मासूम को धन की लालच में बलि देने के मामले में दस साल बाद इंसाफ मिल गया है। गुरुवार को घटना में आरोपित महिला समेत तीन लोगों को न्यायालय ने दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
उल्लेखनीय है कि रायबरेली जिले के ऊंचाहार कोतवाली क्षेत्र में जमुनापुर चौराहा के रहने वाले धर्मेंद्र कौशल का दस वर्षीय बेटा अमन चौराहा के पास स्थित कुटी पर छह अक्टूबर 2011 को रामलीला देखने गया था। जहां से वह गायब हो गया था। इसके बाद दस अक्टूबर को उसका शव रामलीला स्थल से थोड़ी दूरी पर झाड़ियों में क्षत-विक्षत अवस्था में बरामद हुआ था। इस मामले में पुलिस ने जमुनापुर चौराहा की आशा बानो पत्नी मो शरीफ, उसके सहयोगी अजय सिंह उर्फ कल्लू पुत्र राम बहादुर और सिकंदर पुत्र अब्दुल हबीब को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। दस साल तक चले ट्रायल में न्यायालय ने पुलिस के साक्ष्यों, गवाहों के आधार पर तीनों आरोपितों को दोषी पाया है, और गुरुवार को तीनो को इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
शक के आधार पर शुरू हुई जांच के बाद पुलिस ने इस मामले में आशा बानो के घर से झाड़ फूंक करने का सामान बरामद किया था। घटना में पुलिस का कहना था कि आशा के घर के एक कमरे में धन गड़ा होने की संभावना आरोपियों को थी। इस कमरे में अक्सर सांप भी दिखाई देता था। इसी धन की लालच ने तीनों ने मिलकर अमन को रामलीला से बुला लिया और उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद उसका दाहिना हाथ और बाल घर में रखा। उसके बाद शव को झाड़ियों में फेंक दिया था। जहां से पुलिस ने शव को बरामद किया था।
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