नैनीताल शहर के मध्य और उत्तराखंड हाई कोर्ट से लगी हुई शत्रु संपत्ति पर संदिग्ध मुस्लिमों का कब्जा है। काबिज लोगों की संख्या हजारों में पहुंच गई है। नैनीताल शहर में जनसंख्या असंतुलन का ये सबसे बड़ा उदाहरण है। बड़ा सवाल ये है कि इन अवैध कब्जेदारों को जिला प्रशासन ने हर सुविधा मुहैया करवा कर दी हुई है। नैनीताल में हाई कोर्ट के पास राजा महमूदाबाद (सीतापुर) मोहम्मद अमीर अहमद की संपति थी जिसंमे मेट्रोपोल होटल और पुरानी कोठिया हैं। ये भवन 11375 वर्ग मीटर क्षेत्र में बने हुए हैं। साथ ही 22478 वर्ग मीटर का जमीन और भी है जिसमें अवैध रूप से मुस्लिमों ने कब्जे कर लिए हैं।
राजा महमूदाबाद, आजादी के समय पाकिस्तान चले गए और वहीं बस गए। उनकी ये और अन्य संपति भारत सरकार के गृह मंत्रालय के स्वामित्व में शत्रु संपत्ति 1968 के शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत घोषित हो गई। इससे पहले भी इस संपत्ति पर सरकार का ही हक रहा था। कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार में इस शत्रु संपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सलमान खुर्शीद ने केस भी लड़ा था, सलमान खुर्शीद ने राजा महमूदाबाद के एक कथित वारिस के सामने आ जाने के बाद इस केस की पैरवी की थी। उल्लेखनीय है नैनीताल मेट्रोपोल होटल और उसके पास की शत्रु संपत्ति की कीमत ही इस वक्त सौ करोड़ से ज्यादा की है, इसके अलावा यूपी की राजधानी लखनऊ में हजरतगंज की दुकानें, सीतापुर और भी कई शहरों में राजा महमूदाबाद की शत्रु संपत्ति घोषित होकर सरकार के कब्जे में है। इस मामले में सलमान खुर्शीद को कोर्ट से हार मिली थी और ये संपत्तियां भारत और राज्य सरकार के अधीन ही रहीं।
नैनीताल में शत्रु संपत्ति पर मुस्लिमों के कब्जे
मेट्रोपोल होटल के आसपास जो जमीन शत्रु संपत्ति है उस पर सैकड़ों मुस्लिम परिवार आकर बसते चले गए। रामपुर, मुरादाबाद, स्वार, टांडा आदि क्षेत्रों से आए ये मुस्लिम लोगों ने अपनी पूरी बस्ती बना डाली, जबकि ये जमीन सरकार की है। गौर करने वाली बात ये है कि नैनीताल जिला कमिश्नरी मुख्यालय भी है और नैनीताल हाई कोर्ट के ठीक बराबर में सरकारी जमीन पर कब्जा करने का खेल कई सालों से चलता रहा, जिला प्रशासन ने नगर पालिका ने इन कब्जेदारों को सरकारी सुविधाएं भी प्रदान की। दरअसल ये वोट की राजनीति की वजह से सब एक षडयंत्र के तहत हुआ, क्योंकि इन कब्जेदारों के अपने राजनीतिक आका हैं और इन्हें राजनीतिक नेताओं का खुला संरक्षण मिलता रहा। शत्रु संपत्ति में कौन लोग आकर यहां बसे ? इस बात की आज तक कोई गंभीरता से जांच भी नहीं हुई। सूत्र बताते हैं कि इनमें ज्यादातर रोहिंग्या और बंग्लादेशी हैं।
इस शत्रु संपत्ति पर अवैध कब्जों की वजह से नैनीताल शहर का जनसंख्या असंतुलन हुआ है। पिछले 15 सालों में नैनीताल मुस्लिम आबादी में चार गुना की वृद्धि हुई है। पिछले दिनों खुफिया विभाग की एक रिपोर्ट भी आई थी कि नैनीताल के पर्यटन कारोबार में रोहिंग्यों की घुसपैठ हो गई है। बोट चालक, मांस, सब्जी, गाइड, होटल में काम करने, टैक्सी व्यवसाय आदि में इनका कब्जा हो चुका है। इनमें अधिकांश शत्रु संपत्ति पर अवैध रूप से काबिज हैं और इनकी संख्या सैकड़ों में नहीं हजारों में पहुंच गई है। एक वक्त था कि नैनीताल की मस्जिद में स्थानीय पुराने लोग, नमाज अंदर बैठकर पढ़ लेते थे। आज जुमे की नमाज सड़क पर और ईद की नमाज फ्लैट, मैदान पर जब पढ़ी जाती है तो पता चलता है कि जनसंख्या असंतुलन के बातें क्यों उठने लगी हैं?
नैनीताल में और भी हैं शत्रु संपत्ति
2018 में यूपी सर्किल के शत्रु संपत्ति अभिरक्षा कार्यालय के अधिकारी धर्म पाल सिंह ने यहां आकर, हजरुद्दीन एहमद, केशजहां बेगम और रुखसाना एहमद की तीन संपत्तियों पर अपना बोर्ड लगाया था। उनकी एक संपत्ति दरऊ, किच्छा में भी चिन्हित की गई थी। सूत्र बताते हैं कि इस संपत्ति पर भी मुस्लिमों के कब्जे हो चुके हैं।
पीएम मोदी को लिखा गया पत्र
नैनीताल में शत्रु संपत्ति पर अवैध कब्जे के बारे में स्थानीय नागरिक नितिन कार्की ने एक पत्र प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी लिखा है। उन्होंने डीएम नैनीताल से भी ये निवेदन किया है कि वो इस बात की जांच करवाएं कि ये काबिज लोग कौन हैं और यहां आकर कैसे बस गए। इन्हे सरकारी सुविधाएं कैसे मिलने लगी हैं? सरकार अपनी इस जमीन को खाली करवाए।
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