“अगर मुस्लिमों को यह पता होता कि वहां पर शिवलिंग है तो अभी तक उसे तोड़कर हटा दिया जाता!” ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग को लेकर राष्ट्रीय बुनकर कमेटी के अध्यक्ष सरफराज अहमद ने एक मीडिया चैनल के साथ एक बहस के दौरान कहा।
इस पर शो के एंकर ने बार-बार कहा कि सरफराज अहमद माफी मांगे, परन्तु सरफराज अहमद ने माफी नहीं मांगी और एक और विवादित तथ्य बोला कि बाबर अपने आप थोड़े ही न आया था, राणा सांगा ने ही तो बुलाया था।
यह सरफराज अहमद की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, जिसमें वह इतिहास के विवादित तथ्य को अपनी ढाल बना सकते हैं और यह भी कह सकते हैं कि अगर हिन्दुओं के आराध्यों के देवों की प्रतिमाओं के विषय में पता होता तो वह तोड़ ही देते! वह बुतशिकन के सिद्धांत को खुलेआम एक न्यूज़ चैनल पर दोहरा रहे हैं। उनके लिए उनके मजहब में यदि काफिरों के बुतों को नष्ट करना है तो वह करेंगे ही, और इसका ऐलान भी न्यूज़ चैनल पर करने में कोई गुरेज नहीं करेंगे!
पर इतनी बड़ी बात और हिन्दुओं के प्रति इतनी घृणास्पद सोच के बाद भी सरफराज अहमद सुरक्षित हैं, उनके खिलाफ फतवे नहीं निकाले गए, वह खुलेआम शिवलिंग को तोड़कर कानून और समाज की परवाह किये बिना निश्चिंत रह सकते हैं। उन्हें पता है कि उनके पास अभिव्यक्ति की आजादी की असीम ताकत है। और यदि कोई कदम भी उठाया जाएगा तो वह अल्पसंख्यक कार्ड खेलते हुए बहुत आराम से यह कह सकते हैं कि “उन्हें मुस्लिम होने के नाते फंसाया जा रहा है! क्या उन्हें इतनी भी आजादी नहीं है!”
दरअसल सरफराज अहमद को इस विषय में पूरी आजादी है। उन्हें यह आजादी है कि वह शिवलिंग को तोड़ने की बात करते हुए यह कह सकें कि बाबर अपने आप तो नहीं आया था, राणा सांगा ने ही बुलाया था। यह इतिहास में लिखा है कि बाबर को इब्राहिम लोदी के अत्याचारों के कारण दिलावर खान ने हिन्दुस्तान पर आक्रमण करने के लिए बुलाया।
परन्तु चूंकि यह रणनीति होती है कि वामपंथी और अनूदित इतिहास के आधार पर हिन्दुओं को अपमानित किया जाए, तो सरफराज अहमद जैसे लोगों को हर प्रकार की आजादी मिल जाती है।
नुपुर शर्मा के लिए यह स्वतंत्रता नहीं है
यह बहुत ही हैरान करने वाली बात थी कि जब सरफराज अहमद एकदम से हिन्दुओं के आराध्यों पर इस प्रकार की अपमानजनक टिप्पणियां कर रहे थे तो उसी समय भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता नुपुर शर्मा का सिर कलम करने वालों के लिए इनाम की घोषणा हो रही थी। और यह घोषणा उसी समुदाय के लोग कर रहे थे जो यह कहते हैं कि अगर पता होता कि शिवलिंग है तो अभी तक उसे तोड़कर हटा दिया होता!
नुपुर शर्मा ने पिछले दिनों एक टीवी डिबेट में कुछ ऐसा कह दिया जिसे मुस्लिम समुदाय पैगम्बर का अपमान कह रहा है। प्रश्न यह नहीं है कि नुपुर शर्मा ने सही कहा या गलत कहा, यदि गलत कहा है तो इसके लिए मजहबी यकीन आहत होने के लिए संविधान में प्रावधान है, तो उनका सहारा लिया जा सकता है। परन्तु नुपुर शर्मा ने जो कहा है, क्या वह उनकी मजहबी किताबों में लिखा है या नहीं, उस पर बहस करने के स्थान पर नुपुर को जान से मारने, बलात्कार की धमकी दी जा रही है। यह तक कहा जा रहा है कि मुस्लिम देश अर्थात तेल निर्यात करने वाले देश भारत का बहिष्कार करें!
जहां सरफराज अहमद यह खुलेआम कहकर भी कानूनी रक्षा के दायरे में हैं, वहीं नुपुर शर्मा कह रही हैं कि उनका वीडियो एडिट करके कथित फैक्ट चेक करने वाले मोहम्मद जुबैर ने अपनी twitter प्रोफाइल से पोस्ट किया और उन्हें निशाना बनाया। वह साफ़ कह रही हैं कि यदि उन्हें या उनके परिवार को कुछ होता है तो उसके लिए जुबैर ही जिम्मेदार है।
अपने मजहबी यकीन के लिए इतने कट्टर जुबैर कभी भी सरफराज अहमद या फिर हिन्दुओं से यह कहने वाले मदनी का फैक्ट चेक नहीं करते जो खुलेआम आयोजन में हिन्दुओं को धमकी देते हैं कि “जिन लोगों को हमारा मजहब पसंद नहीं हैं, वे देश छोड़कर चले जाएं।“
यह निर्लज्जता की हद है और एकतरफा अभिव्यक्ति की आजादी है, जिसमें हिन्दुओं को आप गाली दे सकते हैं, हिन्दुओं से कह सकते हैं कि वह उस देश से चले जाएं, जहां पर उनके आराध्यों ने अवतार लिया, स्वयंभू शिवलिंग के रूप में आए और उसी देश में हिन्दुओं को धमकाया जा रहा है।
सरफराज शिवलिंग के लिए बोल सकते हैं, लेकिन नुपुर शर्मा को पाकिस्तान से जान से मारने की धमकी दी ही जा रही है। एआईएमआईएम इन्कलाब पार्टी के नेता कावी अब्बासी ने एक करोड़ रुपए के इनाम की घोषणा उस मुस्लिम के लिए की जो नुपुर शर्मा का सिर काटकर लाएगा।
पाकिस्तान की तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी ने घोषणा की कि नुपुर शर्मा का सिर काटकर लाने पर पांच मिलियन रुपए इनाम में दिए जाएंगे।
यह वही पार्टी है जिसके सदस्य श्रीलंका के नागरिक प्रियांथा की मौत के लिए जिम्मेदार थे। पाठकों को याद होगा कि कैसे कथित पैगम्बर की बेअदबी के लिए प्रियांथा की हत्या कर दी गयी थी।
हिन्दुओं के आराध्यों और हिन्दुओं के लिए बोलने की स्वतंत्रता सभी को है और नुपुर शर्मा को जो धमकियां दी जा रही हैं, उनके विरोध में एक भी ऐसी महिला का वक्तव्य नहीं आया है जो महिला अधिकारों के लिए मुखर रहती है
वहीं यह बात भी हैरान करने वाली है कि अभी तक किसी भी ऐसी महिला का समर्थन नुपुर शर्मा के लिए सोशल मीडिया पर नहीं आया है, जो महिला अधिकारों की चैम्पियन मानी जाती हैं। हां, यह अवश्य है कथित रूप से महिला अधिकारों का समर्थन करने वाले वरुण ग्रोवर, जिन्होनें सम्राट पृथ्वीराज चौहान के गाने भी लिखे हैं, और जो समय समय पर उसी हिंदुत्व का विरोध करते हैं, जो हिंदुत्व पृथ्वीराज चौहान का था, उन्होंने अवश्य यह कहा कि वह मोहम्मद जुबैर के साथ हैं, और जुबैर ने कुछ गलत नहीं किया है, क्योंकि नुपुर शर्मा नफरत फैलाने वाली हैं।
सोशल मीडिया पर भी अपना मत रखने वाली कई महिलाओं से बात करने का प्रयास किया तो कई का कहना था कि वह नुपुर शर्मा की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ हैं, नुपुर की बातों का समर्थन इसे नहीं माना जाए !
वहीं सोशल मीडिया पर वामपंथियों के एजेंडा पर मुखर रूप से लिखने वाली श्वेता शिवानी जो अपनी फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार विश्व सनातन रक्षक संस्था से जुड़ी हैं, ने नुपुर शर्मा के मामले पर कहा
“आप किनके साथ खड़ी है ये सब को दिखता है। नुपुर शर्मा के साथ जो हुआ वो किसी से छुपा नहीं है, लेकिन फेमिनिस्ट समूह चुप ही रहेगा! क्योकि यहां श्री राम कहने वाली का पर हमला हो रहा है! नुपुर शर्मा को सोशल मीडिया के हर ज़रिये से जहालत झेलनी पड़ी है, उनके चरित्र को उनके परिवार तक को खत्म करने की धमकी मिली है। लेकिन वाम फेमिनिस्ट रहेंगी, इनके जमात मे नुपुर शर्मा नहीं आती। वाम्पन्थ जा यही असली चेहरा है इन्हे हिन्दू शब्द से घृणा हैं।
यह सिद्ध करती रहेंगी कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता। ये बताती रहेंगी कि कश्मीर मे जो हुआ वो सब अफ़वाह है, वामपन्थ का असली चेहरा यही है, जो वह दिखा रही हैं, और नुपुर शर्मा के पक्ष में एक भी शब्द नहीं कहा है!” ।
परन्तु महिला अधिकारों पर मुखर रहने वाली काफी महिलाएं यह कहने के लिए स्पष्ट रूप से बाहर नहीं आ रही हैं कि नुपुर शर्मा ने जो कहा है क्या वह किसी मजहबी किताब के सन्दर्भ से कहा है या नहीं? क्या जिस प्रकार वह राम और कृष्ण को कोसने के लिए कहीं न कहीं किसी का सन्दर्भ ले लेती हैं, वह कुरआन का सन्दर्भ भी नहीं बताना चाहती हैं या पढ़ना ही नहीं चाहती हैं।
आरफा खानम शेरवानी हों या राना अयूब, यह समय समय पता हिन्दू आस्थाओं पर जानते बूझते प्रहार करती हैं, परन्तु नुपुर शर्मा के लिए उन्हें कड़े से कड़ा दंड चाहिए।
उनके भी ऐसे ट्वीट के स्क्रीनशॉट हम साझा कर रहे हैं, जिससे यह दिखे कि वह अपने मजहबी यकीन और हिन्दुओं की धार्मिक आस्था के प्रति कैसा दोगला व्यवहार करती हैं!
चाहे सरफराज अहमद हों, मौलाना मदनी हों, आरफा खानम शेरवानी हों या राना अयूब, इनके लिए अभिव्यक्ति की आजादी में हिन्दुओं और हिन्दुओं के आराध्यों का अपमान सम्मिलित है, और खुलेआम सम्मिलित है और इन पर कथित अल्पसंख्यक का खोल और विक्टिमाइज़ेशन भी है तो वहीं नुपुर शर्मा जैसी महिलाऐं अकेली हैं, विमर्श के स्तर पर भी और लड़ाई के स्तर पर भी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के स्तर पर भी! क्या वास्तव में इस देश में हिन्दू दोयम दर्जे के नागरिक हैं ?
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