हजारों नहीं, लाखों की संख्या में कांवड़िए गंगा जल लेने घाटों में पहुंच रहे हैं। आस्था और विश्वास में डूबे कांवड़ियों के भगवा रंग से पूरी गंगा नगरी रंगी दिख रही है।
श्रावण मास में शिव भक्त गंगा जल लेने हरिद्वार आते हैं और यहां से कांवड़ लेकर अपने-अपने शिवालयों की तरफ पैदल रवाना हो रहे हैं। पिछले पांच दिन पंचक होने के कारण कांवड़ियों द्वारा बांस से बनी वस्तुओं को नहीं छुआ जाता है। जैसे ही पंचक खत्म हुए, करीब 25 लाख कांवड़ियों ने हरिद्वार में पहले ही दिन पहुंच कर गंगा में डुबकी लगाकर कांवड़ भरी। ट्रेनों से बसों से निजी वाहनों से लाखों की संख्या में कांवड़िए हरिद्वार में आते और जाते दिखाई दे रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे मानो गंगा किनारे भगवे रंग का सैलाब आ गया हो।
मां गंगा के प्रति और भोले शंकर के प्रति आस्था का ये मंजर कोविड महामारी के दो साल के अंतराल के बाद दिखा है। डाक कांवड़, खड़ी कांवड़, सामान्य कांवड़ लेकर चल रहे शिव भक्तों के लिए सड़क मार्गों पर भंडारे लगाए गए हैं। उत्तराखंड और अन्य राज्यों से होकर गुजरने वाले कांवड़ियों के लिए रास्ते साफ किए गए हैं। कई स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्ग भी डायवर्ट किया गया है। राह में पड़ने वाले शहरों के स्कूल भी अगली 27 जुलाई तक बंद कर दिए गए हैं।
कांवड़ से जुड़ी सामग्री बेचने वालों की भी भारी भीड़ गंगा नगरी में लगी हुई है। करोड़ों का कारोबार इस कांवड़ यात्रा से जुड़ा हुआ है। कांवड़ के साथ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लेकर भी कांवड़िए चल रहे हैं, जो आजादी के अमृत महोत्सव के लिए भी अपनी निष्ठा प्रकट कर रहा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांवड़ियों से तिरंगे को सम्मान पूर्वक लेकर चलने की अपील की है। मुख्यमंत्री धामी ने कांवड़ियों का पैर धोकर स्वागत किया। उन्हे गंगा जल भेंट किया और कहा कांवड़ियों में भगवान शिव का अंश वो देखते हैं। सीएम धामी ने जिला प्रशासन को कांवड़ियों का सम्मान करने इनपर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा किए जाने के भी निर्देश दिए।
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