कश्मीर लाइव : फख्र है कि उस धरती से हूं, जहां हजार साल पहले शंकराचार्य जी नंगे पांव आए थे
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कश्मीर लाइव : फख्र है कि उस धरती से हूं, जहां हजार साल पहले शंकराचार्य जी नंगे पांव आए थे

शान से लहराता है तिरंगा, गूंजता है भारत माता का जयकारा, हिंदुस्तान जिंदाबाद....

by Sudhir Kumar Pandey and SHIVAM DIXIT
Apr 3, 2022, 11:20 pm IST
in भारत, जम्‍मू एवं कश्‍मीर
श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर

श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर इसी पहाड़ी पर स्थित है

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लाल चौक पर तिरंगा शान से लहराता है। शेर ए कश्मीर पार्क में राष्ट्रवादियों की सभाएं होती हैं। अलगाववाद और आतंकवाद के खिलाफ लोग बोलते हैं। श्रीनगर में अब पत्थर नहीं फेंके जाते हैं। सुरक्षा से कोई समझौता नहीं। अलगाववादियों और चरमपंथियों की रीढ़ टूटी है तो सेना के शौर्य से राष्ट्रवादी विचारों से।

शेर-ए-कश्मीर पार्क में एक कार्यक्रम में कश्मीरी लेखक जावेद बेग कहते हैं – मैं उस परिेवार का सदस्य हूं, जिसे कश्मीर कहते हैं। हमें उस सिविलाइजेशन पर बड़ा फख्र है जिसने पांच हजार साल पूरे और मुकम्मल कर लिए। हमें फख्र है कि हम एक खूबसूरत भारत का हिस्सा हैं। यह धरती जितनी जावेद बेग की है, उतनी ही उस शख्स की है जो हिंदुस्तानियत में यकीन रखने वाला हो। दुश्मनों ने कोई कसर बाकी नहीं रखी, वे आज फिर नाकाम हो गए जब आज यहां कश्मीरी मुसलमान और कश्मीरी हिंदू एकसाथ इस पार्क में जुटे। हमें बड़ा दुख होता है जब कोई इस मुकद्दस धरती के खिलाफ होता है। हमें बड़ा दुख होता है जब हमारे ही घर से कोई हमारे लोगों को अपना न समझकर पराए लोगों के कहने पर उनके खिलाफ होता है। मैं जिस दौर से गुजरा हूं, कोई और उस दौर से न गुजरे खासकर मेरे कश्मीरी पंडित भाई। तीस साल में कश्मीरी मुसलमान भी मारे गए, लेकिन कश्मीरी पंडित ने तो अपनी धरती खो दी। अपना आसमां खो दिया। जिसका मुझे काफी दुख है। हम उस दिन के मुंतजिर हैं। मेरा दिल कहता है, हम अपने मोहल्लों में, अपने गांवों में एक साथ रहेंगे।

मुझे बड़ा फख्र है कि मैं जिस धरती से हूं, उस धरती पर शंकराचार्य जी हजार साल पहले नंगे पांव आए। मुझे फख्र है कि जिस पर्वत पर मखदूम साहब की जियारत है उसी हरि पर्वत पर माता शारिका देवी जी भी हैं। उसी पर्वत पर छठी पादशाही भी है। क्यों न हम फख्र करें अपने कश्मीर पर। हमारा फर्ज है कि हम कश्मीर की सुरक्षा करें। कश्मीर और कश्मीरियों की रक्षा करना हमारे मजहब का एक हिस्सा होना चाहिए। जब तक आखिरी कश्मीरी पंडित अपने घर न आ जाए, तब तक हम अधूरे हैं। हमें फख्र है कि हम हिंदुस्तान का हिस्सा हैं। हिंदुस्तान जिंदाबाद।

घाटी के हालात पर जब स्थानीय पत्रकार और बुलंद आवाज के एडिटर इन चीफ ताबिश बुखारी से बात की तो उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों को लेकर हमने क्लियर स्टैंड लिया है। नब्बे के दशक में जो हुआ वह मैंने सुना है, फितूर सारा पाकिस्तान का था। मेरे भाई शुजात बुखारी की भी हत्या हुई है। वह राइजिंग कश्मीर के एडीटर थे। उनको थ्रेड मिला। महबूबा मुफ्ती ने उनको मिले थ्रेड पर गौर नहीं किया। गौर होता तो वह आज हमारे बीच होते। जो मुसलमान राष्ट्र के बारे में सोचते हैं, राष्ट्र के लिए समर्पित हैं, राष्ट्रवादी हैं उन्हें सु्रक्षा मिलनी चाहिए । कश्मीरी पंडितों पर हमारा स्टैंड क्लियर है। वह कहते हैं कि सबसे पहले है देश और सबसे बड़ा धर्म है इंसानियत। इसके बाद वह धर्म है जिस पर आप यकीन करते हो। बात यहीं रुकती है, लेकिन स्टोरी अभी बाकी है…

Topics: Jammu and Kashmir Newsshankaracharya temple
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