पाकिस्तान से एक हैरान करने वाली खबर आई है। सरकारी कर्मचारियों को विदेशी कर्जे के बूते वेतन देने वाले पड़ोसी इस्लामी देश के सिंध सूबे के 11 हजार स्कूलों में कक्षाएं खाली पड़ी रहती हैं, लेकिन वहां तैनात शिक्षक बिना पढ़ाए ही तनख्वाह ले रहे हैं। मीडिया में आई खबरों से पता चला है कि इन स्कूलों में शिक्षक तो हैं, पढ़ने वाले छात्र नहीं हैं।
इन 11 हजार स्कूलों में शिक्षकों को मोटी जनख्वाह दी जा रही है जबकि ये पढ़ाते किसी को नहीं हैं, क्योंकि इन स्कूलों में पढ़ने कोई आता ही नहीं है। पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट बताती है बिना छात्र वाले ये स्कूल सिंध प्रांत पर पाकिस्तान के गिनती के संसाधनों पर भारी बोझ जैसे बने हुए हैं। कंगाल देश की कंगाली और बढ़ा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सिंध सूबे के देहातों में हर एक हजार बच्चों के लिए 1.8 स्कूल ही हैं। इनमें से करीब 15 फीसदी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल ऐसे हैं जिनमें पढ़ाने वाले बस दो शिक्षक ही हैं। इन स्कूलों में बच्चे पढ़ने नहीं आते लिहाजा नेताओं और उनके चमचों ने इन स्कूलों को अपने कब्जे में लिया हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि ऐसे नेता इन स्कूलों की इमारतों में गेस्ट हाउस खोले बैठे हैं।
इन स्कूलों में बच्चों के लिए बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। न पीने का पानी है, न शौचालय, न ही कोई खेल का मैदान है। इन स्कूलों की कोई चारदीवारी तक नहीं है। यहां छात्रों के लिए बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। शायद इन्हीं वजहों से लोग बच्चों को इन स्कूलों में पढ़ने के लिए नहीं भेजते हैं।
सवाल है कि आखिर इन स्कूलों में क्या बच्चों ने दाखिले नहीं लिए हैं, या वे पढ़ने के लिए क्यों नहीं आते? पता यह चला है कि इन स्कूलों में बच्चों के लिए बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। न पीने का पानी है, न शौचालय, न ही कोई खेल का मैदान है। इन स्कूलों की कोई चारदीवारी तक नहीं है। यहां छात्रों के लिए बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। स्थानीय लोगों की मानें तो इन्हीं वजहों से लोग बच्चों को इन स्कूलों में पढ़ने के लिए नहीं भेजते हैं। कुछ वक्त पहले तक तो यहां बच्चे दाखिला लेते थे, पर अब तो दाखिले भी बंद हैं।
इस खबर के छपने के बाद लोग सरकार की खिंचाई कर रहे हैं। वे शिकायत कर रहे हैं सरकारी स्कूलों में अच्छी पढ़ाई दी जाए जिसके लिए जरूरी सुविधाएं हों और अच्छे पढ़ाने वाले। ऐसा होगा तभी बच्चे इन स्कूलों में पढ़ने आएंगे।
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