विश्वभाषा बनती हिन्दी
November 28, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • वेब स्टोरी
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • जनजातीय नायक
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • वेब स्टोरी
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • जनजातीय नायक
No Result
View All Result
Panchjanya
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • पत्रिका
  • वेब स्टोरी
  • My States
  • Vocal4Local
होम भारत

विश्वभाषा बनती हिन्दी

संयुक्त राष्ट्र के कामकाज की जानकारी हिंदी में दिए जाने को मान्यता दी। इससे विश्वभाषा बनने की राह में हिंदी एक कदम और आगे बढ़ गई है

by इष्ट देव सांकृत्यायन
Jun 30, 2022, 02:50 pm IST
in भारत, विश्व
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत सरकार के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने 10 जून को एक उल्लेख्य प्रस्ताव के जरिए संयुक्त राष्ट्र के कामकाज की जानकारी हिंदी में दिए जाने को मान्यता दी। इससे विश्वभाषा बनने की राह में हिंदी एक कदम और आगे बढ़ गई है

निज भाषा उन्नति अहै, सबै उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को सूल॥

निज भाषा यानी हिंदी के लिए ही अपना सर्वस्व होम कर देने वाले भारतेंदु हरिश्चंद्र शरीर रूप में भले आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन हिंदी की बात आते ही उनकी यश:काया बार-बार हमारे मानसपटल पर कौंध जाती है। आजादी का अमृत महोत्सव हमारे लिए और भी महत्त्वपूर्ण हो गया, इस दृष्टि से कि भारतवर्ष अब वैश्विक मंचों पर स्वयं को न केवल अपनी भाषा में अभिव्यक्ति दे सकेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर चल रहे कामकाज को अपनी भाषा में जान भी सकेगा।

यह मामूली गौरव का विषय नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र के कामकाज में भारत की एक साथ तीन भाषाओं को जगह मिली है। इनमें हिंदी के अलावा बांग्ला और उर्दू भी शामिल हैं। किसी एक देश से तीन भाषाओं को एक साथ शामिल किया जाना इतिहास की पहली घटना है। यह अलग बात है कि संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में अभी इसे स्वीकार नहीं किया गया है, लेकिन गत 10 जून को जो प्रस्ताव पारित हुआ है, वह हिंदी के आधिकारिक रूप से विश्वभाषा बनने की दिशा में एक ठोस कदम है।


इस साल पहली बार प्रस्ताव में हिंदी भाषा का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव में पहली बार बांग्ला और उर्दू का भी उल्लेख किया गया है। हम इन सभी परिवर्तनों का स्वागत करते हैं। यह जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र में बहुभाषावाद को सही मायने में अपनाया जाए। भारत इस उद्देश्य को प्राप्त करने में संयुक्त राष्ट्र का समर्थन करेगा।
— टी.एस. तिरुमूर्ति
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि महासभा में संबोधन के दौरान


वस्तुत: यह वर्षों से चलते आ रहे भारतवर्ष के तप का फल है। बहुत दिन नहीं गुजरे जब तत्कालीन विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कहा था कि संयुक्त राष्ट्र संघ की सातवीं आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को स्थान दिलाने के लिए कुल 193 सदस्य देशों में से दो-तिहाई बहुमत अर्थात कम से कम 129 सदस्य देशों के समर्थन की आवश्यकता होगी। उस समय हिंदी को लेकर हमेशा हीन भावना से ही ग्रस्त रहने वाले कुछ मूर्धन्य लोगों ने नाक-भौह सिकोड़ी थी। उन्हें यह लगा था कि जुट चुका इतने देशों का समर्थन।

चर्चा थी कि हिंदी को आधिकारिक भाषा की मान्यता दिए जाने के बाद जो खर्च आएगा, वह भी भारत को ही उठाना पड़ेगा। अनुमान था कि आरंभ में ही इस पर करीब एक अरब रुपये खर्च करने होंगे। खर्च तो भारत को वास्तव में करना ही पड़ा। संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए भारत ने पिछले ही महीने आठ लाख डॉलर का योगदान किया था। लेकिन यह केवल उस आर्थिक योगदान भर से संभव नहीं हुआ है। वास्तव में इसके लिए बहुत लंबे समय से प्रयास चल रहे हैं। हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषाओं में शामिल कराने के प्रयास का आरंभ सन् 1975 में ही हो गया था। नागपुर में 10 जनवरी 1975 को आयोजित पहले विश्व हिंदी सम्मेलन में ही यह मांग उठाई गई थी। लेकिन तब यह केवल मांग ही थी। अब हम इस मांग को कार्यरूप में परिणत करने की दिशा में आगे बढ़े हैं।

इसीलिए इस कदम का स्वागत करते हुए साहित्यकार प्रो. कमल किशोर गोयनका कहते हैं, ‘इससे संभावनाओं का एक द्वार तो खुलता है।’ साहित्यकार एवं राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्री इंदुशेखर तत्पुरुष कहते हैं, ‘निश्चय ही इसका व्यापक प्रभाव होगा।’ इसके व्यापक परिप्रेक्ष्य की ओर इंगित करते हुए लोक साहित्य के अध्येता और नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ. हरि सिंह पाल कहते हैं, ‘अभी तक हम परिकल्पना के स्तर पर काम कर रहे थे। हिंदी के पक्ष में बातें हो रही थीं। कह सकते हैं कि माहौल बन रहा था। लेकिन अब इस दिशा में हमने एक ठोस कदम आगे बढ़ा दिया है।’

पहला कदम
वस्तुत: इस परिकल्पना को कार्यरूप में परिणत करने की दिशा में 1977 में पहला कदम बढ़ाया श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने, जब वह भारत के विदेश मंत्री थे। यह पहला अवसर था जब भारत के किसी राजनेता ने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण दिया। इसके बाद सन् 2002 में दुबारा अटल जी ने ही संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण दिया। अटल जी ने प्रधानमंत्री और उससे भी पहले विदेशमंत्री के रूप में जो किया, यह सिर्फ एक भाषण नहीं था। वह वास्तव में यह संकेत था कि दुनिया आपकी बात आपकी भाषा में सुनने को तैयार है, आप सुनाकर तो देखिए। पहली आवश्यकता इस बात की है कि आप अपने को मानसिक रूप से तैयार करें। स्वयं अपने को दासता की मानसिकता से मुक्त करें। यह सोच छोड़ें कि आपकी भाषा को लोग कमतर समझते हैं। स्वयं अपने, अपने देश, अपने इतिहास और सबसे बढ़कर अपनी भाषा तथा अपनी लिपि के प्रति कमतरी के बोध से उबरिए।

ध्यान रहे, अटल जी एक साझा सरकार चला रहे थे। उस समय की अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां भी भिन्न थीं। उसमें वे जितना कर सकते थे, उन्होंने किया। यह कोई कम बड़ी बात नहीं है कि केंद्र सरकार में मंत्री रहते हुए ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी का परचम लहराया। उनके बाद उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए श्रीमती सुषमा स्वराज ने भी मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहते 30 सितंबर 2018 को हिंदी में ही भाषण दिया। अपने इस भाषण में सुषमा जी ने संयुक्त राष्ट्र के ही मंच से उसे सीख देते हुए कहा था कि संयुक्त राष्ट्र में तत्काल कई तरह के सुधारों की आवश्यकता है।

हिंदी @ यूएन प्रोजेक्ट
भारतीय भाषाओं के सम्मान को ठोस रूप देने के क्रम को और आगे बढ़ाया वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने। ऐसा नहीं है कि भारत सरकार पहले हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा सकती थी। लेकिन सबसे बड़ी बात इच्छाशक्ति की होती है। अपनी इच्छाशक्ति दिखाते हुए ही मोदी सरकार ने सन 2018 में ‘हिंदी @ यूएन प्रोजेक्ट’ शुरू किया। इस परियोजना का उद्देश्य हिंदी भाषा के जरिए संयुक्त राष्ट्र के दृष्टिकोण को और व्यापक बनाने के साथ-साथ दुनिया भर में फैले करोड़ों हिंदीभाषियों के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के बारे में अधिकाधिक जागरूकता फैलाना रहा है। भारत सन 2018 से ही संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक संचार विभाग (ग्लोबल कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट-डीजीसी) के साथ साझेदारी कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र के समाचारों और मल्टीमीडिया सामग्री को हिंदी में प्रसारित करने तथा इसे मुख्यधारा में ले आने के लिए भारत अलग से फंड दे रहा है। इसी क्रम में पिछले दिनों भारत ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी के उपयोग को जारी रखने के प्रयासों के लिए 8 लाख डॉलर का योगदान किया।

बहुभाषा प्रयोग प्रस्ताव
इन प्रयासों का ही यह फल है कि संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्तुत किए गए बहुभाषा प्रयोग (Multilingualism) संबंधी प्रस्ताव को गत 10 जून को एक उल्लेख्य पहल करते हुए पारित कर दिया। 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंडोरा द्वारा प्रस्तुत यह प्रस्ताव भारत सहित 80 से अधिक देशों द्वारा सह-प्रायोजित था। इसमें तीन भारतीय भाषाओं-हिंदी, बांग्ला और उर्दू के अलावा पुर्तगाली, स्वाहिली और फारसी का भी जिक्र है। यद्यपि हिंदी इस प्रस्ताव के पारित होने मात्र से कोई संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा नहीं बन गई।

अभी जिन भाषाओं का जिक्र हुआ है, उनमें से एक भी आधिकारिक भाषा नहीं बनी है आधिकारिक भाषा बनने के लिए प्रस्ताव पेश किए जाने और उस पर मतदान की प्रक्रिया भिन्न है। लेकिन इस प्रस्ताव के माध्यम से हमने उस दिशा में एक ठोस कदम आगे बढ़ा दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की आधिकारिक भाषाएं अभी केवल छह ही हैं -अंग्रेजी, फ्रेंच, अरबी, चीनी, रूसी और स्पेनिश। उनमें भी इसके सचिवालय का सारा कामकाज अभी तक केवल अंग्रेजी और फ्रेंच में ही होता है और आगे भी इन्हीं दो भाषाओं में होता रहेगा। अन्य चार भाषाओं में संयुक्त राष्ट्र के कामकाज की जानकारी दी जाती रही है। इन सभी भाषाओं में संयुक्त राष्ट्र से संबंधित समाचार, सूचनाएं,. अधिसूचनाएं आदि संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाती रही हैं। अब वेबसाइट पर इस सबकी जानकारी हिंदी में भी उपलब्ध होगी।

पूर्व प्रधानमंत्री स्व.श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण दिया

संयुक्त राष्ट्र के हिंदी मीडिया हैंडल

हिंदी भाषा में संयुक्त राष्ट्र के समाचार, फोटो और वीडियो को मुख्यधारा में लाने और उसका प्रसार करने के लिए भारत 2018 से हिंदी @ यूएन प्रोजेक्ट के तहत संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक संचार विभाग को विशेष आर्थिक योगदान देता रहा है। इन प्रयासों से ही संयुक्त राष्ट्र की अब हिंदी की अपनी वेबसाइट तो है ही, साथ ही, सोशल मीडिया हैंडल भी हिंदी में उपलब्ध हैं। ट्विटर पर ‘यूएन इन हिंदी’, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर ‘यूनाइटेड नेशंस हिंदी’ नाम से संयुक्त राष्ट्र के हैंडल मौजूद हैं। संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों की जानकारी यहां हिंदी में नियमित रूप से दी जा रही हैं। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र प्रत्येक सप्ताह हिंदी में आॅडियो बुलेटिन (यूएन रेडियो पर) प्रसारित करता है।

 

दुनिया की 20 सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में 6 भारतीय

भौगोलिक और लोकतांत्रिक रूप से देखा जाए तो एक भाषा के रूप में हिंदी पहले से ही विश्वभाषा होने की शर्तें पूरी करती है। दुनिया भर की भाषाओं के आंकड़ा कोश वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस के 22वें संस्करण एथ्नोलॉग के अनुसार दुनिया की 20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 6 भारतीय भाषाएं हैं। एथ्नोलॉग में हिंदी को विश्व की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा बताया है। पहले स्थान पर अंग्रेजी है। इसके अनुसार दुनियाभर में 61.5 करोड़ लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं। भौगोलिक क्षेत्र की दृष्टि से भी हिंदी दुनिया की बड़ी भाषाओं में समाविष्ट है। कुल 132 देशों में बसे भारतीय मूल के लोग अपने दैनंदिन जीवन में हिंदी का प्रयोग करते हैं। भारत के बाहर नेपाल, भूटान, सिगापुर, मलेशिया, थाइलैंड, हांगकांग, फिजी, मॉरिशस, ट्रिनिडाड, गुयाना, सूरीनाम, इंग्लैंड, केनेडा और अमेरिका में हिंदीभाषियों की पर्याप्त संख्या है। खासकर फिजी, गुयाना, सूरीनाम, टोबैगो, ट्रिनिडाड तथा अरब अमीरात में हिंदी को अल्पसंख्यक भाषा के रूप में संवैधानिक दर्जा प्राप्त है। जबकि बारह से अधिक देशों में यह बहुसंख्यक समाज की मुख्य भाषा है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि यह प्रस्ताव समान आधार पर बहुभाषावाद को अपनी गतिविधियों में समाविष्ट करने की दिशा में संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की जिम्मेदारी को रेखांकित करता है। यह प्रस्ताव स्थानीय पाठकों को छह आधिकारिक भाषाओं-अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश-के अलावा गैर-आधिकारिक भाषाओं का उपयोग करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों को मान्यता देता है और संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों में बहुभाषावाद के महत्व पर जोर देता है। यह अलग बात है कि अभी इस प्रस्ताव के जरिये हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं हुआ है, लेकिन इसके जरिए हिंदी इस दौड़ में आगे तो बढ़ ही गई है।

Topics: विश्वभाषा हिंदीहिंदी @ यूएनहिंदी मीडिया हैंडल
ShareTweetSendShareSend

संबंधित समाचार

No Content Available

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘मोहम्मद’ नीतीश कुमार और ‘मोहम्मद’ लालू यादव के राज में जुम्मे के दिन मुस्लिम—बहुल सरकारी विद्यालयों में अवकाश

‘मोहम्मद’ नीतीश कुमार और ‘मोहम्मद’ लालू यादव के राज में जुम्मे के दिन मुस्लिम—बहुल सरकारी विद्यालयों में अवकाश

BREAKING: पहला श्रमिक आया बाहर, उत्तरकाशी सुरंग हादसे में बड़ी सफलता, भारत माता और बौखनाग देवता का जयघोष

BREAKING: पहला श्रमिक आया बाहर, उत्तरकाशी सुरंग हादसे में बड़ी सफलता, भारत माता और बौखनाग देवता का जयघोष

Lareb Hashmi attacker of Prayagraj bus conductor fan of Atiq Ahmed

अतीक अहमद का फैन…सफेद गमछा, खौफ बनाने की कोशिश, कंडक्टर पर हमले के आरोपी लारेब हाशमी का पाकिस्तान कनेक्शन

नेतन्याहू से बोले टेस्ला मालिक एलन मस्क, Palestine से खत्म हो कट्टरपंथ

नेतन्याहू से बोले टेस्ला मालिक एलन मस्क, Palestine से खत्म हो कट्टरपंथ

बरेली: हिंदू युवक से विवाह कर सनातन धर्म अपना चुकी खुशबू के अपहरण कांड में नया मोड़, पुलिस के सामने आया वीडियो

बरेली: हिंदू युवक से विवाह कर सनातन धर्म अपना चुकी खुशबू के अपहरण कांड में नया मोड़, पुलिस के सामने आया वीडियो

Jharkhand governor CP Radhakrishnan Took a dig at DMK Udaynidhi Stalin statement over sanatan Dharma

‘सनातन धर्म को मुगलों का अत्याचार न मिटा पाया उसे उदयनिधि स्टालिन मिटाएंगे…हास्यास्पद है’: झारखंड के राज्यपाल

हलाल वालों की नींद हराम

हलाल वालों की नींद हराम

‘हलाल के दोषी देश के किसी कोने में हों, नहीं बचेंगे’ – दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ 

‘हलाल के दोषी देश के किसी कोने में हों, नहीं बचेंगे’ – दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ 

Karnatak Sayyadiya Yatimkhana NCPCR Priyank kanungo

‘ये 200 बच्चे किसके हैं ? कहाँ से आए ? कैसे लाए गए ? सिद्धारमैया जी जबाव दीजिए’: NCPCR अध्यक्ष

Malaysia में भारतीय जा सकेंगे बिना वीसा, प्रधानमंत्री इब्राहिम का बड़ा फैसला

Malaysia में भारतीय जा सकेंगे बिना वीसा, प्रधानमंत्री इब्राहिम का बड़ा फैसला

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • बोली में बुलेटिन
  • Web Stories
  • पॉडकास्ट
  • Vocal4Local
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • पत्रिका
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies