पश्चिमी दिल्ली के मुंडका में शुक्रवार की रात भीषण अग्निकांड में 27 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई, जिसमें से एक कंपनी मालिक वरुण और हरीश गोयल के पिता अमरनाथ भी है। जबकि कई लोगों के अबतक लापता होने की खबर मिल रही है। जानकारी के मुताबिक मृतकों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है और अबतक 12 अन्य लोग बुरी तरह झुलस गए हैं, जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है। शवों में काफी ज्यादा ऐसे शव हैं, जिनको पहचान पाना मुश्किल है। जिनको डीएनए टेस्ट की सहायता से पहचाना जा सकता है। जिसको लेकर पुलिस एवं डॉक्टरों की टीम मिलकर यह प्रक्रिया जल्द ही शुरू कर देगी।
पुलिस इमारत के मालिक मनीष लाकड़ा को हिरासत में लेकर उससे भी पूछताछ कर रही है। हादसे के बाद मनीष की मां सुशीला लाकड़ा और उसकी पत्नी सुनीता के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। वहीं दोपहर में भाजपा सांसद हंसराज हंस और प्रवेश वर्मा भी मौके पर पहुंचे। शनिवार को भी राहत और बचाव कार्य जारी रहा। पूरी रात चले कूलिंग ऑपरेशन के बाद सुबह के समय एनडीआरएफ व दमकल विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो वहां से कुछ शवों के कुछ अवशेष बरामद हुए।
एनडीआरएफ का सर्च ऑपरेशन
एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडर विकास ने बताया कि शनिवार को टीम ने सर्च ऑपेरशन शुरू किया था। कई जगह शव के अवशेष मिले हैं। मरने वालों की पहचान और शरीर के अंगों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। जब तक इमारत से सामान नहीं हट जाता है,तब तक ऑपरेशन चलता रहेगा। उन्होंने बताया कि आग इमारत की पहली मंजिल से लगनी शुरू हुई, जहां सीसीटीवी कैमरा और राउटर निर्माता कंपनी कॉफे इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड का दफ्तर था।
अमन बना आग लगने और अपनों को बचाने का गवाह
मुंडका का रहने वाला अमन हादसे के बाद उसको यह एक भयंकर सपने जैसा लग रहा है। उसका कहना है कि भगवान करे कि यह एक सपना ही हो, उसको विश्वास नहीं हो रहा था कि जिन दोस्तों के साथ वह कंपनी में एक साथ बैठा हुआ था। आज वो उसके साथ नहीं हैं। अमन ने बताया कि इस तीन मंजिला इमारत में पहले माले पर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है, दूसरे माले पर वेयर हाउस और तीसरे पर लैब है। सबसे ज्यादा मौत अब तक दूसरे माले पर ही हुई। दूसरे माले पर ही मोटिवेशनल स्पीच चल रही थी।
जिसको शुरू हुए कुछ ही देर हुई थी। जिसके करीब ढाई सौ लोग नये व पुराने मौजूद थे। उस वक्त बिजली गई हुई थी। हॉल का गेट बंद था। मोटिवेशनल स्पीच को शुरू हुए करीब छह से सात मिनट से ज्यादा नहीं हुआ था। हॉल का गेट एयरकंडिशनर चलने की वजह से बंद कर दिया था। एयरकंडिशनर जनरेटर से चल रहा था। लेकिन कुछ ही देर बाद एक पटाखे जैसी आवाज सभी ने सुनी। जब वह गेट खोलकर बाहर की तरफ गया।
धुआं ही धुआं था। पहली मंजिल पर जाने वाली सीढियों के पास लगे बिजली के मीटर में आग लगी हुई थी। उस समय तक बड़ा हादसा होने की नहीं सोची थी। सभी को सुरक्षित निकालने के लिये ऊपरी मंजिल पर ले जाने की कोशिश की गई। लेकिन वहां पर काफी ज्यादा धुंआ भर गया था। उसने पास पड़ी एक बड़ी बैटरी को उठाकर कांच की दीवार पर मार दिया। आग काफी तेजी से फैल रही थी। सभी जान बचाने के लिये चिल्ला रहे थे। आवाज सुनकर गली में रहने वाले कई लडक़े सहायता के लिये आए। जिन्होंने एक क्रेन की सहायता से सीढी लगाई और रस्सी को नीचे से ऊपर फैंका।
उन्होंने रस्सी को एक तरफ बांधकर सभी को एक एक करके नीचे उतारने की कोशिश की। 50 से 60 लोगों को किसी तरह से बाहर निकाल भी था।, लेकिन जब आग ने भीषण रूप ले लिया तो वह भी ऊपर से नीचे कूद गया था। वह अपने दोस्तों व बड़ों को नहीं बचा पाया। उसको इस बात का जिंदगी भर अफसोस रहेगा। उससे उसके दोस्तों के परिवार वाले फोटो दिखाकर उनके बारे में जानकारी लेने की कोशिश कर रहे हैं। जो उस वक्त मेरे ही साथ थे।
मम्मी आग लग गई है, बचा सकते हो तो बचा लो-प्रीति
जे जे कॉलोनी बक्करवाला की रहने वाली 19 साल की प्रीति इमारत में आरओ और कैमरे आदी बनाया करती थी। वह कुछ ही वर्ष से काम करने के लिये निकली थी। जब आग लगी उसने अपनी मां को किसी सहेली के फोन से फोन कर बोला था कि मम्मी आग लग गई है। हम सब फंस गए है। मुझे बचा सकते हो तो बचा लो। उसके बाद वह अपनी जान बचाने के लिये दूसरी मंजिल से नीचे कूद गई थी।
उसके कमर आदी में काफी ज्यादा गुम चोट लगी हैं। उसके उल्टे हाथ में गंभीर चोट लगी है। आलम यह है कि अब वो अपने सहेलियों सोनिया,सोनम और तानिया के नहीं मिलने से मानसिक रूप से परेशान हो रही है। जबकि उसकी बड़ी बहन ज्योति जो शादीशुदा है। सोमवार को नौकरी के लिये जाने वाली थी,उसकी बात भी हो गई थी।
मैं ओर जिंदगी नहीं बचा पाया अफसोस है
बिल्डिंग के बराबर में ही अपनी पत्नी व बच्चों के साथ रहने वाले पवन कुमार ने बताया कि वह लेबर का काम करता है। आग लगने के बारे में उसकी पत्नी ने फोन कर बताया था। वह मौके पर पहुंचा तो आग ने पूरी तरह से इमारत को घेर रखा था। चिल्लाने की आवाजें ही आ रही थी। उसने तुरंत रस्सी ऊपर की तरफ फैंकी और लोगों को नीचे उसके सहारे उतारा था। कोई छलांग न लगा दे।
इसके लिये उसके साथ दर्जनभर गली के युवक उसके साथ खड़े थे। उन्होंने करीब बीस से 25 लोगों को रस्सी के सहारे नीचे उतारा जबकि करीब पन्द्रह सौलह लोगों को कैच किया। सभी को घरों में बैठाया और पानी पिलाकर उनको आश्वासन दिया।
क्रेन वाले की सहायता से बची करीब सौ जानें
इमारत सेटे घर में रहने वाले छात्र योगेश उसका भाई सुनील और चाचा का लडका देव उस वक्त वहीं पर था। उन्होंने इमारत से धुआं निकलता हुआ देखा था। जिसके तुरंत बाद अपने अन्य साथियों के साथ इमारत के नीचे पहुंचे और दूसरी सड़क पर जा रही क्रेन चालक को मामले की जानकारी दी। जिसने बिना सोचे समझे क्रेन को मौके पर लाया। जिसपर सीढी लगाकर ऊपर रस्सा फैंका।
एक के बाद एक दर्जनों लोगों को बाहर काफी सावधानी से इमारत से बाहर निकाला था, जो बाहर निकला वो अपने और फंसे साथियों के घर पर फोन कर मामले की जानकारी दे रहा था। उसी बीच अचानक से गली में एक बड़ा शीशे का टूकड़ा गिरा,जिससे शीशे की दीवार ढह गई। आग का गोला ऊपर तक फैल गया था। आलम यह था कि बराबर की छत पर रखी दो पानी की टंकी भी जल गई थी। उस वक्त भी वो जिनका बाहर निकाल पाए। उन्होंने पूरी कोशिश की थी।
अंगूठी और जींस से पहचाना बहन के शव को
नांगलोई में रहने वाली दृष्टि एक साल से काम कर रही थी। उसकी कुछ समय पहले ही पंजाब के लुधियाना में सगाई भी हो गई थी। वह दो भाई की इकलौती बहन थी। शाम के वक्त उसके भाई के पास उसी की सहेली ने फोन कर हादसे के बारे में जानकारी दी थी। जिसके बाद वे पूरी रात उसकी फोटो लेकर एक जगह से दूसरी जगह पर तलाशते रहे।लेकिन शनिवार दोपहर को संजय गांधी मोर्चरी में जब शवों को देखा तो दृष्टि की उंगली में पहनी सगाई की अंगूठी और जींस से उसकी पहचान हो पाई थी। उसका शरीर पूरा काला पड़ा हुआ था।
पति ने दिया था सालगिराह पर कड़ा उसी से हुई पहचान
40 वर्षीय मोहिनी करीब 10 सालों से सेल्स मैनेजर के तौर पर नौकरी कर रही थी। फरवरी महीने में उसकी सालगिरह थी। उसके पति विजय पाल ने उसको उस दिन कड़ा भेंट में दिया था। जिसको वह हमेशा पहने रहती थी। शाम को जब हादसे के बारे में पता चला,परिवार वाले तुरंत मौके पर पहुंचे। इमारत से लपटे उठती देखकर उन्होंने उसी वक्त उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन जिस तरह से कुछ अन्य कर्मचारी बचे। उनको उम्मीद थी कि मोहनी बच गई होगी। पूरी रात अस्पताल के चक्कर काटते रहे और बाल बाल बचे कर्मचारियों से उसके बारे में पता करने की कोशिश करते रहे। लेकिन कुछ नहीं पता चला था। शनिवार दोपहर को जब संजय गांधी अस्पताल की मोर्चरी में जाकर देखा,मोहिनी के कड़े से ही उसकी पहचान की।
बहन से हाथ छुटा था तब से वो नहीं मिली
मुजफ्फरनगर बिहार की जोशिनी सिन्हा ने बताया कि वह आठ साल से काम कर रही है। जबकि उसकी बहन दो साल से काम कर रही है। दोनों उस वक्त मोटिवेशन स्पीच को सुन रही थी। तभी आग धुआं हुआ और आग लग गई। जब शीशा तोड़ा गया। नीचे काफी भीड़ थी।
दोनों बहनें हम चिल्ला रही थी। मधू का हाथ पकडक़र वह गली में कूद गई थी, लेकिन जब वह संभली और ऊपर की तरफ मधू को देखा,मधू वहां पर नहीं थी। तभी से उसको तलाशते हुए शाम हो गई है। बाबा साहेब और संजय गांधी अस्पताल में उसको परिवार के साथ तलाश रही है। लेकिन कहीं से भी उसके बारे में कुछ नहीं पता चल पा रहा है।
मेरे भाई को कोई मुझसे मिलवा दो, तलाशती रही बहन
इमारत में मदनपुर डबास में रहने वाला विशाल काफी समय से नौकरी कर रहा था। नांगलोई में रहने वाली उसकी बहन पूजा मोबाइल फोन में उसका फोटो लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल और हादसे वाली जगह लोगों को फोटो दिखाकर उसके बारे में पूछने की कोशिश कर रही थी। पूजा ने बताया कि भाई का फोन भी स्वीच ऑफ है। विशाल ड्राइवर के साथ हेल्पर आदी का काम करता था। संडे को ही भाई से फोन पर बात हुई थी। उसके बारे में हादसे में बाल बाल बचे लड़कों ने बताया कि विशाल को मीटिंग में ही देखा था। लेकिन उसका शनिवार शाम तक कुछ पता नहीं चल पा रहा है।
काश बहन ऑफिस नहीं जाती तो मेरे सामने होती
मुंडका इलाके में रहने वाले प्रिंस ने बताया कि उसकी बहन सोनम कुछ समय से वहां पर नौकरी कर रही थी। सुबह वह घर का काम करने के बाद घर से नौकरी के लिये निकली थी। लेकिन जब आग लगने के बारे में पता चला। उसने बहन को फोन किया था। लेकिन फोन पर घंटी तक नहीं जा रही है। बहन का कहीं पर कुछ पता नहीं चल पा रहा है। अस्पताल और पुलिस कोई सहायता नहीं कर रही है। गर्मी होने की वजह से उसने बोला भी था कि आज छुट्टी कर ले। लेकिन उसने कहा था कि आज कोई स्पीच है।
फोटो लेकर पूरी रात उसे तलाशता रहा भाई
नांगलोई में रहने वाला प्रमोद अपने भाई नरेन्द्र को तलाशने के लिये शुक्रवार शाम से शनिवार रात तक उसका फोटो लेकर उसको तलाशने की कोशिश कर रहा है। लेकिन नरेन्द्र का कोई अतापता नहीं चल पा रहा है। प्रमोद ने बताया कि 2019 में वह काम पर लगा था। वह सीसीटीवी कैमरा बनाया करता था। शाम को भाई के साथ काम करने वाली मनीषा ने फोन कर बताया कि इमारत में आग लग गई है।
वह ऊपर से कूद गई है। उसको काफी चोट लगी है। नरेन्द्र आग में ही फंस गया था। जल्दी से वहां पर चले जाओ। उसके बाद वह अकेला ही अपने भाई को तलाश रहा है। लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल पाया है। वह संजय गांधी अस्पताल की मोर्चरी में भी गया था। लेकिन वहां पर उसका कुछ पता नहीं चल पाया। नरेन्द्र ने हाथ में पीतल का कड़ा पहन रखा है। उसी से उसकी पहचान भी हो सकती है।
पटना से आकर बेटी को अस्पताल में तलाश रही है मां
पटना की रहने वाली सिल्लो देवी ने बताया कि उसकी बेटी मोना उर्फ स्वीटी(28)अपने ससुराल मुबारकपुर डबास में पति और बेटा बेटी के साथ रहती है। वह काफी समय से बिल्डिंग में नौकरी कर रही थी। वह शुक्रवार को पटना में अपने घर पर थी। वहीं पर दामाद ने फोन कर हादसे के बारे में बताया था। दामाद को बेटी के साथ काम करने वाली दो लड़कियों ने हादसे की जानकारी दी थी। दोनों लडक़ी दूसरी मंजिल से कूद गई थी।
जिसके तुरंत बाद वह ट्रेन से सीधा घर से संजय गांधी अस्पताल आई। सिल्लो देवी ने बेटी का फोटो लेकर सभी मीडिया के लोगों से उसके बारे में पूछ रही थी। उनका कहना था कि गर्मी की छुट्टी में बेटी बच्चों को लेकर घर पर आ जाती थी, लेकिन वो नहीं आई। उसने सांसद हंस राज हंस से भी बेटी के बारे में जानकारी जुटाने की गुहार लगाई।
सेकंड फ्लोर पर मोटिवेशनल क्लास चल रही थी
उक्त फैक्ट्री में काम करने वाले अंकित ने बताया कि जब आग लगी उस वक्त बिल्डिंग में मोटिवेशनल क्लास चल रही थी, सब स्टाफ स्पीकर को सुन रहे थे। आग लगने के बाद धुंआ ऊपर की तरफ आया और जब सीढिय़ों से नीचे जाने लगे तो जा नहीं पाए। क्योंकि सीढिय़ों में धुंआ इतना था की दम घुट रहा था। जिसके बाद छज्जे की तरफ शीशा तोडक़र सेकंड फ्लोर से रस्सी के सहारे नीचे आया। अंकित ने बताया की प्रोडक्ट की सेल बढ़ाने के लिए ये क्लास रखी गई थी।
पूरी रात इस अस्पताल से उस अस्पताल तक भटकते रहे परिजन…..
पूजा के परिवार वाले अपनी बहन की तलाश के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। पूजा जिसकी उम्र 19 साल है जो मुबारक पुर की रहने वाली, जो की इस फैक्टरी में पैकिंग का काम करती थी। उसकी छोटी बहन मोनी ने बताया कि दीदी रोज शाम 7 बजे तक आ जाती थी, पर आज जब वह नहीं आयी तो उसको फोन किया। फोन नहीं लगा। फिर उस खोजने लगे, लोगो से पता चला जहा दीदी काम करती है, वहा आग लग गई है।
कई घंटो से दीदी को खोज रहे है, उनका कुछ पता नहीं चल रहा है। इसी क्रम में दिल्ली के संजय गांधी अस्पताल में तान्या चौहान 24 साल की मां भी उसकी तलाश के लिए पहुंची। जिसका रो रोकर बुरा हाल था। जबकि उक्त अस्पताल में मोनिका का परिवार भी उसको खोजते हुए आया। जिसका भाई अजित का कहना है की 7 बजे तक वो आ जाय करती थी, लेकिन आज नहीं आई। न्यूज में देखकर पता चला की वहाँ आग लग गई। वह पिछले 1 महीने पहले ही काम पर आई थी।
हादसे वाले दिन मिली थी पहली सैलरी
अपनी बहन की तलाश में संजय गांधी अस्पताल पहुंचे अजीत तिवारी ने बताया कि घटना के बाद से मोनिका लापता है। मैं अपनी बहन की तलाश में आया हूं। उसने पिछले महीने सीसीटीवी कैमरा पैकेजिंग यूनिट में काम करना शुरू किया था और हादसे वाले दिन ही उसे पहली सैलरी मिली थी। अब वो कहां हैं, पता नहीं ।
सर्च ऑपरेशन के बीच पैर में आए पड़े थे शव व अवशेष-अतुल गर्ग
दमकल विभाग के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया कि जब रात को ‘सर्च ऑपरेशन’ शुरू किया गया था। उस वक्त उनको पता चल गया था कि दूसरी मंजिल पर ही जानें गई हैं। टीम ने काफी सावधानी से टॉर्चर लेकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। जब वो उस मंजिल पर पहुंचे। वहां पर चप्पल,बाली,चैन, कड़े,फोन,शीशे के टूकड़े आदी सामान पड़ा था।
काफी ज्यादा खून के धब्बे भी पड़े हुए थे। उसके साथ साथ शव भी पड़े थे। जिनके शरीर पूरी तरह से काले पड़े थे। खाल भी जल गई थीं। शव इस हालत में नहीं थे कि उनको पूरा उठाया जा सके।
आग में पूरी तरह ही जल चुके थे। जिनको काफी सावधानी से बोरों में डाला गया और संजय गांधी अस्पताल की मोर्चरी में रखवा गया था। इस बीच जब कर्मचारी उसी मंजिल पर जांच कर रहे थे। उनके पैरो में शवों के छोटे अवशेष आने लगे। जो पहचान में नहीं आ रहे थे,जिनको पहचानना नामुमकिन था। जिनको काफी सावधानी से बोरों में रखा गया था।
इसलिए हो गया बड़ा हादसा
स्थानीय लोगों ने बताया कि बिल्डिंग में जगह कम थी और ज्यादा लोग काम कर रहे थे। ऐसे में जब आग भडक़ी तो अफरा-तफरी मच गई, जिसकी वजह से लोग हादसे के शिकार हो गए।
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