इस वर्ष की शुरुआत में जनवरी और फरवरी महीने में ही ‘मॉब लिचिंग’ की पांच घटनाएं हुर्इं। इसके बाद भी सेकुलर नेता, वामपंथी बुद्धिजीवी और गंगा—जमुनी संस्कृति की दुहाई देने वाले कलाकार चुप हैं। जानते हैं क्यों! क्योंकि इनमें मारे गए सारे लोग हिंदू थे। इसलिए इन्होंने न तो उस 17 वर्षीय रूपेश के लिए कुछ कहा, जिसे करीब 100 मुसलमानों की भीड़ ने तब तक पीटा जब तक उसकी मौत नहीं हो गई। इन लोगों ने उन संजू के लिए भी कुछ नहीं कहा, जिसे पहले बुरी तरह पीटा गया और अंत में जिंदा ही आग में झोंक दिया गया। इन लोगों ने उस हीरालाल गुजराती के लिए भी अपनी जुबान पर ताला लगा लिया, जिसे पहले चाकू से गोदा गया और फिर गोली मार दी गई। ऐसे ही इन लोगों ने उस किशन भरवाड के लिए भी कुछ कहना ठीक नहीं समझा, जिसकी हत्या केवल इसलिए कर दी गई कि सोशल मीडिया पर उसकी एक पोस्ट कुछ जिहादियों को पसंद नहीं आई।
‘मॉब लिचिंग’ का गढ़ बना झारखंड
आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में भीड़ द्वारा किसी की पीट—पीट कर कर हत्या कर देना यानी ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाएं सबसे अधिक हो रही हैं। यह भी विडंबना है कि यदि हिंदुओं की भीड़ किसी मुस्लिम की पिटाई करती है और उसकी मौत दो—तीन बाद होती है, तो उसे ‘मॉब लिंचिंग’ मान लिया जाता है। वहीं दूसरी ओर सैकड़ों मुस्लिमों की भीड़ पीट-पीट कर किसी हिंदू की हत्या कर देती है, उसके बाद भी उसे ‘मॉब लिंचिंग’ नहीं माना जाता। इस कारण झारखंड के हिंदुओं में सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा हैै। हिंदू जागरण मंच, झारखंड के परावर्तन प्रमुख राजीव वर्मा कहते हैं, ‘‘राज्य के लोग महसूस कर रहे हैं कि जिस भी हत्या में मुसलमान शामिल होते हैं, उस पर सरकार या प्रशासन के लोग तुरंत यह बयान देते हैं कि यह आपसी विवाद की घटना थी। यानी सरकार हत्यारों को बचाने के लिए आगे आ जाती है। वहीं किसी आपसी रंजिश में किसी मुस्लिम के साथ मारपीट होती है और उसकी मौत कई दिन बाद हो जाती है, इसके बावजूद उसे ‘मॉब लिचिंग’ मानकर आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है। यही कारण है कि राज्य में जिहादी तत्वों का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है। उसी दुस्साहस का परिणाम है 17 वर्षीय रूपेश कुमार पांडे की हत्या।’’
उन्मादियों द्वारा मारे गए कुछ हिंदू
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उल्लेखनीय है कि रूपेश की हत्या छह फरवरी को हजारीबाग जिले में बरही से लगभग 15 किलोमीटर दूर दुलमाहा गांव में कर दी गई थी। उसकी हत्या उस समय की गई थी जब वह सरस्वती प्रतिमा के विसर्जन करने के लिए जा रहा था। गांव के कुछ मुसलमानों के साथ किसी बात पर रूपेश की बहस हो गई। इसके बाद लगभग 100 मुसलमानों ने उस पर हमला कर दिया। घटना के कुछ ही समय बाद बरही के डीएसपी नाजिर अख्तर सामने आए और कहा कि यह प्रेम प्रसंग का मामला था। यानी पुलिस ने बिना जांच यह बता दिया कि वह इस घटना को ‘मॉब लिचिंग’ नहीं मानती। यही नहीं, प्रशासन ने 24 घंटे तक इस हत्या में शामिल किसी भी व्यक्ति की विरुद्ध कार्रवाई नहीं की।
आखिर में जन दबाव के बाद प्रशासन ने रूपेश की हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज की। इसमें 27 लोगों को नामजद अभियुक्त और 100 अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। 27 नामजद अभियुक्तों में से अभी तक केवल पांच की गिरफ्तारी हुई है। रूपेश हत्याकांड को सोशल मीडिया में वायरल करने वाले सुमन सौरभ कहते हैं, ‘‘दिसंबर 2021 में झारखंड सरकार ने ‘मॉब लिचिंग’ के विरुद्ध कानून बनाया था। उस समय सरकार ने बड़े गर्व के साथ कहा था कि झारखंड चौथा ऐसा राज्य है, जिसने ‘मॉब लिंचिंग’ के विरुद्ध कानून बनाया है, लेकिन इस कानून का उल्लंघन सरकार खुद ही कर रही है। किसी हत्या में शामिल लोगों के मजहब को देखकर कार्रवाई की जा रही है। ऐसा ही रूपेश हत्याकांड में हो रहा है। नाबालिग रूपेश को करीब 100 मुसलमानों ने तड़पा—तड़पाकर मारा, पर पुलिस इसे ‘मॉब लिचिंग’ नहीं मान रही। आरोपी के मजहब को देखकर कार्रवाई करना बहुत ही घटिया सोच है। आने वाले समय में यह सोच देश के लिए घातक सिद्ध होगी।’’
बहुत से लोगों का यह भी कहना है कि ‘मॉब लिचिंग’ को लेकर वर्तमान राज्य सरकार का भेदभावपूर्ण वाला रवैया उस कांग्रेस के कारण भी है, जिसके नेता चार साल पहले हुई तबरेज की हत्या की बात तो करते हैं, पर रूपेश की हत्या की बात करना ही नहीं चाहते।
उल्लेखनीय है कि 21-23 फरवरी तक गिरिडीह के पारसनाथ में कांग्रेस का तीन दिवसीय चिंतन शिविर आयोजित हुआ था। इसमें बरही के विधायक उमाशंकर अकेला ने तबरेज की हत्या का उल्लेख करते हुए संघ विचार परिवार के कार्यकर्ताओं के प्रति नफरती बयान दिए, लेकिन उन्होंने रूपेश की हत्या पर कुछ नहीं कहा, जबकि रूपेश की हत्या उनके विधानसभा क्षेत्र में हुई है। बरही के सामाजिक कार्यकर्ता शेखर गुप्ता कहते हैं,‘‘विधायक उमाशंकर अकेला को उस तबरेज की मौत तो याद है, जो उनके विधानसभा क्षेत्र का नहीं रहने वाला था। परंतु वे उन रूपेश की हत्या की बात नहीं करते हैं, जो उनके विधानसभा क्षेत्र के ही निवासी थे।’’ बता दें कि जून, 2019 में सरायकेला में तबरेज अंसारी की पिटाई उस समय की गई थी, जब वह मोटरसाइकिल चुरा रहा था। लोगों ने उसे रंगे हाथों पकड़ा था और उसकी पिटाई की थी। तीन दिन बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद उसकी मौत को ‘मॉब लिचिंग’ बताकर ऐसा हंगामा मचाया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस पर संसद में बयान देना पड़ा था।
रूपेश की हत्या से ठीक एक महीना पहले 5 जनवरी, 2022 को सिमडेगा में उन्मादियों की एक भीड़ ने संजू प्रधान को पहले बुरी तरह पीटा और बाद में जिंदा ही आग में फेंक दिया। यह सब संजू की पत्नी सपना देवी और मां धनमईत देवी की आंखों के सामने हुआ। दोनों भीड़ से संजू की जान की भीख मांगती रहीं, लेकिन उसमें शामिल उन्मादियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। उन लोगों ने संजू को जिंदा ही जला दिया, लेकिन दुर्भाग्य से राज्य सरकार ने संजू की मौत को भी ‘मॉब लिचिंग’ नहीं माना है। राष्ट्रीय आदिवासी मंच के कार्यकारी अध्यक्ष सन्नी टोप्पो कहते हैं,‘‘संजू को उन लोगों ने मारा है, जो लोभ-लालच से ईसाई बन चुके हैं। यह भी कह सकते हैं कि संजू को चर्च के लोगों ने मारा है, क्योंकि संजू अपने गांव में कन्वर्जन का विरोध करते थे। और चूंकि इस समय राज्य सरकार की शह पर चर्च के लोग कन्वर्जन करा रहे हैं, इसलिए सरकार ने अभी तक संजू को मारने वालों के विरुद्ध कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है।’’ संजू सिमडेगा जिले में कोलेबिरा थाना के अंतर्गत पड़ने वाले गांव बेसराजरा बाजारटांड़ के रहने वाले थे।
किशन भरवाड की हत्या
अमदाबाद जिले के धंधुका में 25 जनवरी की शाम को किशन भरवाड नामक नवयुवक को उनके घर के पास ही मोटरसाइकिल सवार दो जिहादियों ने गोली मार दी। किशन की हत्या उनके द्वारा सोशल मीडिया में डाली गई एक पोस्ट के लिए की गई। बता दें कि 6 जनवरी को किशन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी, जिसे मजहबी भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली मानकर कुछ स्थानीय मुसलमानों द्वारा पुलिस में आपत्ति दर्ज करवाई गई। इसके बाद किशन ने माफी भी मांग ली, लेकिन जिहादी तत्वों ने एक षड्यंत्र के अंतर्गत उनकी हत्या कर दी। इस षड्यंत्र में अमदाबाद, दिल्ली और मुम्बई के कई मौलाना शामिल हैं। इस मामले में छह लोग पकड़े गए हैं।
क्या गलती थी हीरालाल की!
17 जनवरी को दिल्ली के सुल्तानपुरी में हीरालाल गुजराती की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई कि उन्होंने अपनी बहन के साथ बलात्कार करने वाले इरफान सिद्दीकी की शिकायत पुलिस से की थी। शिकायत के बाद पुलिस ने इरफान को जेल भेज दिया था। वहां से निकलते ही उसने अपने कुछ गुर्गों के साथ हीरालाल की हत्या बहुत ही बेरहमी से कर दी। 38 वर्षीय हीरालाल तीन बच्चों के पिता थे और चिड़ियों का कारोबार कर परिवार पालते थे।
इन हत्याओं के बाद भी कुछ लोग हिंदुओं पर ही असहिष्णु होने के आरोप लगा रहे हैं। ऐसे दोमुंहापन वाले लोगों को पहचानना जरूरी है।
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