पश्चिम बंगाल के 8 सीमावर्ती जिलों में 1971 से लगातार बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिये बस रहे हैं। 1977 से 2011 तक 34 साल तक रही वाममोर्चा सरकार ने इस घुसपैठ को रोकने के बजाय घुसपैठियों को मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, आधार कार्ड उपलब्ध कराने के साथ ही आवास, जमीन के पट्टे आदि भी दिए। इसकी एवज में 2006 तक वाममोर्चे को एकमुश्त मुस्लिम वोट मिला लेकिन 2007 में नंदीग्राम हिंसा के बाद यह मुस्लिम वोटबैंक तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में चला गया। पश्चिम बंगाल में 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम आबादी 27.1 प्रतिशत थी। उसके सीमावर्ती 8 जिलों उत्तरी दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, मालदा, मुर्शिदाबाद, नादिया, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और हावड़ा में 35 से 40 प्रतिशत मुस्लिम आबादी हो गई है। हुगली, बर्धमान व बीरभूम जिला अब इनके नए ठिकाने के रूप में उभरे हैं। 1971 से अभी तक हर 10 वर्ष का जनसांख्यकीय विश्लेषण करने पर 3% से 5% तक बढ़ोतरी हुई है। वहीं दूसरी ओर इन 8 जिलों में हिन्दू जनसंख्या में 3% तक की कमी पाई गई है।
कोलकाता में रहने वाले पूर्व नौकरशाह व तृणमूल कांग्रेस के सह फाउंडर सदस्य दीपक कुमार घोष कहते हैं कि वाममोर्चा की सरकार ने मुस्लिमों को शरण ही दी उनके वोट बैंक के लिए लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने इन अवैध मुस्लिम घुसपैठियों को सत्ता तक में स्थान दिया है और उनके उन्नयन के लिए विशेष योजनाएं भी चला रही है। घोष आगे कहते हैं कि पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर दक्षिण दिनाजपुर, मालदा, मुर्शिदाबाद, नादिया, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, कोलकाता व हावड़ा आदि क्षेत्रों में सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या शरण लिये हुए है। इतना ही नहीं, बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के अलावा तृणमूल कांग्रेस में रोहिंग्या घुसपैठियों की भी इन जिलों, विशेषकर दक्षिण व उत्तर 24 परगना में स्थायी रूप से कॉलोनी बना दी गई है। पश्चिम बंगाल के इन जिलों की मुस्लिम जनसंख्या का घनत्व इतना बढ़ गया है कि मुस्लिम इन जिलों में राज्य की 148 विधानसभा सीटों के लिए निर्णायक स्थिति में हैं। इन मुस्लिम बहुल 8 जिलों में सबसे ज्यादा मानव, महिला तस्करी और मादक पदार्थों की तस्करी होती है।
मुर्शिदाबाद में मुस्लिम आबादी 69.5 प्रतिशत, मालदा में 53.3 प्रतिशत, उत्तरी और दक्षिणी दिनाजपुर में 42.8 प्रतिशत, बीरभूम में 39.6 प्रतिशत, तो उत्तरी और दक्षिणी 24 परगना में 36.1 प्रतिशत वहीं हावड़ा में 30 प्रतिशत और नदिया में 26.76 प्रतिशत है। मालदा के कालियाचक को मिनी अफगानिस्तान कहा जाता है जो जाली मुद्रा/नोट, घातक हथियारों (एके 47) व ड्रग्स का सबसे बड़ा केंद्र है।
इन 8 जिलों में मुस्लिम जनसंख्या के घनत्व में हुई उत्तरोत्तर वृद्धि से यहां खरीजी मदरसों (ऐसे मदरसे जो पश्चिम बंगाल मदरसा बोर्ड में पंजीकृत नही हैं) की संख्या में जबरजस्त उछाल आई है और इस्लामिक कट्टरवाद के लिए उर्वरक भूमि तैयार हो गई है। बीरभूम जिला तो पश्चिम-बंगाल में नया मुंगेर (मुंगेर बिहार में अवैध असलहा, घातक हथियार व बम बनाने के लिए कुख्यात था) बनकर उभरा है। दो साल पहले बीरभूम के बोलपुर विश्वभारती विवि शान्तिनिकेतन के एक कार्यक्रम में राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने कहा था कि यह जिला बम व घातक हथियार बनाने की फैक्ट्री के रूप में उभर कर सामने आया है। यह उद्योग पूरी तरह से मुस्लिम समुदाय के नियंत्रण में है।
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