जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व : पिछले दो सालों में बढ़ गई जलीय जीवों की संख्या

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दिनेश मानसेरा
वन्य जीव प्रतिपालक डॉ पराग धकाते ने बताया कि घड़ियाल, मगरमच्छों के अंडे बह जाते थे। इन अंडों को संरक्षित करने की ओर हमारे वन्य जीव विशेषज्ञों ने काम किया और इसके अच्छे परिणाम सामने आए।

 

जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बहने वाली रामगंगा और उसकी सहायक नदियों में जलीय जीवों की आबादी में वृद्धि हो रही है। पिछले दो सालों में हुई बढ़ोतरी संतोषजनक मानी जा रही है। उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघ ही नहीं, अन्य जीव-जंतुओं पर भी संरक्षण का कार्य चल रहा है। जलीय जीव जो कि प्राकृतिक रूप से नदी को साफ रखते हैं। पिछले कुछ सालों से संरक्षित हो रहे हैं। वन्य जीव की गणना में लगे वन विभाग ने जलीय जीवों के कुछ आंकड़े जारी किए हैं। जिसमें 2008 से 2022 तक प्रमुख जलीय जीवों के बारे जिक्र किया गया है।

           जीव        2008      2020     2022

  • मगरमच्छ   133        152       165
  • घड़ियाल    128         96        116
  • ऊदबिलाव  158       142       186

इनमें सबसे ज्यादा चिन्ताजनक बात घड़ियालों की संख्या को लेकर है, वन्यजीवों पर रिसर्च करने वाले डॉ शाह बिलाल बताते हैं कि 2008 में घड़ियाल कम होने लगे थे उसके बाद यहां के वन कर्मियों को जलीय जीवों के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। उसके बाद से घड़ियाल, मगरमच्छ के अंडों को संरक्षित करने उनपर नजर रखने का काम शुरू हुआ, जिसके बाद से इन जीवों का संरक्षण हुआ। पिछले दो सालों में इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं।

उत्तराखंड के वन्य जीव प्रतिपालक डॉ पराग धकाते बताते हैं कि ये जीव कम पानी में रहने के आदी हैं। रामगंगा में पिछले 10 सालों में बाढ़ की घटनाएं ज्यादा हुई हैं। बाढ़ में घड़ियाल, मगरमच्छों के अंडे बह जाते थे। इन अंडों को संरक्षित करने की ओर हमारे वन्य जीव विशेषज्ञों ने काम किया और इसके अच्छे परिणाम सामने आए। डॉ. धकाते बताते हैं कि जलीय जीवों का रामगंगा में संरक्षित होना जरूरी है। यहां महाशीर मछली भी है। ये प्राकृतिक रूप से नदी जल की सफाई करते हैं। यही पानी बाघ, तेंदुए, हाथी, हिरण आदि पीते हैं, जिससे जंगल का जीवन चलता है। ऊदबिलाव को लेकर कॉर्बेट प्रबन्धन खास ध्यान दे रहा है। कॉर्बेट के निदेशक राहुल कुमार बताते हैं कि यह दुर्लभ श्रेणी का जीव है। देश-विदेश के जंगलों में ये लुप्त भी हो रहे हैं। हालांकि अच्छी बात है कि कॉर्बेट जंगल में इसे संरक्षित श्रेणी में रखने से इनकी संख्या में इजाफा हुआ है। हमारी टीम बराबर इनके वास स्थल का निरीक्षण करती रहती है।
 

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