उत्तराखंड सहित कई राज्यों में संरक्षित स्मारकों का अता-पता नहीं है। जानकारी के मुताबिक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग अपने 94 लापता स्मारकों की खोज में खसरा-खतौनी खंगाल रहा है।
उत्तराखंड में द्वाराहाट के पास कुटुम्बरी देवी का मंदिर संरक्षित सूची में शामिल था। यहां की मूर्तियां और अन्य सामान को संरक्षित किया गया था। अब इस मंदिर की क्या दशा है, इस बात की जानकारी जुटाई जा रही है। जानकारी के मुताबिक 16वीं सदी का मंदिर था। 1957-1959 से मंदिर गायब हो गया। बनारस की ट्रेजरी बिल्डिंग भी स्मारक सूची में दर्ज थी, इसकी भी खोज की जा रही है।
आगरा जोन के पुरातत्व विभाग के अधीक्षण पुरातत्वविद् राजकुमार पटेल ने बताया कि जो स्मारक इस समय नहीं मिल रहे हैं, स्वाभाविक है कि विभाग की कमी रही होगी लेकिन अब इनकी खोज गंभीरता से की जा रही है। इसके अलावा सभी स्मारकों की सूची भी नए सिरे से बनायी जा रही है।
जानकारी के मुताबिक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की 1919 की एक सूची के आधार पर 94 संरक्षित स्मारकों का पता नहीं चल पा रहा है। इन स्मारकों पर या तो अवैध कब्जे हो गए हैं या फिर इन्हें नष्ट किया गया है। 2013 की विभागीय कैग रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि 42 स्मारकों पर प्रभावशाली लोगों के कब्जे हैं।
जानकारी के मुताबिक कोस मीनार (फरीदाबाद), कोस मीनार (कुरुक्षेत्र) का पता नहीं चल रहा है, जबकि ये मीनारें सड़कों की दूरी की सूचक हुआ करती थीं। दिल्ली के बाराखंबा सेमेट्री के स्मारक का पता नहीं चल रहा है। दिल्ली की सिटीवाल, कोटला की इच्छावाली गुमटी, गुफा मंदिर (जम्मू कश्मीर) आदि स्मारकों का गायब हो जाना पुरातत्व विभाग की लापरवाही को उजागर
करता है।
खबर है कि इन सभी लापता स्मारकों की पुनः खोज शुरू हो गयी है और सबसे पहले इनके राजस्व विभाग में खसरा खतौनी की जांच की जा रही है ताकि इनकी वास्तविक स्तिथि का पता चल सके। जिन स्मारकों पर अतिक्रमण किया गया है, उन्हें खाली करवाया जाएगा। आगरा जोन के पुरातत्व विभाग के अधीक्षण पुरातत्वविद् राजकुमार पटेल ने बताया कि जो स्मारक इस समय नहीं मिल रहे हैं, स्वाभाविक है कि विभाग की कमी रही होगी लेकिन अब इनकी खोज गंभीरता से की जा रही है। इसके अलावा सभी स्मारकों की सूची भी नए सिरे से बनायी जा रही है।
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