भारत और मंगोलिया के बीच संबंधों को और मधुर बनाने के कई उपक्रमों के बीच भारत में सहेजे भगवान बुद्ध के कुछ पवित्र अवशेष मंगोलिया के बौद्धों को सौंपने की तैयारी चल रही है। माना जा रहा है कि इस कदम से दोनों देशों के बीच रिश्ते और मजबूत होंगे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत-मंगोलिया के आपसी आदान—प्रदान के प्रयासों को मजबूती देते हुए भगवान बुद्ध के चार पवित्र अवशेष मंगोलिया को भेजे जाने वाले हैं। इस संबंध में तैयारियां कर ली गई हैं और इस ऐतिहासिक कदम की अगुआई केन्द्रीय मंत्री किरन रिजिजू करेंगे।
भगवान बुद्ध के ये चार पवित्र अवशेष आगामी बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर मंगोलिया भेजे जाएंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे दोनों देशों के बीच रिश्ते तो बेशक मजबूत होंगे, पर साथ ही एक ऐतिहासिक शुरुआत भी होगी। इस पूरे आयोजन के लिए 25 सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल गठित किया गया है। इस दल के अध्यक्ष केन्द्रीय मंत्री किरन रिजिजू होंगे।
उल्लेखनीय है कि राजधानी उलानबातर शहर में मंगोलिया के बौद्धों का मुख्य केंद्र, गनदेन तेगचेनलिंग मठ वह संस्थान है जो भारत के केंद्रीय कानून मंत्री की अगुआई में एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा भारत से लाए जाने वाले भगवान बुद्ध के अवशेषों को प्रदर्शित करने के लिए अपनी तैयारी में जुटा है। ये अवशेष बौद्ध धर्म में सबसे पावन स्थान रखते हैं। फिलहाल इन्हें नई दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय में सोने के आधार वाले मंडप में रखे गए हैं। लेकिन अब लगभग 29 साल बाद भगवान बुद्ध के ये पवित्र अवशेष मंगोलिया वापस लौट रहे हैं।
आनंद से भरे मंगोलिया के तेगचेनलिंग मठ के प्रशासन बोर्ड से जुड़े श्री बचुलुउन का कहना है कि यह इतिहास की सबसे दुर्लभ घटना होने जा रही है। मंगोलिया के लोगों के सामने घटित होने वाला ये दुर्लभ पल है। वे इससे भरपूर आशीर्वाद प्राप्त करें। उनका मानना है कि बौद्ध धर्म भारत और मंगोलिया दोनों को साथ लाता है। उन्होंने आगे कहा, ‘2000 साल पहले बौद्ध धर्म को हमारे पूर्वजों ने सीधे भारत से रेशम मार्ग के माध्यम से आत्मसात किया था। प्राचीन बौद्ध धर्म हमारे पूर्वजों के क्षेत्रों तक पहुंच गया था। इसलिए हम कहते हैं कि बौद्ध धर्म ने हमें एक सूत्र में जोड़ा है। उन्होंने ये भी कहा कि भारत तथा मंगोलिया भौगोलिक रूप से भले दूर हों, लेकिन आध्यात्मिकता और साझी विरासत के कारण दोनों आपस में बहुत करीब हैं। उन्होंने कहा, ‘हम भारत को पहले बुद्ध और बौद्ध धर्म की पवित्र भूमि मानते हैं।’
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