समुद्र तट से वनों की ओर बढ़ेगा गोवा का पर्यटन -विश्वजीत राणे

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पाञ्चजन्य ब्यूरो

गोवा के वन मंत्री विश्वजीत राणे गोवा के पर्यटन को समुद्र तटों से वन्य क्षेत्र की ओर ले जाना चाहते हैं। वह गोवा के प्रति पर्यटकों की सोच बदलना चाहते हैं। स्वयं एक बेहतरीन वन्य जीव फोटोग्राफर राणे ने कहा कि वह गोवा में जंगल बचाने और नए जंगल उगाने की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे जंगलों में तालाब बनाने के लिए सोच रहे हैं।

पर्यावरण संवाद में गोवा के वन मंत्री विश्वजीत राणे ने कहा कि गोवा का पर्यटन अब समुद्री तटों से वनों की ओर उन्मुख होगा। उन्होंने कहा कि गोवा के बारे में लोग हमेशा सी, सैंड और सन की बात करते हैं, लेकिन जबसे मैंने वन मंत्रालय का कार्यभार संभाला है, तब से हम वन पर्यावरण पर्यटन विकसित करने पर अतिरिक्त जोर दे रहे हैं। हमारा ध्यान समुद्र तट से वनों पर केंद्रित होना चाहिए।

इस दिशा में हम लोग प्रयासरत हैं। इससे लोगों के मन में गोवा के प्रति जो यह भाव है कि यहां वे केवल मौज-मस्ती के लिए आते हैं, वह सोच बदलेगी। इसे लेकर हमने एक योजना बनाकर केंद्र सरकार को भेजा है। हमें विश्वास है कि गोवा में एक नया माहौल बनाने में हमें सफलता मिलेगी। हम जंगल बचाने और नए जंगल उगाने की दिशा में काम कर रहे हैं ताकि जंगल का घनत्व कम नहीं हो।

राणे ने कहा कि गोवा में महादेव वन्यजीव अभयारण्य और 57 प्रतिशत जंगल क्षेत्र है। 20 प्रतिशत संरक्षित क्षेत्र है। इसके अलावा, वन संरक्षण के लिए हमने अतिरिक्त क्षेत्र भी रखा है। हम लगातार इस दिशा में विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा कर रहे हैं। इसके लिए विशेषज्ञों की एक समिति भी बनाई है।

मुझे लगता है कि गोवा का वन क्षेत्र कम नहीं हुआ है। गोआ में वन क्षेत्र पहले की ही तरह है। इसमें निजी वन क्षेत्र भी शामिल है। इसलिए मेरे हिसाब से संतुलन ठीक है। यह पूछने पर कि केंद्र सरकार ने आजादी के 75वें वर्ष में हर जिले में 75 तालाब बनाने की योजना बनाई है, अपने यहां इस योजना को कैसे लागू कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय इसके लिए नोडल एजेंसी है। इस योजना में वन विभाग साझीदार है।

इस योजना को लागू करने वन विभाग जो भी कर सकता है, उसके लिए यह ग्रामीण विकास मंत्रालय का सहयोग करेगा। गोवा में खेती योग्य जमीन कम है, इसलिए जमीन को लेकर दबाव ज्यादा है। छोटा राज्य है और लोग यहां खेती करना पसंद नहीं करते हैं। हम सब कुछ बाहर से लाते हैं। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि जल संरक्षण की दिशा में काम किया जाए। इसके लिए वन विभाग और ग्रामीन विकास विभाग मिल कर काम करेगा और हम जंगलों में भी तालाब बनाएंगे।

 

चार वन्य जीव अभ्यारण्य

गोवा में चार वन्य जीव अभ्यारण्य हैं। भगवान महावीर अभ्यारण्य पणजी से 57 किमी दूर है। यहां तेंदुआ, सामान्य लंगूर, पिसूरी, साही, काला चीता, जंगली सूअर और एक खास किस्म का मेंढक सहित ढेरों जानवर हैं। बोंडला वन्यजीव अभ्यारण्य गोवा के उत्तर-पूर्व हिस्से में स्थित है। यहां सांबर हिरण, इंडियन बाइसन, बड़ी गिलहरी, भारतीय मोर और कई तरह के सांप हैं। दक्षिणी गोवा के कानाकोना जिले में स्थित कोटीगाओ वन्यजीव अभ्यारण्य में उड़ने वाली गिलहरी, पतले लोरिस, भारतीय पेंगोलिन, पिसूरी, चार सींगो वाला चिकारा, मालाबार पिट वाइपर, बड़े नाक वाला पिट वाइपर और सफेद पेट वाला कठफोड़वा देखी जा सकती है। महादेई वन्यजीव अभ्यारण्य यह अभ्यारण्य पश्चिमी घाट के साथ-साथ उत्तरी गोवा में स्थित है। यहां एशियन पाम सिवेट, काला चीता, काले मुंह वाला लंगूर लाल-काला सनबर्ड, मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, लाल अजगर आदि देखे जा सकते हैं।
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