मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पांच साल पहले ताजमहल किनारे यमुना जी मे हमेशा जल भरे रहने के आदेश दिए थे। उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर 350 करोड़ रु मंजूर करते हुए शिलान्यास का पत्थर भी लगाया था। परंतु तमाम विभागों के अड़ंगे लगा दिए जाने के बाद ये प्रोजेक्ट किनारे ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। दोबारा सत्ता में आते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस फ़ाइल को दोबारा निकालते हुए समीक्षा की तो मालूम पड़ा कि पांच विभागों की एनओसी आनी थी जिसमे तीन की आ गयी थी दो की रह गयी।
सीएम ने आगरा आयुक्त को इस बारे में सख्त निर्देश दिए और अब बाकि दो विभागों की अनापत्ति मिल गयी है।
नेशनल एनवॉयरमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च संस्थान,ताज ट्रिपिजियम ज़ोन की बैठक लेने के बाद कमिश्नर अमित गुप्ता ने बताया कि ताजमहल से डेढ़ किमी आगे एक रबड़ तकनीक से बैराज बनेगा जिसमे ढाई मीटर से 2 मीटर तक यमुना जी मे जल भराव रहेगा । जल डाउन स्ट्रीम का ये बैराज एक झील का रूप लेलेगा।
उन्होंने बताया कि जल आयोग, पुरात्तव सर्वेक्षण, वन पर्यावरण, अन्तरजलीय मार्ग प्राधिकरण,आदि विभागों की अनापत्ति मिल गयी है हम बारिशों से पहले काम शुरू करवाने जारहे है।
उन्होंने कहा कि यमुना जी का जल भराव होने से भूजल में वृद्धि होगी और ताजमहल के आसपास का तापमान भी गिरेगा।
35 साल पुरानी है योजना
ताज किनारे यमुना जी का जल सूखने पर सबसे पहले 1986 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एन डी तिवारी ने चिंता जताते हुए यहां बांध बनाने की योजना का पत्थर लगाया था, 1993 में तत्कालीन गवर्नर रोमेश भंडारी ने भी यहां प्रोजेक्ट शुरू करवाया वो भी आगे नही बढ़ा। अब योगी सरकार इसे पूरा कराने के लिए गंभीर दिखती है।
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