पीएम श्री नरेंद्र मोदी ने आज़ादी के 75 साल को अमृत महोत्सव के रूप में मनाने की जब घोषणा की थी तब किसी ने उनकी दूरगामी सोच को नहीं जाना। पीएम मोदी ने कहा था कि हर जिले में 75 तालाबों का संरक्षण कर उन्हें अमृत सरोवर नाम दिया जाए।
यूपी, उत्तराखंड ही नहीं, देश के हर जिले में इनदिनों पुराने पोखर, तालाबों और मृत पड़ी नदियों की खोदाई का काम युद्ध गति से चल रहा है। ये राष्ट्रीय अभियान है। पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में जल शक्ति मंत्रालय का पहली बार गठन किया और इसके जरिये गंगा के साथ साथ अन्य नदियों के संरक्षण के साथ-साथ तालाबों, पोखरों को भी पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा और आज़ादी के 75 साल में हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाकर उनके किनारे अमृत महोत्सव मनाने की अपील की। जानकारी के अनुसार इन तालाबों के किनारे तिरंगा फहराया जाएगा और आज़ादी आंदोलन से जुड़े स्वतंत्रता आंदोलनकारियो की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। वहां पिकनिक स्पॉट विकसित होगा। आज से कुछ साल पहले शहरों, कस्बों, गांवों में तालाब, झील, सरोवर, पोखर हुआ करते थे, रखरखाव के अभाव में इनमें ज्यादातर सूख गए या फिर इन पर अतिक्रमण हो गया।
अमृत सरोवर के राष्ट्रीय अभियान में इन तालाबों को फिर से खोजा गया और अब इन्हें राज्य सरकारें अतिक्रमण मुक्त करवा रही हैं।इनसे गाद, मिट्टी आदि को मनरेगा के जरिये निकाल कर गहरा किया जा रहा है। इनसे निकलने वाली मिट्टी गाद को राष्ट्रीय राजमार्गों या लोक निर्माण विभाग की सड़क योजनाओ में भरान के लिए डाला जा रहा है।
तालाब को कम से कम दो मीटर तक गहरा किया जा रहा है। आने वाले मानसून में ये तालाब फिर से अपने भंडार क्षमता में आ जायेंगे। खास बात ये है कि इनसे भूमि जल में वृद्धि होगी और आसपास के तापमान में भी गिरावट आएगी। बाद में इनमें मत्स्य पालन, बतख पालन और इनके किनारे हजारी केले की पौध लगाने की भी योजना है ताकि ग्राम पंचायतों की आय भी बढ़ सके।
यूपी में 6000 से ज्यादा तालाब
उत्तर प्रदेश में छह हजार से ज्यादा तालाब-पोखरों और नदियों को पुनर्जीवित किया जा रहा है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मेरठ में फावड़ा चलाकर जिले में इस अभियान की शुरुआत की है। बिजनौर, सहारनपुर, बरेली पीलीभीत आगरा आदि जिलो में ये अभियान गति पकड़ चुका है।
उत्तराखंड में भी शुरू हुई योजना
दो साल पहले उत्तराखंड में गुल्लरभोज जलाशय से गाद निकाल कर एनएच 74 में डाली गई थी। ये योजना प्रयोग के तौर पर शुरू की गई थी। वर्तमान में गुल्लरभोज जलाशय पानी से लबालब है और यहां अब स्पीड बोट्स चल रही हैं। पर्यटकों का आना-जाना भी बड़ी संख्या में होने लगा है। उत्तराखंड में सभी जिलों में झीलों, तालाबों से मिट्टी निकाली जा रही है। यहां भी अमृत सरोवर और अमृत महोत्सव की तैयारी में प्रशासन जुटा हुआ है।
टिप्पणियाँ