कश्मीर में हुए हिन्दुओं के नरसंहार की कहानी को दिखाती फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है। लोगों में इस फिल्म के प्रति जज्बा बना हुआ है। कोरोना के बाद पहली बार भारी संख्या में लोग 'द कश्मीर फाइल्स' को देखने के लिए सिनेमाघरों की तरफ रुख कर रहे है। देश के कुछ राज्यों ने फिल्म को टैक्स फ्री भी कर दिया है।
लेकिन “द कश्मीर फाइल्स” को मिल रही लोकप्रियता के बीच केरल कांग्रेस ने आलोचना की है। जिस पर सोशल मीडिया में कांग्रेस की जमकर फजीहत हो रही है। लोग कांग्रेस के विरोध में उतर कर उसे ट्रोल कर रहे है।रविवार को केरल कांग्रेस ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में मारे गए पंडितों से ज्यादा संख्या तो मुस्लिमों की रही है।
कश्मीरी पंडितों से ज्यादा मारे गए मुसलमान
केरल कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा- “कश्मीरी पंडितों के बारे में तथ्य : वह आतंकी ही थे जिन्होंने पंडितों को निशाना बनाया। पिछले 17 सालों (1990-2007) में हुए आतंकि हमलों में 399 पंडित मारे गए है। इसी अवधि में आतंकवादियों की ओर से मारे गए मुसलमानों की संख्या 15,000 है”।
ट्रोल होने के बाद ट्वीट हटाया
कांग्रेस की तरफ से किए गए सिलेसिलेवार कई ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर बवाल खड़ा हो गया। लोगों ने कांग्रेस से कई तीखे सवाल पूछे। इसके बाद ये ट्वीट कांग्रेस ने डिलीट कर दिया।
बता दें कि कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार और पलायन पर बनी “द कश्मीर फाइल्स” के निर्माता अभिषेक अग्रवाल हैं। इसका निर्देशन विवेक अग्निहोत्री ने किया है। यह फिल्म 11 मार्च को रिलीज हुई है और अनुपम खेर, पल्लवी जोशी एवं मिथुन चक्रवर्ती ने इसमें अभिनय किया है।
हर तरफ से मिल रही है तारीफ
फिल्म को क्रिटिक्स और ऑडियंस सबकी तारीफ मिल रही है। “द कश्मीर फाइल्स” के निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने इसके लिए काफी रिसर्च की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने डॉक्यूमेंट्स और पीड़ितों से जानकारी लेकर कई सच्ची घटनाओं के स्क्रीन पर उतारा है। फिल्म में एक सीन हैू,जिसमें आतंकी बिट्टा कराटे का इंटरव्यू दिखाया गया है। कश्मीर त्रासदी के वक्त वह कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के लिए काम करता था। इंटरव्यू में उसने कई चौंकाने वाले खुलासे किए थे।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया। यह सम्मान 8 मई, 2023 को दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र (IVSK) द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, RSS के सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी, और उदय महुरकर जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
टिप्पणियाँ