आगरा यदि एक संत अपने ध्वज को लेकर ताजमहल में जाना चाहता है तो भारतीय पुरातत्व विभाग को आपत्ति हो जाती है वहीं सवा लाख मुस्लिम लोग शाहजहा का उर्स मानने के बहाने ताजमहल में घुस कर उत्पात मचाते रहे तो एएसआई को कोई परेशानी नही हुई।
इस मुद्दे पर आगरा के सीजीएम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई है जिसपर ताजमहल प्रबंधन को नोटिस दे दिया गया है। याचिकाकर्ता का ये भी कहना है कि एएसआई ने भीड़ को आने के लिए निशुल्क व्यवस्था की और इसके लिए उन्होंने कोई व्यवस्था नहीं की।
जानकारी के मुताबिक उमेश चंद्र वर्मा ने आगरा की सीजीएम कोर्ट में एक परिवाद दर्ज कराया है जिसमे उन्होंने आगरा के ताजमहल परिसर में शाहजहां के 367वे उर्स के दिन को तीन दिनों तक फ्री एंट्री देकर मानने पर सवाल खड़े किए है।उनका कहना था है,उर्स के दिन सवा लाख लोगो ने ताजमहल में प्रवेश लिया और वहां परिसर की बहुत सी वस्तुओ के साथ तोड़फोड़ की, परिसर में फुव्वारे,जालियां,पौधे तोड़ दिए और फतेहाबाद रोड को जाम की हालात में पहुंचा दिया गया।
उन्होंने दलील दी की पुरातत्व संरक्षण अधिनियम 1958 की धारा (5)में ये प्रावधान हैं कि वो यहां की वस्तुओ को संरक्षित करे। परंतु विभाग ने इसका पालन नही किया। इस मामले में सीजीएम ने ए एस आई के अधिकारी राज कुमार पटेल को नोटिस दिया है और इसके लिए उन्हें 6जून की तारीख में जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय पुरात्व विभाग यहां सुप्रीम कोर्ट के रोक के बावजूद यहां शुक्रवार की नमाज को पढ़ने देता है। जिसको लेकर हिंदू संगठनों में रोष व्याप्त रहता है।
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