समाजवादी पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव के लिए एकतरफा तौर पर छह उम्मीदवारों की घोषणा करके सपा ने कांग्रेस पार्टी को गहरा आघात दिया है। कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव में उम्मीद से काफी अधिक 6 लोकसभा की सीटें जीतने के बाद उम्मीदें सातवें आसमान पर थीं। कांग्रेस सम्मानजनक सीट समझौता के साथ ही अपने लिए अच्छी तादाद में कम से कम 3 से 4 सीटों की उम्मीद सपा से कर रही थी। मगर सपा ने कांग्रेस पार्टी को उसकी औकात दिखाते हुए हरियाणा व जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव परिणाम के अगले दिन ही एकतरफा छह उम्मीदवारों की घोषणा कर कांग्रेस पार्टी को तगड़ा झटका दिया है। कांग्रेस पार्टी व सपा ने 2017 का विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था वो उस समय कांग्रेस पार्टी को केवल ग़ाज़ियाबाद विधानसभा की सीट ही गठबंधन के तहत लड़ने को मिली थी। यह समझा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी को इस बार भी सपा केवल ग़ाज़ियाबाद की सीट ही लड़ने को देगी।
विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को झटके पर झटके मिल रहे हैं। उसे सिर्फ सपा ने ही नहीं वरन आम आदमी पार्टी ने भी झटका देते हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में किसी भी तरह का समझौता नहीं करने की घोषणा कर दी। अब कांग्रेस को हरियाणा विधानसभा चुनाव के अनुसार ही झारखण्ड में व महाराष्ट्र में अपने सहयागियों के साथ गठबंधन उनकी शर्तों पर करने की मज़बूरी आ गई है। सपा के इस कदम के पीछे भी एक गहरा राज छिपा हैं। कांग्रेस पार्टी का उत्तर प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में प्रदर्शन में कोई भी समानता नहीं दिखती है। ऐसे 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन काफी निम्नस्तरीय रहा था।
कांग्रेस पार्टी ने 397 सीटों पर चुनाव लड़ा और 387 सीटों पर जमानत जब्त हुई थी। कांग्रेस पार्टी 62 विधानसभा की सीटों पर नोटा से भी पीछे रही थी। इतना ही नहीं कांग्रेस 58 विधानसभा की सीटों पर ओवैसी की पार्टी से पीछे रही थी। ओवैसी की पार्टी ने 95 सीटों पर चुनाव लड़कर 58 सीटों पर कांग्रेस पार्टी से बढ़त बनाई थी। कांग्रेस रामपुर खास वो फरेंदा सीट पर जीत दर्ज़ कर सकी थी। रामपुर खास सीट प्रमोद तिवारी की पारिवारिक सीट है। यहां तक कि अमेठी वह रायबरेली लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली विधानसभा की 10 सीटों में सात सीटों पर कांग्रेस पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी।
2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 21 सीटों पर जीत दर्ज़ की थी मगर 2012 के विधानसभा चुनाव में महज 28 सीटों पर सिमट गई थी। 2017 के लोकसभा चुनाव में सपा वो कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा और कांग्रेस महज 7 सीटें जीत सकी जो 2022 में घटकर 2 सीटों तक आ गई।
सपा व कांग्रेस पार्टी के अन्य सहयोगी दल इस बात से भलीभांति अवगत हैं कि कांग्रेस का महत्व केवल लोकसभा के चुनाव तक ही सीमित है क्योंकि वो राष्ट्रीय दल है। कोई भी क्षेत्रीय दल कांग्रेस पार्टी को केवल लोकसभा के लिए थोड़ा महत्व देती हैं मगर विधानसभा चुनाव में उसका महत्व नगण्य हो जाता है।
हाल ही में 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी 9 सीटों पर चुनाव लड़ी व सभी सीटों पर पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी। कुंदरकी विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी नोटा से भी पीछे रही थी। इन सभी सीटों में कांग्रेस पार्टी का सर्वोत्तम प्रदर्शन गाजियाबाद विधानसभा सीट पर रहा, जहां उसे 11,818 (4।81%) मत प्राप्त हुए।
इन 10 विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन निम्न रहा है-
कांग्रेस पार्टी का 17 लोकसभा की सीटों पर पिछले सपा के साथ तालमेल व पूर्व में अकेले चुनाव लड़ने से तुलना करने पर हम पाते हैं कि कांग्रेस पार्टी का निम्न प्रदर्शन रहा है-
टिप्पणियाँ