हिन्द—प्रशांत में अपना दबदबा बढ़ाने को बेचैन चीन ने कंबोडिया में एक गुप्त नौसैन्य अड्डा बना लिया है। इससे स्पष्ट है कि चीन पूरी दुनिया में अपनी सैन्य उपस्थिति पुख्ता करने के एजेंडे पर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर देशों को अपने पाले में मिलाने के लिए ड्रैगन उन्हें कर्जा दे—देकर वहां अपनी मनमानी चलाने का मंच तैयार कर रहा है। भारत की दृष्टि से देखें तो खासकर हिन्द—प्रशांत देशों में कम्युनिस्ट चीन की यह हरकत कान खड़े करने वाली है।
चीन का अतिक्रमण पूरी दुनिया में बढ़ता ही जा रहा है। ताजा खबर कंबोडिया से आई है जहां चीन अपनी नौसेना के उपयोग के लिए एक अड्डा बना चुका है। अमेरिका के दैनिक द वाशिंगटन पोस्ट के पोर्टल के अनुसार, इस अड्डे के तैयार होने के बाद, चीन के सैनिक कंबोडिया के रीम नेवल बेस के उत्तर में थाईलैंड की खाड़ी तक पहुंच बनी है। हिन्द—प्रशांत इलाके पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए चीन की यह पहली चौकी बनी है। इसके पहले चीन पूर्वी अफ्रीका के देश ज्बूती में नौसैन्य अड्डा बना चुका है।
उल्लेखनीय है कि गत कई वर्षों से अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ही नहीं, कई अन्य देश हिन्द—प्रशांत क्षेत्र को खुला छोड़ देने की पैरवी करते आ रहे हैं, लेकिन चीन ऐसी सभी चिंताओं को अनदेखा करते हुए इस क्षेत्र पर अपनी पकड़ बढ़ाने में जुटा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, कंबोडिया में बना ड्रैगन का ये सैन्य ठिकाना भारत के अंदमान निकोबार द्वीप समूह से सिर्फ 1,200 किलोमीटर दूर है। कम्युनिस्ट चीन की नौसेना या युद्धक जहाज यहां से होकर बेखटके बंगाल की खाड़ी तक पहुंच सकता है। चीन समंदर के रास्ते म्यांमार में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में जुटा है। इसमें संदेह नहीं है कि इस सैन्य ठिकाने के जरिए ड्रैगन भारत और अमेरिका, दोनों की सैन्य गतिविधियों पर गुप्त तरीके से नजर रख सकेगा। इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत को अब इस क्षेत्र को लेकर और सावधान रहने की जरूरत है।
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