रूस के हमले से संकट में फंसे यूक्रेन के लोगों के लिए इस्कॉन संस्था की तरफ से राहत का हाथ बढ़ाया गया है। उल्लेखनीय है कि यूक्रेन में भगवान कृष्ण को समर्पित 54 मंदिर हैं जो आज ज़रूरतमंदों के लिए खाने—पीने की व्यवस्था करने के साथ ही उन्हें अपने यहां टिकने की जगह दे रहे हैं। स्वदेश वापसी के लिए निकले भारतीयों के लिए भी हर तरह की राहत की व्यवस्था की गई है।
एक तरफ रूस यूक्रेन पर गोले बरसा रहा है, नागरिक हताहत हो रहे हैं तो दूसरी ओर इस्कॉन जैसी प्रमुख धार्मिक संस्था यूक्रेन के अनेक शहरों में ज़रूरतमंदों और हताहतों की सेवा में जुटी हुई है। ताजा जानकारी के अनुसार, अभी तक यूक्रेन से 2 लाख से ज्यादा लोग निकल चुके हैं। लेकिन जो वहां हैं और हालात का सामना कर रहे हैं ऐसे नागरिकों को इस्कॉन काफी मदद पहुंचा रही है। यूक्रेन के लगभग सभी इस्कॉन मंदिरों ने आहत लोगों के लिए भोजन—पानी और सिर छुपाने की जगह का इंतजाम किया है। कोई भी इस्कॉन मंदिरों से यह मदद ले सकता है।
इस्कॉन का कहना है कि जो भी लोग मुसीबत झेल रहे हैं, उनके लिए इस्कॉन के मंदिर संस्था से जुड़े कृष्ण भक्त लगातार सेवारत हैं। इस्कॉन के 54 मंदिरों में रहने की जगह और खाने—पीने का भी इंतजाम किया जा रहा है। संस्था का कहना है कि कान्हा की अनुकंपा से यूक्रेन में इस्कॉन के ज्यादातर मंदिर और श्रद्धालु सुरक्षित हैं।
इस्कॉन का कहना है कि जो भी लोग मुसीबत झेल रहे हैं, उनके लिए इस्कॉन के मंदिर संस्था से जुड़े कृष्ण भक्त लगातार सेवारत हैं। इस्कॉन के 54 मंदिरों में रहने की जगह और खाने—पीने का भी इंतजाम किया जा रहा है। संस्था का कहना है कि कान्हा की अनुकंपा से यूक्रेन में इस्कॉन के ज्यादातर मंदिर और श्रद्धालु सुरक्षित हैं।
इस बारे में इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास का कहना है कि यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों और नागरिकों के हंगरी पहुंचने पर वहां भी इस्कॉन मंदिर उनके खाने—पीने और टिकने का इंतजाम कर रहे हैं। हंगरी में मौजूद भारतीय दूतावास ने वहां पहुंचे रहे भारतीयों के लिए भोजन—पानी के इंतजाम के लिए वहां के इस्कॉन मंदिरों से मदद मांगी थी, जिसके बाद मंदिर ने सारी व्यवस्था अपने हाथ में ले ली है।
इस्कॉन की इस सेवा पर हंगरी में भारत के पूर्व राजदूत कुमार तुहीन तथा भारतीय छात्रों ने उसका धन्यवाद किया है। तुहीन ने इस्कॉन की प्रशंसा करते हुए कहा है कि उन्होंने हरे कृष्णा संस्था के साथ निकट सहयोग बनाकर काम किया है। पूर्व राजदूत ने कहा कि बात सिर्फ खाने—पीने के इंतजाम की नहीं है। बात है ये दिखाने की कि हम उनकी परवाह करते हैं। कुमार तुहीन ने राहत में मदद के लिए इस्कॉन से संपर्क किया जो सहर्ष तैयार हो गई।
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