जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो न्याय की उम्मीद करना बेमानी है। किसी भी राज्य की पुलिसकर्मियों का काम अपने आसपास के क्षेत्र को अपराध—मुक्त करना है। लेकिन जब पुलिसकर्मी ही अपराध और अपराधियों को बढ़ावा देंगे तो आप कह सकते हैं कि उस क्षेत्र और उस राज्य का भगवान ही मालिक है। ऐसा ही मामला झारखंड के हजारीबाग जिले में देखने को मिला। उल्लेखनीय है कि 3 अप्रैल, 2022 की रात गाय और बछड़े को काटकर उनके अतड़ियों, चमड़े और उनकी हड्डियों को अवैध तरीके से बिहार से पश्चिम बंगाल झारखंड के रास्ते ले जाया जा रहा था। ‘गौ ज्ञान फाउंडेशन’ नामक एक समाजसेवी संस्थान को जब इसकी सूचना मिली तो उसने झारखंड पुलिस के पदाधिकारियों को सूचित किया, ताकि अपराधियों को पकड़ कर पुलिस उचित कार्रवाई करे। लेकिन कुछ पशुरक्षकों का कहना है कि पुलिस ने उन्हें पकड़ कर वापस बिहार की सीमा पर छोड़ दिया। वहां से ये पशु तस्कर अपनी गाड़ियों को लेकर फरार हो गए।
क्या है पूरा मामला ?
बता दें कि बिहार के गया, नवादा, बिहारशरीफ, मोहनिया आदि कई स्थानों से अवैध ढंग से गायों और बछड़ों को काटकर उनके मांस, चमड़ी, हड्डी और अन्य अवशेषों को बिहार राज्य से झारखंड के रास्ते पश्चिम बंगाल भेजा जाता है। इसके विरुद्ध गौ ज्ञान फाउंडेशन मुहिम चला रहा है। इसी क्रम में संस्था के सचिव योगेंद्र सरोहा और संस्था की सदस्य लता मीरा को गुप्त सूचना मिली कि वाहन संख्या जेएच 10 जेड 3276 पर गया मारूफगंज से गायों और बछड़ों के चमड़े और उनकी अतड़ियों को लाद कर से पश्चिम बंगाल ले जाया जा रहा है। सूचना मिलते ही संस्था के लोगों ने उस वाहन का पीछा किया। इस दौरान इन लोगों ने हजारीबाग कंट्रोल रूम को इस की जानकारी दी और उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया। 4 अप्रैल की सुबह 2:50 बजे वाहन जब बरकट्ठा थाना क्षेत्र के पास पहुंचा तो देखा गया कि इस गाड़ी को पुलिस की गश्ती गाड़ी की मदद से आगे ले जाया जा रहा है। जब इसकी शिकायत पुलिस के वरीय पदाधिकारियों से की गई तो उस गाड़ी को रुकवा कर जांच करने के आदेश दिए गए। जांच क्रम में पता चला कि गाड़ी में 3000 से अधिक की संख्या में गायों और बछड़ों की चमड़ी और अन्य अवशेष लदे हुए हैं। इस घटना के बाद वाहन को बरकट्ठा थाना ले आया गया। लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टे पुलिस सब इंस्पेक्टर विक्रम कुमार ने कहा कि बरकट्ठा थाना क्षेत्र संवेदनशील इलाका है इसलिए यहां पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है। बेहतर यही होगा कि इस वाहन को चौपारण थाना ले जाकर वहीं पर पूरी कार्रवाई की जाए।
लता मीरा के अनुसार पुलिस की देखरेख में वाहन को चौपारण थाना लाया गया। लेकिन यहां पर भी बरकट्ठा थाना प्रभारी और चौपारण थाना प्रभारी ने मामले को रफा-दफा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अंत में तंग आकर गौ सेवा फाउंडेशन के सदस्यों द्वारा राज्य के पशुपालन विभाग के निदेशक को सूचित किया गया। इसके बाद जिला पशुपालन पदाधिकारी ने नमूना लेने की बात तो कही, लेकिन उन्होंने भी सुबह आने की बात कहकर मामले को टाल दिया।
अंत में पुलिस वालों ने गौ सेवा फाउंडेशन के लोगों से कहा कि आप लोग अब जा सकते हैं, इस वाहन और वाहन मालिकों पर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अगले दिन जब सुबह में गौ सेवा फाउंडेशन के लोग वहां पहुंचे तो पुलिस ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से साफ-साफ इंकार कर दिया और कहा कि यह मामला बाराचट्टी थाना क्षेत्र का है। इसलिए इसकी कार्रवाई बिहार में होगी। लता ने बताया कि चौपारण थाने की पुलिस ने बिहार पुलिस को भी वाहन ना सौंपते हुए गाड़ी को बाराचट्टी क्षेत्र की झारखंड सीमा से बाहर ले जाकर लावारिश छोड़ दिया, जहां से पशु तस्कर उस गाड़ी को लेकर भाग गए।
इसके बाद एक अजीब घटना घटी। लता मीरा का कहना है कि पुलिस ने इस तरह की घटना से ही इनकार कर दिया और उल्टा पूछा ‘कौन सी घटना, कैसी घटना’। यानी पुलिस के अनुसार ऐसी कोई घटना घटी ही नहीं। वहीँ दूसरी ओर लता का दावा है कि उनके पास घटना का एक वीडियो है, जिसमें पूरे मामले को देखा जा सकता है और उसमें पुलिस वाले भी दिख रहे हैं। यहाँ तक कि लता के पास पुलिस से बात करने का ऑडियो रिकॉर्डिंग भी है। लता के अनुसार वाहन पकड़े जाने का पूरा सबूत उनके पास है। उस गाड़ी का चालान भी लता के पास है जिसके अनुसार यह चमड़ा बिहारशरीफ के जीशान ट्रेडिंग छज्जू से खिदिर इंटरनेशनल टोप्सिया, कोलकाता जा रहा था।
इस घटना को लेकर संवाददाता ने बरकट्ठा और चौपारण थाना के प्रभारी, हजारीबाग के उपायुक्त और जिला पुलिस अधीक्षक से कई बार बात करने का प्रयास किया, लेकिन किसी ने भी फोन नहीं उठाया। आपको बता दें कि गौ सेवा फाउंडेशन की ओर से इस घटना की जानकारी हजारीबाग पुलिस अधीक्षक सहित झारखंड के मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक को भी ईमेल के माध्यम से दे दी गई है। बावजूद इसके कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई है।
अब विचार करने वाली बात यह है कि अगर कोई आपराधिक घटना किसी क्षेत्र में घटती है तो उस क्षेत्र की पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि अपराधियों पर कार्रवाई करें। लेकिन इस मामले में पुलिस अपना पल्ला झाड़ने और अपराधियों को बचाने में जुटी रही।
गौ सेवा फाउंडेशन के सचिव योगेंद्र सरोहा ने हजारीबाग के उपायुक्त नैंसी सहाय को लिखित आवेदन देते हुए लिखा कि बरकट्ठा एवं चौपारण पुलिस के पदाधिकारियों ने पशु तस्करों के साथ षडयंत्र पूर्वक पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया है। यह पूरा मामला झारखंड पशु वध प्रतिषेध अधिनियम 2005 के अनुसार गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है इसलिए इस मामले को संज्ञान लेते हुए कारवाई करें।
जिस जिले की पुलिस और उसके वरीय पदाधिकारियों को इस घटना की सूचना होने के बाद भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया। अब देखना यह है कि ऐसी स्थिति में इस आवेदन के बाद भी कोई संज्ञान लिया जाएगा यह संदेह के घेरे में ही आता है।
गौ सेवा फाउंडेशन की ओर से किया गया ट्वीट
3 अप्रैल को बरकट्ठा और चौपारण थाना के पुलिस अधिकारियों के मिलीभगत से cow skin तस्कर फरार हुए। राज्य के सभी अधिकारियों को सूचित करने के बाद भी अब तक नहीं हुई कार्रवाई। झारखंड पुलिस का तस्करों से क्या संबंध है?@DC_Hazaribag @HemantSorenJMM @dgpjh @HazaribagPolice @DigHazaribagh pic.twitter.com/bah4lvSPjt
— Gau Gyan Foundation (@gaugyan) April 8, 2022
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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