कुछ लोग इतने असंवेदनशील होते हैं कि उन्हें किसी के मरने पर पर दुख नहीं होता है और यहां तक कि किसी के शव की आड़ में पैसा बनाने की जुगत में लग जाते हैं। एक ऐसा ही मामला बिहार के समस्तीपुर में सामने आया है। एक रिपोर्ट के अनुसार समस्तीपुर सदर अस्पताल में एक पोस्टमार्टम—कर्मी ने शव लेने आए परिजनों से 50,000 रु. की मांग की। उन लोगों के पास इतनी बड़ी राशि ने होने के कारण भीख मांगने लगे, ताकि उस कर्मी को देकर शव वापस लिया जा सके। इसका वीडियो वायरल होने पर जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने इस मामले पर तुरंत कार्रवाई करने को कहा। इसके बाद परिजनों को शव मिला।
बताया जा रहा है कि 6 जून को राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर एक शव मिला था। चूंकि वह शव अज्ञात था इसलिए पुलिस ने आवश्यक कागजी कार्रवाई करने के बाद उस शव का पोस्टमार्टम कराया और उसे शवगृह में रखवा दिया। इसी बीच पता चला कि ताजपुर थाना के अंतर्गत पड़ने वाले आहर गांव के महेश ठाकुर के पुत्र संजीव ठाकुर कुछ दिनों से गायब हैं। महेश और उनके परिवार के अन्य लोग संजीव को ढूंढ रहे थे, तभी पता चला कि एक शव अस्पताल में रखा गया है। वे लोग वहां पहुंचे तो शव को देखकर दंग रह गए। उन्होंने कहा कि यह तो संजीव का शव है। इसके बाद उन्होंने शव देने की मांग की। मनोज के परिजनों के अनुसार जब शव मांगा गया तो वहां उपस्थित अस्पताल—कर्मी नागेंद्र मल्लिक ने 50,000 रु मांगे। वहीं नागेंद्र ने पैसे मांगने की बात से मना किया है। नागेंद्र का कहना है कि मैंने केवल इतना कहा कि शव लेने के लिए पुलिस के पास जाना होगा। इसी बात से खपा होकर मुझ पर पैसे मांगने का आरोप लगाया गया।
खैर, बड़े अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद यह मामला निपट तो गया, लेकिन एक सवाल तो खड़ा कर ही गया। वह सवाल है कि इसमें कौन सही है और कौन गलत! क्या संजीव के घर वाले केवल इतनी सी बात पर भीख मांगने निकल पड़ेंगे कि तुम्हें शव लेना है तो पुलिस के पास जाओ! इस पर जल्दी भरोसा नहीं होता है। इसलिए इस मामले की जांच होनी चाहिए।
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