डॉ. हेडगेवार भवन की साढ़े तीन की चाय!
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम संघ

डॉ. हेडगेवार भवन की साढ़े तीन की चाय!

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने रा.स्व. संघ की स्थापना 1925 के विजयदशमी के दिन अपने नई शुक्रवारी स्थित पैतृक निवास में की थी

by डॉ. भालचंद्र माधव हरदास
Jun 27, 2022, 09:45 am IST
in संघ, महाराष्ट्र
डॉ. हेडगेवार भवन-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केंद्रीय कार्यालय का एक पुराना चित्र

डॉ. हेडगेवार भवन-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केंद्रीय कार्यालय का एक पुराना चित्र

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

संघ-विचार दिनोंदिन वृद्धिगत हो रहा है। इस सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी कार्य के आज के स्वरूप में नागपुर स्थित संघ के केन्द्रीय कार्यालय की ‘साढ़े तीन की चाय’ की भूमिका गिलहरी की सी ही सही, परन्तु है महत्वपूर्ण।

चौंक गए ना शीर्षक पढ़कर! दरअसल डॉ. हेडगेवार भवन है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का केंद्रीय कार्यालय, जिसे बोलचाल की भाषा में ‘संघ बिल्डिंग’ भी कहा जाता है। यह पवित्र स्थान लाखों-करोड़ों संघ स्वयंसेवकों एवं हिंदुत्व के कार्य में जुटे अनगनित संगठनों का प्रेरणास्थल है। इस भवन को ‘श्रीमंत साळुबाई मोहिते का बाड़ा’ भी कहा जाता है। इस मोहल्ले में रहने वाले प्राय: सभी लोगों का डाक पता-संघ बिल्डिंग, महाल, नागपुर-440002 (अभी 32)-ही है।
यह संघ कार्यालय परिसर चहुंओर से घनी बस्ती से घिरा हुआ है। नागपुर रेलवे स्टेशन के पूर्वी द्वार से बडकस चौक (वर्तमान में पंडित बच्छराज व्यास चौक) होते हुए अयाचित मंदिर के रास्ते पर दाएं हाथ की पहली संकरी गली सीधे डॉ. हेडगेवार भवन पहुंचती है।

संघ स्थान की खोज
परमपूजनीय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने रा.स्व. संघ की स्थापना 1925 के विजयदशमी के दिन अपने नई शुक्रवारी स्थित पैतृक निवास में की थी। हालांकि संघ स्थापना के बाद अधिकांश स्वयंसेवक अण्णाजी खोत संचालित नागपुर व्यायामशाला में प्रशिक्षण पाते थे। शुरुआती दौर में नागपुर के विभिन्न अखाड़ों में भी प्रशिक्षण होता था। दत्तोपंत मारुळकर तथा अण्णाजी सोहनी प्रशिक्षक हुआ करते थे। दिनोंदिन स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ते जाने के साथ, स्थान की कमी को महसूस करते हुए श्री दत्तोपंत मारुळकर ने महाराष्ट्र व्यायामशाला तथा प्रताप अखाड़ा में प्रशिक्षण केन्द्र आरम्भ किये।

रविवार के दिन सभी स्वयंसेवक किसी बड़े मैदान में एकत्रित होकर व्यायाम/कसरत करते थे। इसी के साथ गुरुवार को राजकीय वर्ग (पुराना प्रचलित नाम) चलते थे, जिसे आगे चलकर बौद्धिक वर्ग कहा गया और आज भी यही कहा जाता है। कालांतर में अखाड़ों में बढ़ता मनमुटाव संगठन के लिए सर्वथा अनुचित लगा। इतना ही नहीं, सप्ताह में मात्र दो दिन यानी गुरुवार-रविवार अभ्यास हेतु पर्याप्त नहीं हैं, यह ध्यान में आने पर डॉ. साहब ने अपने सहयोगियों से दैनिक शाखा लगाने पर विचार किया। स्थान की खोजबीन शुरू हुई। अंततोगत्वा वरिष्ठ क्रांतिकारी भाऊजी कावरे की सलाह पर दैनिक शाखा का स्थान तय हुआ-महाल स्थित श्रीमंत साळुबाई मोहिते का बाड़ा!1926 के चैत्र मास में प्रत्यक्ष संघ शाखा का श्रीगणेश हुआ।

एक बाल स्वयंसेवक के साथ चाय पर चर्चा करते हुए श्री गुरुजी

यह परंपरा पूजनीय श्रीगुरुजी से आज तक चली आ रही है। चाय तो निमित्त मात्र है, चाय की चुस्की लेते हुए समसामयिक घटनाओं पर मंथन, परिवार का हाल-चाल पूछना, हास्य-विनोद आदि सहजभाव से चलता है। पूजनीय श्रीगुरुजी एवं पूजनीय बालासाहब जी के साथ साढ़े तीन की चाय का स्वाद लेने वाले ऐसे अनेक कार्यकर्ता आज भी हमारे बीच में हैं।

संघ की स्थापना के बाद स्थायी रूप से संघ स्थान एवं कार्यालय होना अनिवार्य था। डॉ. साहब की भी यही इच्छा थी। इसके लिए वे अपने जीवनपर्यन्त प्रयत्नशील रहे। शुरुआती दौर में कह सकते हैं कि नई शुक्रवारी स्थित हेडगेवार निवास ही संघ कार्यालय होता था। आगे चलकर वॉकर रोड (वर्तमान रुइकर पथ) स्थित दशोत्तर जी के बाड़े को संघ कार्यालय हेतु बीस रुपये प्रतिमाह किराए पर लिया गया। 1945 तक दशोत्तर जी का बाड़ा तथा शेष जी का बाड़ा, ये दो संघ कार्यालय अस्तित्व में थे।

परमपूज्य डॉ. साहब के निधन तक मोहिते का बाड़ा नागपुर के बड़े साहूकार गुलाबसाव के पास गिरवी पड़ा था। 1930 के जंगल सत्याग्रह में अपनी सजा पूर्ण कर डॉक्टरजी के जेल से बाहर आने के बाद साहूकार गुलाब ने अपने तेवर दिखाकर मोहिते के बाड़े में शाखा लगाने से मना कर दिया। इस कठिन परिस्थिति में नागपुर भोसले संस्थान के श्रीमंत राजे लक्ष्मणराव महाराज भोसले संघ की मदद करने के लिए आगे आए। भोसले संस्थान के हाथीखाना में संघ की शाखा लगने लगी। आगे चलकर यह स्थान भी छोड़ना पड़ा और भोसले राजा के महाल स्थित तुलसीबाग में संघ की केंद्रीय शाखा आरम्भ हुई।

नियति का चक्र देखिए, 1941 में गुलाबराव साहूकार कर्ज के बोझ से कंगाल हो गया। उसे बारह हजार रुपये किसी को तत्काल लौटाने थे। गुलाबराव ने परमपूज्य श्रीगुरुजी से संपर्क कर अपनी मुसीबत से उन्हें अवगत कराया। पूजनीय गुरुजी ने मात्र तीन दिन में रकम जुटाकर कर्ज चुकाने हेतु गुलाबराव को सौंप दी। इसी के साथ महाद्वार के सामने वाले मैदान सहित पूरा मोहिते का बाड़ा श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्रीगुरुजी के नाम से 30 जून, 1941 को खरीद लिया गया। मोहिते का बाड़ा संघ स्थान के समीप आज जो पूर्वाभिमुख भवन दिखाई देता है,वहां कभी मिट्टी का कच्चा मकान था। शमी वृक्ष के समीप एक अन्य अतिरिक्त स्थान श्रीगुपचुप महाशय के परिवार द्वारा करवीर संकेश्वर पीठाधीश्वर शंकराचार्यजी महाराज को दान स्वरूप अर्पित किया गया था। उस स्थान को भी संकेश्वर मठ से संपर्ककर 25 सितम्बर, 1941 को 7000 रुपये नगद देकर पूजनीय श्रीगुरुजी के नाम से खरीद लिया गया।

केन्द्रीय कार्यालय का निर्माण
डॉ. हेडगेवार भवन निर्माण कार्य में पूजनीय बालासाहब देवरस जी का विशेष योगदान रहा। पूजनीय श्रीगुरुजी की सूचनानुसार बालासाहब जी ने स्वयं को निर्माण कार्य में झोंक दिया था। इस निर्माण कार्य हेतु उनके संपर्क से ही स्थापत्यकार डी.जी. करजगावकर, हिंदुस्थान कंस्ट्रक्शन कंपनी के एस.सी. केणी, पी. जी. खंबाटा, काका अभ्यंकर आदि महानुभावों की नियुक्ति हुई। पर्यवेक्षक के रूप में निर्माण कार्य की गुणवत्ता हेतु नागपुर के स्वयंसेवक शरदराव सिर्सीकर जी एवं मुंबई के स्वयंसेवक नाना ठोसर जी की नियुक्ति हुई। 1945 में संघ के स्थायी कार्यालय का संघ निर्माता का स्वप्न पूर्ण हुआ। इस प्रकार श्रीमंत साळुबाई मोहिते का बाड़ा डॉ. हेडगेवार भवन के नाम से पहचाना जाने लगा।

स्थायी कार्यालय के बनकर तैयार होने के साथ ही तत्कालीन सरसंघचालक परम पूजनीय श्रीगुरुजी, सरकार्यवाह और अन्य पूर्णकालिक प्रचारक डॉ. हेडगेवार भवन में रहने लगे। संघ के प्रारंभिक काल में संघ शिक्षा वर्ग, अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा आदि महत्वपूर्ण आयोजन इसी कार्यालय के परिसर में संपन्न होते थे। निवासी कार्यालय होने की वजह से यहां भोजनादि के लिए रसोईघर की व्यवस्था की गई। किंतु जैसा शीर्षक में दिया है-साढ़े तीन की चाय-आखिर ये चाय क्या है?

संघ का ‘अधिकृत पेय’
चाय के बारे में बात करें तो परमपूजनीय डॉ. हेडगेवार तो चाय को ‘संघ का अधिकृत पेय’ कहते थे। महाल स्थित डॉ. हेडगेवार भवन के रसोईघर में दोपहर साढ़े तीन बजे चाय की घंटी बजती है। उस समय कार्यालय परिसर में उपस्थित सभी जन, अतिथि, आगंतुक, निवासी प्रचारक चाय पीने के लिए एकत्रित हो जाते हैं। परमपूजनीय सरसंघचालक जी अगर कार्यालय में उपस्थित होते है, तो वे भी समूह के साथ बैठकर चाय पीते हैं। मूलत: यह ‘साढ़े तीन की चाय’ अपने राष्ट्रीय चिंतन ‘शुद्ध सात्विक प्रेम अपने कार्य का आधार है’ का कृतिरूप दर्शन है।

प्रचारकों और अन्य स्वयंसेवकों के साथ साढ़े तीन की चाय पर विचार मंथन करते हुए श्रीगुरुजी

संघ क्या है? इसका उत्तर है आत्मीयता का भाव…और इसी परिकल्पना को साकार करती है यह ‘साढ़े तीन की चाय’ की कालावधि! इस अनौपचारिक एकत्रीकरण में बडेÞ-बड़े राजनीतिक नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, सामान्य स्वयंसेवक…यहां तक कि कार्यकर्ताओंके संगी-साथी तथा वाहनचालक आदि सभी बेरोकटोक साढ़े तीन बजे की चाय का स्वाद लेते हैं। अन्य स्थानों पर जैसे लोगों के बड़े-छोटे पद के हिसाब से खानपान आदि की अलग-अलग व्यवस्था होती है, वैसा आपको संघ कार्यालय में कभी दिखाई नहीं देगा। यह परंपरा पूजनीय श्रीगुरुजी से आज तक चली आ रही है। चाय तो निमित्त मात्र है, चाय की चुस्की लेते हुए समसामयिक घटनाओं पर मंथन, परिवार का हाल-चाल पूछना, हास्य-विनोद आदि सहजभाव से चलता है।

पूजनीय श्रीगुरुजी एवं पूजनीय बालासाहब जी के साथ साढ़े तीन की चाय का स्वाद लेने वाले ऐसे अनेक कार्यकर्ता आज भी हमारे बीच में हंै, जो उनके कालखंड के अनेक स्मरण सुना सकते हैं। पूजनीय श्रीगुरुजी उबलती हुई गरमागरम चाय पीना पसंद करते थे। उस दौर में उनके साथ चाय में शामिल बड़े राजनीतिक नेताओं, संघ के अधिकारियों, प्रांतों से आए प्रचारकों आदि से लेकर बाल स्वयंसेवकों तक से उनका सीधा संवाद होता था।  व्रतबंध या विवाह का निमंत्रण देने आए परिवार को चाय के साथ-साथ उस धार्मिक विधि का महत्व कम समय में समझाना, यह तो परमपूजनीय श्रीगुरुजी की वाणी ही कर सकती थी।

चाय पर चर्चा का यह क्रम आगे पूजनीय बालासाहब देवरस, पूजनीय रज्जूभैया, पूजनीय सुदर्शनजी से होता हुआ आज भी श्री मोहनराव भागवत के साथ जारी है। पूजनीय सुदर्शनजी के काल में तो अन्य मतों के विद्वानों ने भी इस चाय का स्वाद लिया था। नागपुर के मेरे जैसे हजारों स्वयंसेवकों ने अपने परिवारजन के साथ न केवल इस चाय का अपितु चाय के साथ चलने वाले सहजानंद का भी प्राशन किया है।

डॉ. हेडगेवार भवन, महाल स्थित केंद्रीय कार्यालय लाखों स्वयंसेवकों एवं राष्ट्र जीवन को सर्वस्व मानने वाले कार्यकर्ताओं का ऊर्जा केंद्र है। मनुष्य निर्माण के साथ राष्ट्र निर्माण का मंत्र लेकर राष्ट्र की दशा-दिशा अवनति से उन्नति की ओर ले जाने का महत्कार्य इस भवन में संभव हुआ है और आज भी हो रहा है। भारतीय जनमानस में ‘गर्व से कहो हम हिंदू है’ की भावना जाग्रत करने की यह लंबी यात्रा यशस्वी हुई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-इन तीन शब्दों में अखंड साधना, आत्मीयता, व्यवहार कुशलता, देशभर में अखंड चल रही शाखाओं, सेवाकार्यों, गतिविधियों, विविध आयामों और आनुषंगिक संगठनों के रूप में वृहत संघ परिवार समाहित है। संघ का विचार दिनोंदिन वृद्धिगत हो रहा है। इस सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी कार्य के आज के स्वरूप में संघ के केन्द्रीय कार्यालय की ‘साढ़े तीन की चाय’ की भूमिका गिलहरी की सी ही सही, परन्तु है महत्वपूर्ण। ‘साढ़े तीन की चाय’ से नि:सृत हो रहे आपसी सद्भाव, आत्मीयता एवं सामाजिक समरसता की संकल्पना को कोटि-कोटि वंदन !
विजेत्री च न: संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रम्
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्
(लेखक नागपुर स्थित श्री रामदेव बाबा कॉलेज आफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं)

Topics: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघश्रीगुरुजीडॉ. हेडगेवार भवनबालासाहबराष्ट्र की दशा-दिशा
Share5TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सोमवार को केशव कुंज कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक के संबंध में जानकारी दी। साथ में  दिल्ली प्रांत के संघचालक अनिल अग्रवाल जी।

आरएसएस के 100 साल:  मंडलों और बस्तियों में हिंदू सम्मेलन का होगा आयोजन, हर घर तक पहुंचेगा संघ

भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए राज्यपाल राजेन्द्र आर्लेकर

राजनीति से परे राष्ट्र भाव

indian parliament panch parivartan

भारतीय संविधान और पंच परिवर्तन: सनातन चेतना से सामाजिक नवाचार तक

अतिथियों के साथ सम्मानित पत्रकार

सम्मानित हुए 12 पत्रकार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

न्यूयार्क के मेयर पद के इस्लामवादी उम्मीदवार जोहरान ममदानी

मजहबी ममदानी

फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान

क्या है IMO? जिससे दिल्ली में पकड़े गए बांग्लादेशी अपने लोगों से करते थे सम्पर्क

Donald Trump

ब्राजील पर ट्रंप का 50% टैरिफ का एक्शन: क्या है बोल्सोनारो मामला?

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies