पटना के अवैध बूचड़खाने विमानों के लिए घातक बन रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 19 जून को पटना से दिल्ली के लिए उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद स्पाइसजेट के विमान में आग लग गई। यह हादसा 2,000 फीट की ऊँचाई पर एक पक्षी के विमान से टकरा जाने के कारण हुआ था। विमान में दो बच्चे सहित 191 लोग सवार थे, लेकिन धैर्यवान पायलट मोनिका खन्ना ने अपनी सूझबूझ से बिना किसी नुकसान के हवाई अड्डे पर विमान का आपातकालीन लैंडिंग कराया और सबकी जान बच गई।
अब इस घटना के संबंध में स्पाइसजेट की ओर से विज्ञप्ति जारी कर बताया गया है, “टेकऑफ पर, रोटेशन के दौरान, कॉकपिट क्रू को संदेह था कि पक्षी इंजन 01 से टकरा गया है। एहतियात के तौर पर … कप्तान ने प्रभावित इंजन को बंद कर दिया और पटना लौटने का फैसला किया।”
पटना हवाई अड्डे पर पक्षियों के विमानों से टकराने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी इस तरह की अनेक घटनाएं हो चुकी हैं। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पटना हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाले विमान पक्षियों के कारण जानलेवा हो रहे हैं। ऐसा प्रतिवर्ष हो रहा है। गत वर्ष भी पटना हवाई अड्डे पर विस्तारा की उड़ान UK 717 भी लैंडिंग के दौरान पक्षी से टकरा गई थी। उस समय भी पायलट की सूझबूझ के कारण हादसा टल गया था। हवाई अड्डे के अधिकारी बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में ‘बर्ड हिट’ की आवृत्ति बढ़ी है।
हवाई अड्डे के आसपास मंडराते हैं पक्षी
पटना हवाई अड्डे से जुड़े तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है चारदीवारी से सटा फुलवारी रेलवे स्टेशन है और रेलवे लाइन के किनारे गंदगी के कारण भी पक्षियों की संख्या अधिक होती है। बूचड़खानों से मांस का टुकड़ा लेकर उड़ने वाले पक्षी अक्सर रेलवे लाइन के आसपास मंडराते दिख जाते हैं। बड़े पक्षी भी यहां दिखाई पड़ते हैं। इन बड़े पक्षियों के कारण 5,000 फीट तक ‘बर्ड हिट’ का खतरा बना रहता है।
पक्षी टकराने से इंजन बंद होने का खतरा होता है
विमान विशेषज्ञों का मानना है कि फ्लाइट की पंखी की गति काफी तेज होती है। जब यह चलती है तो तेज हवा के कारण इसकी चपेट में पक्षी आ जाते हैं और कट कर टुकड़ों में बदल जाते हैं। इस तरह पक्षियों के अंग और अन्य चीजें विमान के इंजन तक पहुंच जाती हैं और इंजन के बंद होने का खतरा पैदा हो जाता है। विमान में दो इंजन होते हैं। ऐसे में अगर दोनों इंजन तक पक्षियों के अंग चले जाएं तो बड़ी घटना होने की संभावना बढ़ जाती है।
फुलवारी के बूचड़खाने पर कोई रोक नहीं
पटना हवाई अड्डे से लगभग आधे किलोमीटर की दूरी पर टेटिया बाजार के कसाई मुहल्ले में एक बहुत बड़ा बूचड़खाना है। वहाँ प्रतिदिन कम से कम 8 से 10 गाय और अन्य बड़े जानवर काटे जाते हैं। खुले मैदान में स्थित इस बूचड़खाने से कटे जानवरों का मांस आसपास के इलाके के कसाई भी ले जाते हैं। इसके अलावा भी कई छोटे—छोटे बूचड़खाने हैं। मांस का टुकड़ा पाने के लिए यहां पक्षियों का झुंड हमेशा रहता है।
पटना हवाई अड्डे की गवर्निंग बॉडी में पटना के प्रमंडलीय आयुक्त अध्यक्ष होते हैं। गवर्निंग बॉडी की बैठक प्रत्येक महीने होती है। बैठक में ‘बर्ड हिट’ पर भी चर्चा होती है। हर बैठक में यह बताया जाता है कि ‘बर्ड हिट’ का सबसे बड़ा कारण फुलवारीशरीफ का खुला कसाईखाना (बूचड़खाना) है। कसाईखाना बंद करने को लेकर हर बैठक में निर्देश दिया जाता है। पिछले 10 वर्ष से इस गंभीर मामले में योजना बन रही है, लेकिन अभी तक कोई नियम नहीं बना है। पटना उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद भी फुलवारीशरीफ और पटना का शाहगंज कसाईखाना बंद नहीं हो सका है। पटना हवाई अड्डे के अधिकारी भी पिछले एक दशक से राज्य सरकार को बार-बार इस बारे में आगाह कर रहे हैं लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात।
पटना हवाई अड्डे के पूर्व कर्मी देव नारायण द्विवेदी ऐसी स्थिति से निराश हैं। उनका मानना है कि जब तक फुलवारी का बूचड़खाना बंद नहीं होता है तब तक इस खतरे को कम नहीं किया जा सकता।
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