नाबालिग मुस्लिम लड़की, जो यौवन की आयु प्राप्त कर चुकी है उसके पॉक्सो अधिनियम के दायरे से बाहर रखने के दावे को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम 18 साल से कम उम्र के बच्चों को संरक्षण प्रदान करता है और यह प्रथागत कानून नहीं है।
अदालत ने यह बात उस याचिका की सुनवाई के दौरान कही जिसमे कहा गया था कि पीड़िता, जोकि एक मुस्लिम लड़की है और घटना के समय 16 साल पांच महीने की थी और वह मुस्लिम पर्सनल लॉ के अंतर्गत बालिग है क्योंकि वह यौवन की आयु प्राप्त कर चुकी है इसलिए यह मामला पॉक्सो के तहत नहीं आता।
इस याचिका में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) और पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत दर्ज प्राथमिकी और आरोपपत्र को रद्द करने का अनुरोध किया गया था, जिसमें दहेज निषेध अधिनियम की धारा भी शामिल थी।
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