भारत ने अमेरिकी विदेश विभाग की पांथिक मामलों से जुड़ी समिति की रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी वोट बैंक की राजनीति की जा रही है
भारत के विदेश विभाग के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पूर्वाग्रहों से भरी भारत में ‘पांथिक स्वतंत्रता’ पर अमेरिकी रिपोर्ट पर कल बयान जारी किया है। भारत की ओर से कहा गया है कि भारत पांथिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को महत्वपूर्ण मानता है। बागची ने अमेरिका से आग्रह किया है कि देशों में परिस्थिति का सही मूल्यांकन होना चाहिए और इसमें पक्षपाती सोच से बचना चाहिए।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की तरफ से जारी की गई उक्त रिपोर्ट में भारत को लेकर जो बातें लिखी गई हैं, वे आपत्तिजनक और तथ्य से परे हैं जिन पर स्वाभाविक रूप से भारत ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
भारत ने कल इसी रिपोर्ट पर उक्त कड़ी प्रतिक्रिया की है। दरअसल रिपोर्ट में लिखा गया है कि 2021 में भारतीय अल्पसंख्यकों पर सबसे ज्यादा हमले किए गए हैं। रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों की हत्या करने और धमकाने का भी जिक्र है।
इस रिपोर्ट के आने से ठीक पहले, अप्रैल 2022 में डेमोक्रेट सांसद इल्हान उमर ने भारत की मोदी सरकार की नीतियों को ‘मुस्लिम विरोधी’ ठहराया था। इल्हान ने ‘भारतीय मुसलमानों के मानवाधिकार’ हनन की बात भी उठाई थी।
भारत सरकार ने अमेरिका के इस मूल्यांकन को पूर्वाग्रही सोच पर आधारित बताया है और कहा है कि अमेरिकी अधिकारियों के आकलन में सही सूचना की कमी दिखाई देती है। भारत के विदेश विभाग ने बयान में कहा है, “दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वोट बैंक की राजनीति की जा रही है।”
अमेरिकी विदेश विभाग की इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को गोहत्या या गोमांस के नाम पर निशाना बनाया गया, उनसे मारपीट की गई, डराया—धमकाया गया। भारत का इन बातों पर विरोध दर्ज कराना स्वाभाविक ही था।
भारत का पक्ष रखते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, एक बहुलतावादी समाज के रूप में, भारत पांथिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को महत्व देता है।
अमेरिका की मौजूदा डेमोक्रेट सरकार यूं भी मुस्लिम पाले में अधिक झुकी दिखाई देती रही है। जबकि रिपब्लिकन पार्टी के नेता पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने कार्यकाल में कट्टर इस्लामवाद को लेकर कड़ा रुख व्यक्त किया था और मुस्लिमों पर यात्रा प्रतिबंध संबंधी विधेयक लाया गया था, जिससे अमेरिका में कट्टर मजहबी उन्माद पर लगाम लगाई जा सके। लेकिन बाइडन ने कुर्सी संभालते ही एक विधेयक लाकर इस प्रतिबंध को खत्म कर दिया था।
दिलचस्प तथ्य है कि इस रिपोर्ट के आने से ठीक पहले, अप्रैल 2022 में डेमोक्रेट सांसद इल्हान उमर ने भारत की मोदी सरकार की नीतियों को ‘मुस्लिम विरोधी’ ठहराया था। इल्हान ने ‘भारतीय मुसलमानों के मानवाधिकार’ हनन की बात भी उठाई थी।
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