चुनावी विमर्श में इस्लाम
Tuesday, March 21, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम विश्व

चुनावी विमर्श में इस्लाम

फ्रांस के चुनाव में राष्ट्रपति पद के दोनों प्रत्याशी इस्लाम विरोधी विचारों के लिए जाने जाते हैं। यह तय करना मुश्किल था कि कौन ज्यादा मुस्लिम विरोधी है। इमानुएल मैक्रॉन का चुनाव मुस्लिम वर्ग के लिए उम्मीद नहीं, अधिक सुविधाजनक होने की निशानी है

महेश दत्त by महेश दत्त
May 2, 2022, 09:00 am IST
in विश्व
Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

रविवार को हुए फ्रांसीसी राष्ट्रपति के चुनाव में इमानुएल मैक्रॉन एक बार पुन: राष्ट्रपति चुने गए। तमाम सर्वेक्षणों के मुताबिक यह लगभग तय था कि वे थोड़ी सी ही बढ़त के साथ सही, लेकिन राष्ट्रपति चुने जाएंगे। फ्रांस के इस चुनाव ने यह बात स्पष्ट कर दी कि देश की राजनीति में इस्लाम के झंडाबरदारों के लिये जगह नहीं बची है। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार इमानुएल मैक्रॉन और ल पैन, दोनों ही अपने इस्लाम विरोधी विचारों के लिए जाने जाते हैं। मुस्लिम जनसंख्या को यही तय करना था कि दोनों में से किस के विचार कम इस्लाम विरोधी होंगे। मैक्रॉन का चुनाव उनके लिए उम्मीद की नहीं, बल्कि अधिक सुविधाजनक होने की निशानी है। अपने चुनाव प्रचार के दौरान एक बाजार में हिजाब पहने एक औरत के यह पूछने पर कि क्या आप फेमिनिस्ट है, मैक्रॉन का जवाब था, ‘‘आप हिजाब पहनकर मुझसे यह सवाल कर रही हैं, क्या इसी से यह पता नहीं लग जाता कि मैं फेमिनिस्ट हूं?’’

राष्ट्रवादी फ्रांसीसी अपनी भावना का इससे बेहतर अभिव्यक्त नहीं कर सकते थे। धर्म और राष्ट्र के बीच प्राथमिकता और स्थानीय संस्कृति विचारणीय विषय बनकर उभर रहे हैं।

इस सदी के आरंभ से फ्रांस में यह हवा चल रही है कि आने वाले बीस साल में फ्रांस एक मुस्लिम देश बन जाएगा, लेकिन अब यह चर्चा राजनीतिक विमर्श के मध्य में आ खड़ी हुई है। इतना ही नहीं, इस बहस में वामपंथी भी अपना हिस्सा डाल रहे हैं। वे मुसलमानों के देश में आने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन महिलाओं के हिजाब पहनने या हलाल मांस के मुद्दे पर वे भी दक्षिणपंथ के साथ ही खड़े हैं। यह परिवर्तन पिछले बीस वर्ष में क्रमश: आया है। मुसलमानों की वेशभूषा को लेकर मैक्रॉन और ल पैन के विचारों में कोई अंतर नहीं है। दरअसल मैक्रॉन के कुछ मंत्री तो इस विषय में ल पैन से अधिक कट्टरपंथी हैं। पिछले वर्ष फ्रांस के गृह मंत्री ने यह कहकर ल पैन को चौंका दिया था कि उनके विचार इस्लाम को लेकर बहुत नरम है। अपने चुनाव प्रचार के उत्तरार्ध में ल पैन ने हिजाब को लेकर अपने विचारों में कुछ नरमी दिखाई थी लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि वे राष्ट्रपति के पद पर आएं तो वे अपनी कैथोलिक क्रिश्चियन पहचान को ज्यादा स्थापित करेंगी।

विमर्श में मुस्लिम नहीं
रुचिकर यह है कि मुस्लिम समुदाय राजनीतिक बहस के बीच में तो है लेकिन इसमें उसकी भागीदारी नहीं है। इसका एक नकारात्मक परिणाम यह है कि मुस्लिम समुदाय के एक बड़े हिस्से को लगता है कि फ्रांस उन्हें एक समस्या का हिस्सा समझता है, न कि समाधान का। फ्रांस और जर्मनी, दोनों के ही राजनीतिक और सामाजिक ढांचे में मुसलमानों की मौजूदगी नहीं है। इसका कारण अक्सर शिक्षा को बताया जाता है लेकिन मुस्लिम समुदाय का मानना है कि यह सही नहीं है क्योंकि बहुत से परिवारों की अब चौथी या पांचवीं पीढ़ी इन देशों में रह रही है। वहां यह अंदेशा जताया जा रहा है कि आगामी दिनों में फ्रांस ऐसा पहला यूरोपीय देश बनने जा रहा है जहां खुलेआम हिजाब पहनने पर पाबंदी होगी। फ्रांसीसी व्यवस्था के अनुसार राष्ट्रपति का चुनाव होने के बाद आम चुनाव जून में होंगे जिसमें संसद सदस्यों का चुनाव होगा। मैक्रॉन राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुके हैं लेकिन यदि वे जून में आम चुनाव न जीत पाए तो उन्हें संसद में काफी मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ सकता है।

नमाज बनाम राष्ट्रगीत
राष्ट्रपति चुनाव संपन्न होने के अगले ही दिन मुस्लिम समुदाय के बहुत से लोग सड़कों पर नमाज पढ़ते हुए दिखाई दिए। इस नमाज के लिए की गई अजान के होते ही फ्रांस के बहुत से नागरिकों ने फ्रांस के राष्ट्रीय गीत को बजाना शुरू कर दिया। यह बहुत विहंगम दृश्य था, जहां अजान और राष्ट्रगीत एक साथ बज रहे थे। राष्ट्रवादी फ्रांसीसी अपनी भावना का इससे बेहतर अभिव्यक्त नहीं कर सकते थे। धर्म और राष्ट्र के बीच प्राथमिकता और स्थानीय संस्कृति विचारणीय विषय बनकर उभर रहे हैं। शायद इस सब के बीच विश्व के तमाम लोकतंत्रों के लिए एक संदेश भी था कि समाज के तमाम वर्गों के लिए सामाजिक एकीकरण की तरफ बढ़ना कितना आवश्यक हो चला है।

Topics: धर्म और राष्ट्रराष्ट्रवादी फ्रांसीसीनमाज बनाम राष्ट्रगीतइमानुएल मैक्रॉन
Share9TweetSendShareSend
Previous News

अगर संभले नहीं तो पछताएंगे

Next News

दिल्ली किसकी!

संबंधित समाचार

No Content Available

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

तिलका मांझी : प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पहले स्वतंत्रता सेनानी

तिलका मांझी : प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पहले स्वतंत्रता सेनानी

सैन फ्रांसिस्को में भारतीय दूतावास पर हमला, अमेरिका ने निंदा कर बताया अस्वीकार्य

सैन फ्रांसिस्को में भारतीय दूतावास पर हमला, अमेरिका ने निंदा कर बताया अस्वीकार्य

बरेली जेल में साजिश मामले में फरार चल रहे माफिया के गुर्गे लल्ला गद्दी ने आधी रात को बरेली में एसओजी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, कई टीमें उससे पूछताछ में जुटी हैं।

प्रयागराज कांड: बुलडोजर से घबराए सपा नेता लल्ला गद्दी ने बरेली पुलिस के सामने किया सरेंडर

साख के सौदागरों का सच से सामना

साख के सौदागरों का सच से सामना

तिहाड़ से सत्येंद्र जैन का चौथा वीडियो आया सामने

ईडी ने सत्येंद्र जैन की जमानत का किया विरोध, कहा- गवाहों की जान को हो सकता है खतरा

श्रद्धा मर्डर केस : नार्को टेस्ट में सब राज उगलेगा आफताब, कोर्ट ने पुलिस को दिए ये आदेश

“आफताब खोज लेगा और मार देगा”, टुकड़ों में काटने की धमकी देता था, कोर्ट में चला श्रद्धा का वीडियो

उमेश पाल हत्याकांड : 5 लाख के इनामी शूटर गुलाम मोहम्मद के घर पर चला बुलडोजर

उमेश पाल हत्याकांड : 5 लाख के इनामी शूटर गुलाम मोहम्मद के घर पर चला बुलडोजर

पूर्व विधायक विजय मिश्रा की 1 करोड़ 84 लाख की संपत्ति कुर्क

बाहुबली विजय मिश्र को 5 साल की सजा

मध्यप्रदेश : बारिश-ओलावृष्टि से किसानों को भारी नुकसान, चार दिन में आकाशीय बिजली गिरने से 22 की मौत

मध्यप्रदेश : बारिश-ओलावृष्टि से किसानों को भारी नुकसान, चार दिन में आकाशीय बिजली गिरने से 22 की मौत

महाराष्ट्र के बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत

रामसेतु मामले पर जल्द सुनवाई करेगा सु्प्रीम कोर्ट, राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की है मांग

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies