अरविंद केजरीवाल के विरुद्ध भाजपा नेता तजिंदरपाल सिंह बग्गा के ट्वीट पर जिस तरह पंजाब पुलिस ने कार्रवाई की, उससे दो बातें उभर कर सामने आई हैं। एक तो आम आदमी पार्टी का षड्यंत्रकारी चरित्र, दूसरे, शक्ति का दुरुपयोग। यह भी साफ हुआ है कि भगवंत मान पंजाब के मुख्यमंत्री कहने भर को हैं, वहां के मुख्यमंत्री की शक्तियों की असल चाभी केजरीवाल के हाथ में है
कोई सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी किस कदर षड्यंत्रकारी हो सकती है, किस तरह शक्तियों का दुरुपयोग कर सकती है और राजनीतिक प्रतिशोध के लिए किस तरह कानून के दायरे से बाहर जा कर अराजकता फैला सकती है, इसका ताजा उदाहरण है पंजाब पुलिस द्वारा भाजपा नेता तजिंदरपाल सिंह बग्गा की दिल्ली में उनके घर से गिरफ्तारी। ना, इसे गिरफ्तारी कहना ठीक न होगा, यह अपहरण था और दिल्ली पुलिस ने यही मुकदमा दर्ज किया है। बग्गा का दोष यह था कि उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधी आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विरुद्ध ट्वीट किया था। उसी तरह का ट्वीट, जो केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेता अक्सर प्रधानमंत्री और अपने अन्य विरोधी नेताओं के विरुद्ध करते हैं।
केजरीवाल की तानाशाह प्रवृत्ति को यह नहीं सुहाया और इसे पंजाब में बनी आआपा की सरकार तत्काल समझ गई। आनन-फानन में आआपा कार्यकर्ता और मोहाली में दांत की दुकान चलाने वाले डॉ. सनी अहलूवालिया के जरिए बग्गा के खिलाफ मोहाली में भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए, 505 और 506 के तहत मामला दर्ज कराया गया। और फिर आनन-फानन में पंजाब पुलिस का विशेष दस्ता दिल्ली के लिए रवाना तक कर दिया गया।
दिल्ली पहुंची पंजाब पुलिस की टीम ने दिल्ली पुलिस से संपर्क करने की जरूरत नहीं समझी और न ही हरियाणा पुलिस को ही किसी तरह की जानकारी दी। वे गुपचुप तरीके से आकर, बिना किसी को बताए बग्गा को पंजाब ले जाना चाहते थे। पुलिस दिल्ली में गिरफ्तारी भी नहीं दिखा रही। परिवार को वीडियो तक बनाने से जबरन रोक दिया। बग्गा के परिवार वालों के साथ अभद्रता की। 6 मई की घटना पर उनके पिता प्रीतपाल सिंह बग्गा ने कहा, ‘आज सुबह 10-15 पुलिसकर्मी हमारे घर आए और तजिंदर को घसीटते हुए बाहर ले गए। जब मैंने इस घटना का वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए अपना मोबाइल फोन उठाया, तो पुलिस मुझे दूसरे कमरे में ले गई और मेरे चेहरे पर मुक्का मारा।’
आतंकवाद से लड़ने में लगातार विफल साबित हो रही आम आदमी पार्टी की पुलिस एक एफआईआर पर जिस तरह दल-बल के साथ दिल्ली आई, और तजिंदर बग्गा को जबरन उठा कर ले गई, उसके बाद यह राजनीतिक गिरफ्तारी नहीं बल्कि अपहरण का ही मामला बनता था। दिल्ली पुलिस ने यह मामला दर्ज भी किया।
बग्गा को पगड़ी न पहनने देने का आरोप
अर्णेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में उच्चतम न्यायालय का निर्णय यह कहता है कि सात साल से कम की सजा वाले मामले में बहुत ही जरूरी हो जाए, तब आप किसी को गिरफ्तार कीजिए। उच्चतम न्यायालय के इस निर्देश के बावजूद पंजाब पुलिस दिल्ली चली आई तजिन्दर को गिरफ्तार करने के लिए। हालांकि उन्हें पंजाब पुलिस द्वारा ले जाने के दौरान हरियाणा में रोक लिया गया और दिल्ली पुलिस द्वारा बग्गा की सकुशल वापसी हुई। इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने बग्गा की गिरफ्तारी पर पहले 10 मई तक, और बाद में 5 जुलाई तक अस्थाई रूप से रोक लगा दी है।
केजरीवाल की अकुलाहट
केजरीवाल की अकुलाहट बता रही है कि वे विपक्ष के सर्वमान्य नेता बनना चाहते हैं। तजिन्दर को गिरफ्तार करके विपक्ष के बीच उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बड़ा नेता बनने की कोशिश की है। ममता की सारी बहादुरी पश्चिम बंगाल तक सीमित है। दिल्ली में जहां गृह मंत्री अमित शाह की पुलिस है, वहां से भाजपा नेता को गिरफ्तार करके वे देश के समुदाय विशेष को भी यह संदेश देना चाहते थे कि वे वोट बैंक की राजनीति के लिए किसी भी स्तर पर जा सकते हैं। समुदाय विशेष को खुश करने की ही राजनीति का परिणाम था कि जहांगीरपुरी और शाहीन बाग में आआपा नेता पूरी मुस्तैदी से खड़े रहे और बुलडोजर को वापस कराया। जब यही बुलडोजर न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पहुंचा तो वहां न आआपा थी और न कांग्रेस। अब बताए कोई कि दिल्ली में हिन्दू-मुस्लिम का भेद कौन कर रहा है?
ऐसे खुली गिरफ्तारी की पोल
06 मई को 9:38 पर बग्गा की गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए आआपा के विधायक नरेश बाल्यान ने ट्वीट किया। नरेश बाल्यान को यह जानकारी इसलिए सार्वजनिक करनी पड़ी क्योंकि उनके ट्वीट के आधे घंटे पहले कपिल मिश्रा ने यह जानकारी ट्वीट कर दी थी कि तजिंदर बग्गा को पंजाब पुलिस के 50 जवान घर से गिरफ्तार करके ले गए हैं।
खुद के खोदे गड्ढे में केजरीवाल
जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है, एक दिन खुद भी उस गड्ढे में गिरता है, बग्गा प्रकरण के बाद यह बात दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल पर बिल्कुल फिट बैठती है। अब भाजपा नेता और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी जगमोहन सिंह राजू ने 10 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए आआपा नेता अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पंजाब पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। राजू ने अपनी शिकायत में लिखा है कि उन्हें सोशल मीडिया पर एक वीडियो मिला, जिसमें केजरीवाल ने एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री के खिलाफ, परेशान करने एवं चौंकाने वाली और अपमानजनक टिप्पणी की है।
गिरफ्तारी प्रकरण के लिए केजरीवाल जिम्मेदार
तजिंदर बग्गा के मामले में देश के कानून ने बता दिया कि किसी व्यक्ति को खुद को कानून से बड़ा समझने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल खुद को कानून से ऊपर समझने लगे थे। जो पंजाब पुलिस देश के अंदर आतंकवाद को परास्त करने के लिए जानी जाती थी, उस पंजाब पुलिस का अरविन्द केजरीवाल ने क्या हाल कर दिया, यह देश देख रहा है। पंजाब के अंदर रॉकेट लांचर से हमले हो रहे हैं और पंजाब की पुलिस यह देख रही है कि केजरीवाल के खिलाफ ट्वीट कौन कर रहा है? केजरीवाल के खिलाफ बोल कौन रहा है? लिख कौन रहा है? पूरे गिरफ्तारी प्रकरण के लिए कोई जिम्मेवार है तो वह सिर्फ केजरीवाल हैं।
तजिंदर बग्गा अपने साक्षात्कारों में बार-बार इस बात का उल्लेख कर रहे हैं कि उनके घर पर जो कुछ भी हुआ, उसके लिए दोषी पंजाब की पुलिस नहीं बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। बग्गा का यह सवाल भी महत्वपूर्ण है कि ‘‘पंजाब पुलिस की प्राथमिकता पहले पंजाब की कानून-व्यवस्था होनी चाहिए या दिल्ली में केजरीवाल के खिलाफ ट्वीट करने वाले होने चाहिए? पहले जो लोग ड्रग्स के नशे में पंजाब के युवाओं को मौत के मुंह में धकेल रहे हैं, या फिर गुरु ग्रंथ साहिब की जिन लोगों ने बेअदबी की, जिनके लिए केजरीवाल ने कहा था कि सरकार बनने के 24 घंटे के अंदर दोषियों को जेल में डालेंगे, वे होने चाहिए या दिल्ली के अंदर वे लोग होने चाहिए जो लोग केजरीवाल के खिलाफ बोल-लिख रहे हैं।’’
सच्चाई तो यही है कि तेजिन्दर बग्गा अकेला व्यक्ति नहीं है जिसके खिलाफ केस हुआ। भाजपा प्रवक्ता नवीन कुमार के खिलाफ केस हुआ, प्रीति गांधी के खिलाफ केस हुआ, कांग्रेस नेता अलका लांबा पर मुकदमा हुआ, पार्टी के संस्थापकों में से एक कुमार विश्वास को भी नहीं छोड़ा गया। उन पर भी एफआईआर है। इसे देख कर कौन नहीं कहेगा कि पंजाब पुलिस के अधिकारियों का राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है।
बग्गा के अनुसार – जब पंजाब पुलिस हमारे घर आई और ले जाने लगी। मैंने उनका विरोध किया तो उन्होंने हाथापाई की। रास्ते में उन्होंने कोई गलत व्यवहार नहीं किया। उन्होंने कहा कि तुम केजरीवाल के खिलाफ क्यों बोलते हो? बंद कर दो बोलना। सारे केस खत्म हो जाएंगे। मुझे तो अधिकारियों ने यह तक कहा कि हम मजबूर हैं। हमारे पास जो ऊपर से आर्डर आता है, हमें करना पड़ता है। उनके कहने से लग रहा था कि अधिकारी केजरीवाल के आदेश के कारण मजबूर हैं। केजरीवाल के असिस्टेन्ट सीएम भगवंत मानजी को मजबूरी में यह सब करवाना पड़ रहा है।
बग्गा कहते हैं, ‘‘पंजाब के पुलिस अधिकारियों को अरविन्द से साफ-साफ कह देना चाहिए कि पंजाब की एकता और अखंडता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है। हमारे लिए पंजाब की कानून-व्यवस्था प्राथमिकता है। पंजाब को आतंकवाद से मुक्त कराना हमारी प्राथमिकता है। पुलिस का राजनीतिक इस्तेमाल मंजूर नहीं है हमें।’’
राजू की शिकायत के अनुसार—केजरीवाल ने अपनी टिप्पणी में प्रधानमंत्री मोदी पर पाकिस्तान के साथ तालमेल रखने का आरोप लगाया था। जनता के समक्ष इस तरह के बयान इस देश की राजधानी के एक मौजूदा मुख्यमंत्री द्वारा जानबूझकर उकसाने वाले हैं। राजू ने मोहाली पुलिस से दिल्ली के मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है। जिस तेजी से पंजाब पुलिस बग्गा की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पहुंची थी, क्या वैसे ही इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए वह सक्रियता दिखा सकती है?
केजरीवाल का बयान दिल्ली वाले भूले नहीं होंगे। उन्होंने कहा था ‘‘मैं धंधा जानता हूं।’’ लेकिन वे राजनीति को ‘धंधा’ बना देंगे यह कौन जानता था? अपने ही पगड़ीदारी मुख्यमंत्री को भाजपा के युवा पगड़ीधारी नेता के खिलाफ खड़ा कर दिया। पंजाब के मुख्यमंत्री के सामने दिल्ली के मुख्यमंत्री का कद छोटा साबित हो रहा है। क्या इसलिए दो पगड़ीधारियों को दिल्ली के मुख्यमंत्री ने आपस में लड़ाने की साजिश रची? केजरीवाल ने दो सिखों को लड़ाकर, सिखी का अपमान किया है। जिस प्रकार दिल्ली का सिख समाज उनके घर के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा हुआ था, उसे देखकर यही लगता है कि दिल्ली के सिख केजरीवाल को माफ करने से रहे। पंजाब में मुट्ठी भर खालिस्तानियों के भरोसे वे कितने दिन और टिकेंगे? पंजाब के मुख्यमंत्री इस बात को जितनी जल्दी समझ जाएं, यह बात उनके पक्ष में होगी। पंजाब के मुख्यमंत्री का रुतबा, दिल्ली के मुख्यमंत्री से कहीं अधिक है। क्या केजरीवाल खुद को इससे छोटा महसूस कर रहे हैं? अब उन्होंने दिल्ली से अधिक समय पंजाब को देना प्रारंभ कर दिया है और पंजाब के मुख्यमंत्री की भूमिका केजरीवाल के सामने सहायक की हो गई है।
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