दक्षिणी दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में CPI(M) की तरफ से याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में पीड़ितों की जगह राजनीतिक दल यहां क्यों आए हैं। CPI(M) ने इस मामले में क्यों याचिका दायर की है। क्या कोई पीड़ित पक्ष नहीं है। अगर कोई पीड़ित पक्ष हमारे पास आता है तो समझ में आता है।
इस पर सीनियर वकील पी सुरेंद्रनाथ ने बताया कि एक याचिका रेहड़ीवालों के एसोसिएशन की भी है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी तरह की राहत के लिए याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि देशभर में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई है। शाहीन बाग का मामला रिहायशी मकानों से जुड़ा नहीं, बल्कि सड़क को खाली कराने से जुड़ा है। फिलहाल भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी ने अपनी याचिका को वापस ले ली है।
बता दें कि दिल्ली में अतिक्रमण के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है। इसी क्रम में आज शाहीन बाग इलाके में MCD का बुलडोजर पहुंचा। अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई शुरू हुई, जिसके विरोध में लोग सड़क पर बुलडोजर के आगे बैठ गए। पुलिस ने बड़ी मुश्किल से उन्हें हटाया। विरोध कर रहीं महिलाओं को हिरासत में लिया गया। इस दौरान मौके पर पर्याप्त सुरक्षा बल मौजूद रहा। पुलिस की मदद के लिए CRPF के जवान वहां भेजे गए थे।
लोगों के विरोध के बीच वहां MCD कर्मचारियों ने सिर्फ एक बिल्डिंग के बाहर लगी लोहे की रॉड्स को हटवाया, जो वहां रेनोवेशन के काम के लिए लगी थी। फिलहाल शाहीन बाग इलाके से बुलडोजर वापस आ गया है। वहीं, अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में CPI(M) की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
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