पुश्तैनी सेब की खेती को नारायण सिंह ने दे दिया नया रूप, लाखों में कमा रहे मुनाफा
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत उत्तराखंड

पुश्तैनी सेब की खेती को नारायण सिंह ने दे दिया नया रूप, लाखों में कमा रहे मुनाफा

उत्तराखंड में पिछला एक दशक सेब बागवानों के लिए बड़ा ही चुनौतीपूर्ण रहा है। रामगढ़ एवं धारी क्षेत्र में भूमि उपयोग असाधारण रूप से परिवर्तित हो गया है।

by
Jun 20, 2022, 03:36 pm IST
in उत्तराखंड
सेब के बागान

सेब के बागान

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

उत्तराखण्ड में देखा जाए तो जिला नैनीताल अंग्रेजों के समय से ही सेब उत्पादन में अपना एक अलग मुकाम रखता है। नैनीताल का रामगढ़ और धारी क्षेत्र में फल पट्टी के रूप में पूरे भारत में विख्यात है। दुनिया में होने वाले सेब की बेहतरीन प्रजातियों को इस क्षेत्र के बागवानों ने सफलता पूर्वक पूर्व में अपने बागों में उत्पादित किया है, लेकिन समय के साथ-साथ अब नई सेब की प्रजातियां बाजार में आ गई हैं और पुरानी प्रजाति के सेब चलन से बाहर हो रहे हैं।

मनाघेर के रहने वाले नारायण सिंह पिछले 20 सालों से दिल्ली एनसीआर में नौकरी कर रहे थे। एक दिन उनके पिता ने अपने सेब के बाग में उनसे कहा कि अब मेरी उम्र हो रही है लिहाजा इस बाग की देखभाल अब तुम्हारे हवाले है। नारायण सिंह ने अपने पिता की आंखों में एक जरूरत दिखी मानो वो कह रहे हों कि तुम अपने घर अपने पहाड़ वापस आ जाओ। नारायण सिंह ने अपनी नौकरी का अनुबंध पूरा किया और पहाड़ अपने घर लौट आए। घर पर पुश्तैनी सेब के बाग को फिर से हरा भरा करने का संकल्प लिया।

नारायण सिंह

दरअसल जो सेब का पुश्तैनी बगीचा था वो अंग्रेज शासन काल में लगाया था। अंग्रेज जो सेब के पौधे यहां इस क्षेत्र में लाये थे उन पौधों में अब वायरस आ चुका था। सेब की फसल टेढ़ी और खट्टी आने लगी है। नारायण सिंह ने डच सेबों की प्रजाति के पौधों को अपने यहां प्रयोग के तौर पर लगाया। हालांकि उनका मन था कि पहले पुराने पेड़ों को उखाड़ दिया जाए और नई किस्म की सेब की प्रजाति को लगा दिया जाए, लेकिन उनके परिवार इसके लिए सहमत नही होंगे। इसलिए उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से पहले दो साल में ही नई सेब की फसल को हासिल किया।

सेब की ये प्रजाति वायरस फ्री थी और बाजार में बिक रहे विदेशी सेबों को टक्कर दे रही थी। ऐसी फसल पाने के बाद उन्होंने पुराने ब्रिटिश कॉल में लगे सभी पेड़ों को उखाड़ने कि मौन स्वीकृति अपने परिवार से हासिल कर नए पेड़ लगाए और देखते ही देखते दो-तीन सालों में शानदार सेब का उत्पादन होने लगा। उत्तराखंड में पिछला एक दशक सेब बागवानों के लिए बड़ा ही चुनौतीपूर्ण रहा है। रामगढ़ एवं धारी क्षेत्र में भूमि उपयोग असाधारण रूप से परिवर्तित हो गया है। बड़े बागों के स्थान पर रिसोर्ट होटल, आवासीय भवन बनने लगे हैं, जिस कारण यहां के सेब बागवानी नष्ट होने लगी। मौसम परिवर्तन अवैज्ञानिक ज्ञान प्रसार ने भी सेब की खेती को नुकसान पहुंचाया।

नारायण सिह ने आसपास के ग्रामवासियों को भी अपने खेत पर लेजाकर समझाया कि आप भी ऐसा करके अच्छी आमदनी कर सकते हैं। ग्रामवासी आज नारायण सिंह के साथ जुड़ रहे हैं और पुश्तैनी सेब के बगीचों को फिर से संवार रहे हैं। नारायण सिंह ने अपनी पुश्तैनी भूमि में जो मेहनत से काम किया आज उनके बगीचे में सेब के 1000 पेड़ हैं, जिसमें 250 पेड़ फल उत्पादन करने लगे हैं। डच सेब की प्रजातियां गालाए स्कारलेट, किंगरोट, जेरोमाईन आदि हैं। नारायण सिंह पढ़े लिखे हैं और सेब की खेती का अध्ययन करते करते वैज्ञानिक विधियां अपना कर सेब की खेती को कर रहे हैं।

पेड़-पौधों की सिंचाई के किए ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करते हैं पूर्व में जहां एक नाली भूमि में 10 पेड़ लगाते थे अब वे 50 पेड़ों को लगा रहे हैं, जिसमें सेब का उत्पादन पांच गुना बढ़ गया है। बगीचे के मध्य नारायण सिंह ने मटर, लहसुन जैसी फसलों को उगाना शुरू कर दिया है जोकि बहुत फायदेमंद है वर्तमान में 10 से 15 नाली में सेब की खेती कर रहे हैं। साथ ही कीवी, पुलम, आडू आदि फसलों को भी अब लगाने लगे हैं। नारायण सिंह अपने फार्म को जो कि ‘मालती आचर्ड’ से जाना जाता है। अब इसको एक प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित कर रहे हैं ताकि पहाड़ के युवाओं को वहीं पुश्तैनी रोजगार से जोड़ सकें।

Topics: मनाघेर में सेब के बागानApple CultivationNarayan SinghApple Cultivation in NainitalApple Orchards in Managherसेब की खेतीनारायण सिंहनैनीताल में सेब की खेती
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

नारायण सिंह

पिट्ठुओं को पीटा

जगमोहन राणा

सेब से मिला समृद्धि का स्वाद

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पुलवामा हमले के लिए Amazon से खरीदे गए थे विस्फोटक

गोरखनाथ मंदिर और पुलवामा हमले में Amazon से ऑनलाइन मंगाया गया विस्फोटक, आतंकियों ने यूज किया VPN और विदेशी भुगतान

25 साल पहले किया था सरकार के साथ फ्रॉड , अमेरिका में हुई अरेस्ट; अब CBI लायेगी भारत

Representational Image

महिलाओं पर Taliban के अत्याचार अब बर्दाश्त से बाहर, ICC ने जारी किए वारंट, शीर्ष कमांडर अखुंदजदा पर भी शिकंजा

एबीवीपी का 77वां स्थापना दिवस: पूर्वोत्तर भारत में ABVP

प्रतीकात्मक तस्वीर

रामनगर में दोबारा सर्वे में 17 अवैध मदरसे मिले, धामी सरकार के आदेश पर सभी सील

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुस्लिम युवक ने हनुमान चालीसा पढ़कर हिंदू लड़की को फंसाया, फिर बनाने लगा इस्लाम कबूलने का दबाव

प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्तराखंड में भारी बारिश का आसार, 124 सड़कें बंद, येलो अलर्ट जारी

हिंदू ट्रस्ट में काम, चर्च में प्रार्थना, TTD अधिकारी निलंबित

प्रतीकात्मक तस्वीर

12 साल बाद आ रही है हिमालय सनातन की नंदा देवी राजजात यात्रा

पंजाब: अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्कर गिरोह का पर्दाफाश, पाकिस्तानी कनेक्शन, 280 करोड़ की हेरोइन बरामद

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies