मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को संचारी रोग अभियान से जुड़ी एक उच्च स्तरीय बैठक में कहा कि डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए नियमित स्वच्छता पर ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि जहां पर संचारी का रोग का ज्यादा खतरा है. उन क्षेत्रों में दस्तक अभियान के दौरान हर – घर का सर्वे कराया जाय । आशा कार्यकत्रियों को मलेरिया जांच का भी प्रशिक्षण दें। प्रदेश में सघन वेक्टर सर्विलांस के साथ ही रोगियों व लक्षण युक्त व्यक्तियों की त्वरित जांच और आइसोलेशन की व्यवस्था करें। सभी जिलों में रैपिड रिस्पांस टीम का गठन कर उनको प्रशिक्षण दें। कम्युनिटी हेल्थ सर्विसेज को त्वरित आउटब्रेक रिस्पॉन्स के लिए प्रशिक्षण दिया जाए।
उन्होंने कहा कि रोगियों के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था करतें हुए त्वरित आउटब्रेक रिस्पॉन्स के लिए डिजीज सर्विलांस डेटा तंत्र का सुदृढ़ीकरण करें। क्षय रोग लक्षण युक्त व्यक्तियों के इलाज की व्यवस्था करें। ग्रामीण क्षेत्रों ने आबादी के बीच वाले तालाबों को अपशिष्ट व प्रदूषण मुक्त रखने के नियोजित प्रयास करने के निर्देश दिए।
सीएम ने कहा कि इस अभियान को प्रभावी बनाना सामूहिक जिम्मेदारी है। सरकारी प्रयास के साथ-साथ जनसहभागिता भी महत्वपूर्ण है। डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, पाथ जैसी संस्थाओं का सहयोग लिया जाना चाहिए। इंसेफेलाइटिस नियंत्रण और कोविड प्रबंधन के दो सफल मॉडल प्रदेशवासियों के सामने हैं, जो संचारी रोग अभियान में भी हमारे लिए महत्वपूर्ण होंगे। स्कूलों में प्रार्थना सभा के दौरान बच्चों को स्वच्छता के लिए प्रेरित करने इससे जुड़ी वाद-विवाद, निबंध, पर्यावरण स्वच्छता, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन कराने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में 16 जुलाई से घर-घर दस्तक अभियान शुरू होगा और इसमें मेडिकल टीमें घर-घर जाकर संक्रामक रोगों से ग्रस्त मरीजों की पहचान करेंगी। इस टीम में आशा वर्कर के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मी शामिल रहेंगे। टीम की मदद से रोगियों को चिन्हित कर उन्हें दवा दी जाएगी और जरूरी होने पर अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। अगर सर्वे के दौरान ऐसे मरीज मिलते हैं तो उनकी जांच कराई जाएगी। इसके अलावा अभियान में कुपोषित बच्चों की जानकारी जुटाने का निर्देश भी दिया गया है। दस्तक अभियान के तहत टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज कर उनकी जांच कराई जाएगी।
यूपी में बीमारियों के उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियानों की सफलता का परिणाम है कि प्रदेश में प्रति 1,000 की जनसंख्या पर एक से भी कम लोगों में मलेरिया से ग्रसित पाए गए, जबकि कालाजार रोग 22 चिन्हित ब्लॉक में हर 10,000 की आबादी में एक से कम लोगों में ही संक्रमण की पुष्टि हुई। यूपी जल्द ही कालाजार मुक्त हो जाएगा और मलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण करने के अपने लक्ष्य के बेहद करीब है।
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