उत्तराखंड में क्या मजार जिहाद का षडयंत्र रचा जा रहा है? ये सवाल अब चर्चा में है, राजधानी देहरादून के आसपास जंगलों में एक दर्जन से ज्यादा मजारे चिन्हित की गई हैं जोकि पिछले कुछ महीनों में बनाई गई हैं। इनमें से ज्यादातर वन विभाग की भूमि पर हैं।
‘पाञ्चजन्य’ को मिली जानकारी के अनुसार दून घाटी में पिछले कुछ महीनों में जंगल क्षेत्र में अनेकों मजारें बना दी गई हैं। इन मजारों को किसने बनने दिया? किसने संरक्षण दिया? अधिकांश मजारें वन विभाग की भूमि पर योजनाबद्ध तरीके से बनाई गई हैं। जानकारी के मुताबिक चौकी धौलसा के जंगल में मजार बनी है, दून जंगल में भी, कुआंवाला में भी एक मजार बना दी गई है। बताया जा रहा है कि पौंधा गांव में गुरुकुल मार्ग वाले जंगल में भी मजार बना दी गई है और यहां दिन रात दीपक जलाए जा रहे हैं।
रायपुर रिंग रोड पर भी जंगल किनारे मजार बनाने का मामला सुर्खियों में आया हुआ है। जबकि हरिद्वार रोड पर लच्छी वाला के जंगल में रोड किनारे मजार बना कर दान पात्र की हरी पेटी रखकर मुख्यमार्ग पर चंदा एकत्र किया जा रहा है। पिछले दिनों कैलाश अस्पताल के पास भी एक मजार को बना दिया था और इसके आसपास की जमीन पर कब्जा करने वाले संभल के एक युवक की लोगों ने पिटाई कर दी थी।
देहरादून में पिछले कुछ महीनों में वन विभाग की भूमि पर अवैध मजारें बन रही हैं और वन विभाग सोया रहा, नहीं तो यही वन विभाग अपने जंगल में किसी आम आदमी को प्रवेश नहीं लेने देता। आखिरकार वन विभाग किसके इशारे पर खामोश रहा? राजधानी देहरादून ही नहीं पूरे उत्तराखंड में ‘मजार जिहाद’ का षडयंत्र चल रहा है। सैकड़ों की संख्या में मजारे कैसे वन विभाग की जमीनों पर अवैध रूप से बना दी गईं? मुस्लिम समुदाय में एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जोकि मजार, दरगाह को नहीं मानता। ये बात भी सामने आई है कि यहां मजारों में झाड़ फूंक करने वाले, खास कपड़ों का लबादा ओढ़े तथाकथित मौलवी बरेलवी संप्रदाय से होते हैं।
खबर है कि यहां अवैध मजारें बनाने वाले ये मुस्लिम लोग अपने साथ धीरे-धीरे अपना परिवार और रिश्तेदार यहां काबिज करने लगे हैं। उत्तराखंड में असम के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी बढ़ी है। जनसंख्या असंतुलन के मुद्दे पर राज्य की बीजेपी सरकार भी चिंता में है और सामाजिक संगठन यहां नया भू-कानून बनाए जाने की मांग करते रहे हैं, जिस पर बीजेपी सरकार ने एक समिति बनाकर उस कानून का ड्राफ्ट बनाए जाने की पहल भी की है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि वन विभाग की सरकारी जमीन पर अवैध मजारों को हटाने के लिए क्या किसी नए कानून की जरूरत सरकार को है?
हिंदू संगठनों ने दिया ज्ञापन
देहरादून और आसपास बढ़ती अवैध मजारों पर वीर सावरकर संगठन के प्रमुख कुलदीप स्वेडिया के नेतृत्व में एक ज्ञापन डीएम देहरादून को दिया गया है, जिसमें ये मांग की गई है कि प्रशासन और वन विभाग इन अवैध मजारों को हटाए अन्यथा वो आंदोलन करेंगे। कुलदीप का कहना है कि एक षडयंत्र चल रहा है, जिसे सरकार को खासतौर पर बीजेपी की हिंदूवादी सरकार को समझने की जरूरत है।
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