क्वॉड शिखर सम्मेलन में भाग लेने जापान गए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का जापान में बसे अप्रवासी भारतीयों ने जोरदार स्वागत किया। स्वागत से अभिभूत प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय प्रवासियों से कहा दुनिया भर में फैले भारतीय कर्मभूमि के साथ जन्मभूमि से भी जुड़े रहते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि वे मक्खन नहीं पत्थर पर लकीर खींचते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय प्रवासियों की इस बात के लिए प्रशंसा की कि जापान में रहते हुए भी उन लोगों ने भारतीय परंपराओं और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता बनाए रखी। उन लोगों ने मातृभूमि से दूरी कभी नहीं बनने दी, इस कारण भारतीय संस्कृति के साथ जापान के मूल्यों का विलय हो गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जापान आकर यहां रहने वाले भारतीयों से उन्हें हमेशा असीम प्रेम मिलता है और उनकी यह स्नेह वर्षा हर बार बढ़ती जा रही है। जापान में बसे भारतीयों का भारत से संबंध लगातार बना हुआ है।
प्रधानमंत्री ने भारतीय समुदाय से कहा कि कोरोना संकट जब शुरू हुआ था तब किसी को पता नहीं था कि इसका असर क्या होगा, इसे कैसे नियंत्रित किया जाए। न ही वैक्सीन को लेकर स्थिति स्पष्ट थी। अनिश्चितता के इस दौर में भी भारत दुनिया के कई देशों की चिकित्सकीय मदद कर रहा था। जब टीके उपलब्ध हुए तो भारत ने सौ से अधिक देशों को ये टीके उपलब्ध कराए। प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यावरण व जलवायु संकट सहित तमाम वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने में दुनिया से कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। हम इन चुनौतियों के स्थायी समाधान के रास्ते खोजने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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