'डी.बी.पावर लिमिटेड' द्वारा छत्तीसगढ़ के जांजागीर— चांपा जिले में अनुसूचित जनजाति के लोगों की जमीन धोखाधड़ी से हड़पने के आरोप में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने छत्तीसगढ़ के डिपार्टमेंट ऑफ रिवेन्यू सेक्रेटरी नीलम नामदेव इक्का को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। आयोग ने छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा को वारंट भेजकर रिवेन्यू सेक्रेटरी को गिरफ्तार कर आयोग के सामने पेश करने को कहा है।
इससे पहले आयोग ने उन्हें समन जारी किया था, जिसके बाद उन्हें आयोग के समक्ष प्रस्तुत होकर अपनी बात रखनी थी, लेकिन समन जारी किए जाने के बाद भी वह प्रस्तुत नहीं हुए थे। आयोग ने 11 मार्च को 'डी.बी.पावर लिमिटेड' द्वारा वनवासियों की जमीन धोखाधड़ी से खरीदे जाने के मामले में छत्तीसगढ़ स्टेट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी और रिवेन्यू सेक्रेटरी को समन जारी कर आयोग के सामने 24 मार्च को प्रस्तुत होने के लिए कहा था। समन मिलने के बाद छत्तीसगढ़ स्टेट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी अरुण प्रसाद ने आयोग के समक्ष अपनी सफाई दी थी, लेकिन रिवेन्यू सेक्रेटरी नीलम नामदेव इक्का आयोग के सामने प्रस्तुत नहीं हुए थे। आदेश की अवहेलना पर आयोग ने अब उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है। जनजाति आयोग ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को इस संबंध में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने कहा है कि पुलिस महानिदेशक एक अप्रैल तक बताएं कि इस मामले में क्या कार्रवाई हुई।
यह है पूरा मामला
पिछले साल जुलाई में इनकम टैक्स विभाग ने दैनिक भास्कर ग्रुप के कई कार्यालयों पर छापा मारा था। छापेमारी में कई महत्वपूर्ण कागजात मिले थे। दैनिक भास्कर ग्रुप की एक और कंपनी है 'डी.बी.पावर लिमिटेड'। आरोप है कि भास्कर ने छत्तीगढ़ जांजागीर—चांपा जिले में इसका प्लांट लगाने के लिए अनुसूचित जनजाति समाज के लोगों की जमीन को धोखे से खरीदा है। इसके लिए पूरी योजना बनाकर काम किया गया। भास्कर ने पहले यहां के एक स्थानीय व्यक्ति को अपने यहां नौकरी पर रखा। उसने यहां 'डी.बी.पावर लिमिटेड' के लिए एजेंट का काम किया। पहले इसने सस्ते दामों में वनवासियों की जमीन खरीदी। इसके बाद जमीन 'डी.बी.पावर लिमिटेड' को बेच दी। इस बीच इसमें से काफी जमीन को पहले 'छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन' ने अधिग्रहित किया और फिर 'डी.बी.पावर लिमिटेड' को दे दिया। इस मामले में जांजागीर— चांपा जिले के डीएम और एसपी को आयोग पहले तलब कर चुका है। दोनों आयोग के सामने प्रस्तुत होकर अपनी बात रख चुके हैं।
आयोग के अधिकार
अनुसूचित जनजाति आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 क के अनुसार एक स्वतंत्र संवैधानिक इकाई है। इसके तहत आयोग को दीवानी न्यायालय के अधिकार प्राप्त हैं। आयोग को अधिकार है कि वह समन की तामील न होने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर सकता है।
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